Monday, August 02, 2010

भारतीय महिला और ग्राम


ये क्या कैसी आजादी है जो खुली आखो से वो दुनिया भी ना देख सके और जिसकी जिंदगी घुघट के अन्दर उसका ही मजाक उड़ाती है लेकिन हा सलाम है उसके होसले को जो आज भी उसको घर की मर्यादा का पालन और परिवारों को सजाना उन्हें बचाए रखने की प्रेड़ना देती है ये महिला ही हा जिसको कहते है माँ से ममता ,हा से हिम्मत और ला से लज्जा मगर वही उनकी एक अदना सी गलती की सजा है चोपालो
की खाप पंचायतो का आदेश फिर या तो ग्राम निकाला या एक मर्तबा फिर उसकी ही आबरू को रोदने का गुनाह वो भी सरेआम आखिर कब तक रहेगी वो घुघट में खामोश क्या मिल पायेगी उसको भी जिंदगी ज़ीने की आजादी ?

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