Saturday, February 20, 2010

वो जो आज मुर्दा हो गया है.....


हे हे हे हा हा हा जानते हो मै इस तरह पागलो से हरकत क्यों कर रहा हू ,
क्योकि आज एक इंसान फिर मुर्दा हो गया हे हे हे मेरी उसी मटमैली केन की
जलधाराओ में ! साला जब तक ज़िदा था कहता था अपुन तो सारी दुनिया पर हुकूमत
करेला , फिर चाहे कोई जिंदा रहे या मार जाये अरे यार अपुन भी तो एक रोज मरैला !
हा हा हा यही हाल है इस रंग बिरंगी दुनिया , सही बोलता हू जब मै उस मुर्दे के पास गया और बोला
क्यों भी आप तो किंग खान की तरह कहते थे की ये जो दुनिया है न मेरी ही ठोकरों में पलती है ,
गिरती है , उठती है फिर सभलती, लेकिन आज तो आप ही गिर पड़े - यो ही खड़े - खड़े !
खैर कुछ भी हो आदमी भला था, जानता था की मै भी सबकी तरह मरुगा , यारो मगर
आज तो हैरत इस बात की है की ये जो आमीर लोग , ज़माने के बुर्जुआ समाज में शामिल
तबका है न वो तो मानता ही नहीं है की हम भी सर्वहारा की माफिक मुर्दा होगे,
और हमारी हर कलि करतूतों की कहानी भी बेपर्दा होगी खैर वो मुर्दा हमें ये तो बतला ही गया की
प्यारी केन ही है और उसका पानी ही है जो हर हर में बदहाली को झेलने के बाद भी
बुंदेलखंड की गरीब , भुखमरी में जीती आम औरतो , बच्चो को मुर्दा बन्ने के बाद सहारा तो देगी !
जाने क्यों मै इस तरह पागल हो जाता हू...

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Friday, February 19, 2010

कुछ इस तरह हम अपनों से मारे गए है....

जाने क्यों नहीं लिखना चाह रहा तह पर लगा की मन की टीस अगर नहीं निकालूगा
तो ठीक नहीं होगा तो लिखने बैठा हू , क्यों हम हर पाच सालो में ये जनता के ठेकेदार बनाते है ?
क्या इनके ही बल पे इस समाज का विकास और सारी उमीदे जुडी है , क्या लोगो की बनाई इन
सरकारों ने अपनी जिम्मेवारी को निभाया है और अगर नहीं तो फिर क्यों ये बरसाती कुकुरमुत्तो
की जमात सारे भारत में फसल की तरह फैलती जा रही है , मित्रो एक हमारी ही दुहाई नहीं है ये ,
आज पूरा बुंदेलखंड , बिहार , पूर्वांचल इसी आग में जल रहा है क्योकि इन सरकारी ठेकेदारों ने
हमारे पानी को भी बेचने और बंधक साथ ही उसमे वो सब कुछ मिलाने की साज़िस की है जो
हर ज़र्रे को दीमक की तरह खाती चली जा रही है कुछ ये ही हालत है बांदा की केन नदी के और उनकी
सहायक नदियों के भी फिर चाहे वो चित्रकूट की मंदाकनी हो या फिर बेतवा आदि नदिया आज जरुरत
है इन पानी को गन्दा करने वाली हर उस कोशिस को रोकने की जो आदमी की ज़िन्दगी को केवल
सरकारी कुड़ेदानो का हिस्सा ही समझती है जाने न क्यों मै इस तरह पागल हो जाता हू

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Thursday, February 18, 2010

बुंदेलखंड में बदहाल होती केन नदी के निशाने पर है बुंदेलखंड


मित्रो जिस तरह से लगातार बुन्देखंड में पानी को बंधक बनाने की और केन को बेतवा में मिलाने
की साज़िस सरकारों की है तो ये सही है की आज नहीं तो आने वाला कल पुरे बुंदेलखंड की तबाही
का मंज़र लिखेगा , आज जहा इंसानों की लाशे , पसुओ, हिरन की मरी हुई मृत लाशे ,उनके साथ - साथ
सारे शहर का कूड़ा - कचड़ा नदियों में डाला जा रहा है वो लाटर केन के पानी को दुसित करता जा रहा है ,
इसलिए ये जरूरी है की स्थनीय नगर पालिका परिसद को इसकी जिम्मेवारी लेकर केन में बढ़ते हुए
जल , वायु प्रदूसन की तरफ भी कदम उठने होगे यदि बुन्देखंड , बांदा को बचना है !

Tuesday, February 16, 2010

Bundelkhand Prawas

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