Saturday, February 27, 2010

मेरी आप बीती कहानी - चित्रकूट ( बुंदेलखंड )



मै,.... मै कुछ बनना चाहती हू !
मै एक बहादुर बच्ची बनना चाहती हू ,
लेकिन ......कम पर जाना,माँ का ताना ,और यह जमाना ,मुझे रोक देता है !
मै एक कामयाब किशोरी बनना चाहती हू ,
लेकिन..... सारा दिन का काम,आराम पर लगाम ,और मजदूरी का काम दाम,
मुझे रोक देता है !
मै एक पवित्र पत्नी बनना चाहती हू !
लेकिन .....पति की शराब ,बेटे का ऊचा ख्वाब,और मेरा खुद का स्वाथ्य खराब ,
मुझे रोक देता है !
मै एक बढिया बुजुर्ग बनना चाहती हू !
लेकिन ......भूख की लाचारी, खासी की बीमारी,और बेटे की रोज की मारामारी ,
मुझे रोक देती है!
शायद यही है हर महिला की कहानी ,...बचपन,बुढ़ापा और जवानी !

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Friday, February 26, 2010

राष्ट्रीय पेड़ बरगद कटे जाने से आहत पंद्रह यूवा नहीं मनायेगे होली ( बुंदेलखंड )



विकासखंड तिदवारी का ग्राम गुखरही के युवा बुन्देखंड में विकास के नाम पर
बनाई जा रही सडको के किनारे लगे पेड़ो की बेतहासा कटाई से इतने आहत हुआ है की
वहा के पन्दरह युवाओ ने आम सहमती बनाई है की वे इस बरस और आने वाले अन्य वर्षो में भी
होली नहीं मनायेगे ! हो सकता है की ये बात भले ही कुछ लोगो के गले न उतरे मगर हकीकत तो यही है की
रास्ट्रीय पेड़ बरगद के कटे जाने से वे इतने मनस्क रूप से आहत हुए है की पानी की कमी और पेड़ो को
बाचने की पहल करते हुए उन्होंने ये ऐतिहासिक फैसला किया है,ग्राम गुखरही के संतराम यादव ,ज्ञान सिंह ,गयाप्रसाद ,
ह्रादयनारायण तिवारी ,सत्रुघन सिंह ,जगदीश यादव ,पर्बोध , ममता देवी ,उर्मिला ,जीतेन्द्र ,नीरज और आशीष सागर ने मिलकर ये
बताया है की अबकी से हम हर वर्ष ग्राम में और जहा कही हमें जगह मिलेगे वहा बरगद के पेड़ लगाकर उन्हें बाचने के लीये सभी को आगे आने
किम प्रेड़ना देने का कम करेगे, गोरतलब है की आज बांदा जनपद में बनरही फोर लाइन सड़क के किनारे खड़े कई बरगद के पेड़ सरकारी आदेशो
पर काटकर उनको होली की भेट चढ़ा दिया गया है आखिर ये पर्यावरण को मिटने और विकास का कोंन सा सूचक है जो रास्ट्रीय पेड़ो को भी नहीं छोड़ने की
अगुवाई करता है !शायद यही कारण है की अमेरिका जैसा देश भारत के लीये यह कहता है की " सारा हिंदुस्तान होली में एक दिन पागल हो जाता है "
वजह चाहे जो भी हो मगर ये तो सही ही है की अगर विकास की रफ़्तार ऐसे ही जंगलो और हरे पेड़ो को कटती रही तो आने वाले कुछ ही वर्षो में
हमें सिर्फ मकानों ,कंक्रीट की सडको ,मशीनों की आवाजे ही सुने देगी लेकिन उनमे रहने वाले और चलने वाले आदम जात आदमी की जिन्दगिया
नहीं शामिल होगी ! आये हमारे साथ इस आन्दोलन को अपनी सहमती पर्दान करे ताकि हमारी आने वाली नस्ले हमें गलिय देने और
अहसान फरामोश कहने की हिमाकत नहीं करे - उन तमाम लोगो को इस होली की हजारो मुबारक बाद !
" सबकी जिंदगी में भरे खुशियो की झोली , मन भावन हो हर इंसानों की ये होली ".......

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Wednesday, February 24, 2010

NREGA Modal Pond in Bundelkhand ( Banda ) total cast 4.43 lakh



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मनरेगा आदर्श तालाबो ने छीनी गरीब किसानो की उपजाऊ जमीने

पिछले पाच सालो से बदहाली को झेल रहा बुन्देखंड का गरीब किसान आज उसके लीये ही
बनाई गई योजना मनरेगा में अपनी जमीनों को सरकारी अधिकारियो की साज़िस के तहत
हडपे जाने की बदोलत परेसान बैठा है , आखिर क्या करे फिर वही खुदकुशी या कर्ज की मार में
अपने आपको अपनों के साथ कैद कर ले , बात बांदा जनपद के पल्हरी ग्राम की है वहा का गरीब किसान
संतोष कुमार पुत्र श्री रामेश्वर प्रसाद ग्राम में बनाये जा रहे माडल तालाब में ग्राम प्रधान ,ग्राम सचिव ,
खंड विकास अधिकारी की साज़िस में कैद होकर अपनी तालाब से लगी भूमिधरी की ज़मीन को खोने
की कगार पर है ! एक तरफ जहा केंद्र और राज्य सरकारे ग्रामीणों को मनरेगा में 100 दिन के रोजगार की गारंटी
देने की कवायद करते नज़र आ रहे है और जिनके अनुपालन में करोडो का बज़ट सिर्फ योजना को सही तरह चलाने
के लीये ही सोसिअल आडिट व अन्य मानको में खर्च किया जा रहा है वही दूसरी तरफ इसमे बने लाखो रुपयों के
आदर्श तालाबो की हालत तो ऐसी है की उनमे ग्राम के जानवर ,लोगो के शोच निपटान , व ग्राम की अन्य गंदिगी ,
जैसे कपड़ो का मैल - खुद के नहाने के कारण फैला मैल , साबुन आदि तालाबो का पानी प्रदुसित करता
चला जा रहा है ! गोरतलब है की 6.43 लाख की लागत से बना ग्राम पल्हरी का माडल तालाब उस किसान की उपजाऊ
ज़मीन जो की तालाब के किनारे से लगी है गाता नंबर 742 व तालाब का गाता नंबर 743 के सीमा विवाद की जाच के
आदेश मुख्य विकास अधिकारी पहले ही दे चुके है धारा 161 के तहत किसी भी आदमी की भूमधरी ज़मीन पर तालाब
नहीं बनवाया जा सकता है लेकिन मंडल के सभी अधिकारियो के पास जाने और जिहाजूरी करने के बाद भी किसान संतोष कुमार
की जमीन बचती नज़र नहीं आ रही है ! आखिर वो लोग क्या करे जिनके पास न तो मुकदमा लड़ने की हिम्मत है और नाही
पैसा है ऐसे में गरीब तो बस ये ही कह सकता है की-" हमें तो अपनों ने लूटा है गैरो में कहा दम था , मेरी कश्ती वही डूबी
जहा पानी बहुत कम था " !

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Tuesday, February 23, 2010

अरे सी. एम. मुझे सोसल वर्कर बना दो

बात ये कल की है , उनलोगों की है जो सोसल वर्कर होकर भी अपने ऊपर होता हुआ
शोषण नहीं रोक पाते है ! कल हम भी लखनऊ शहर पहुचे ,
एक इंटरवीऊ था ! पोस्ट थी 12 एक बैकलाग ,बाकी अदर मै भी पहुच कर बी.पी .अल की लाइन में खड़ा हो गया ,
कुल यूथ थे 200 ,टाइम 10.30 ,Date 22..2.2010 , मेरा भी नंबर शाम को 4.30 बजे आया मै भी तैयार था की
सारे पैनल में बैठे हुए अधिकारी मुझसे क्या पूछेगे ? जब एक के मुह से निकला की वीर रस के कवी का नाम बताओ
तो मै हैरान था ! मैंने कह दिया की जय शंकर प्रसाद जी , उनकी ही चार लाइन मैंने सुना भी दी जो की कुछ इस तरह थी ,
" दिखा दो कर्मठता सफलता पर को चूमे , सजा दो इस तरह गुलसन सुमन बिन कुञ्ज के झूमे ,किसी इतिहास में नया
पन्ना ऐसे नहीं जुड़ता , बनो ऐसे नगीना की हसीना खोजती घूमे ! " ये सुनकर एक महोदय के मुह से निकल ही आया
की या आप शायरी भी करते है ? अजी मैंने कह दिया मै तो बस आप लोगो का दिल रख रहा था मेरी ऐसे भाग्य
कहा , फिर बोले की समाज शास्त्र में दंड का सिधांत क्या है ? हमें कह की वो जो आज नहीं होता है जैसे की आप मुझे
ही देखे मै सुबह से यहाँ बैठा हू मगर किसी ने एक गिलास पानी भी नहीं पूछा और वाही सारे लोगो के सामने आप दिन भर
चाय - नास्ता कर रहे है अरे फिर के था वो तो नाराज ही हो गए , खैर कोई बात नहीं थी जैसे तैसे वहा से बाहर निलकर आया !
पर लगा की ये सारे लोग जो आज यहाँ लाइन में खड़े है कितने बेचारे है ? इस पोस्ट के लीये भी उत्तर प्रदेश की मुख्यामंतिरी महोदय
की डिमांड है 4,00000 रूपये ! भला वो लड़का जो की एक बाबु के परिवार से बिलांग करता हो और जिसके ऊपर भी तीन बड़े भाइयो
की जिम्मेवारी उनके पिता पर हो वो कहा से ये कीमत चुका सकते है जबकि उनका वो लड़का खुद इस सिस्टम के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है !
स्वाथ्य मंतिरी महोदय( श्री अन्टू मिश्र ) का पी. आर . ओं कह रहा था की आशीष जी आप इस चक्कर में मत पड़े आराम से कोई संस्था
चलाये जो और मदद होगी हम कर देगे ! खैर लखनऊ प्रवास के बाद मैंने सोचा की वो 52 करोड़ यूथ कैसे जिंदा रहते होगे जो की
सोसल वर्कर नहीं तो बाबु बनने के सपने अपने घर वालो के साथ देखते है ? अरे भइया जी यहाँ सोसल वर्कर मत बनिय्गा नहीं तो
फिर सी .एम .से कहना पड़ेगा की मुझे सोसल वर्कर बना दो ........कितनी लम्बी है ये भ्रस्टाचार की हुकूमत

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