Wednesday, November 17, 2010

www.bundelkhand.in and www.prawas.org

APPEAL: बुन्देलखण्ड क्षेत्र से अनवरत् जारी वनो, पहाड़ो, गिरते हुये जल स्तर के कारणों एवं प्रकृति के संसाधनो के अवैध दोहन के संन्दर्भ में

http://lh5.ggpht.com/_XpcuWNz7k5Y/TMaVo0u3-3I/AAAAAAAAD2c/5eXr1BhsVMI/stone-4.jpg.
महोदय,
आपके संज्ञान में उक्त विषय को केन्द्रित करते हुये अवगत कराना है कि गुजरे 20 वर्षो से भी अधिक समय की प्राकृतिक संसाधनो के दोहन एवं खनन की अमानवीय यात्रा को जारी रखते हुये ऐशिया के सर्वाधिक बाधों, जल संकट वाले क्षेत्र विशेष में योजनाबद्ध तरीके से जनपद बांदा, चित्रकूट, महोबा के विन्ध्य क्षेत्र के जंगल, पहाड़ो, उपजाऊ कृषि जमीनो की उर्वरा शक्ति को समूल नष्ट करने की साजिश उ0प्र0 की सरकार के प्रत्यक्ष समर्थन से खनिज विभाग द्वारा खनन के लिये पटटे धारको को खनिज निदेशालय के खनन मानको को अनदेखा करने की एवं प्राकृतिक सम्पंदा को मिटाने के उद्योग लगातार चलाये जा रहे है।
बतातें चले कि इस खनन उद्योग ने न सिर्फ बुन्देखण्ड को सूखा, आकाल, कम वर्षा, घटता हुआ वन क्षेत्र, विलुप्त होते हुये दुर्लभ वन्य जीव, जन्तुओं की त्रासदी, किसानो के पलायन, आत्महत्या की तरफ ले जाने का काम किया है वरन् जन सूचना अधिकार से उपलब्ध आकड़ो के अनुसार जनपद बांदा मे महज 1.21 प्रतिशत वन क्षेत्र, महोबा में 5.45 प्रतिशत,चित्रकूट 21.6 प्रतिशत, हमीरपुर में 3.6 प्रतिशत, झांसी में 6.66 प्रतिशत, जालौन में 5.6 प्रतिशत वन क्षेत्र शेष बचा है जबकि राष्ट्रीय वन नीति के मुताबिक 33 प्रतिशत वन क्षेत्र किसी भी जनपद के लिये अनिर्वाय है। उल्लेखनीय है कि बीते एक माह पूर्व केन्द्रीय खनिज निदेशालय के निदेशक, सचिव ऐ0के0 जैन ने मानको के अनुरूप पटटे धारको द्वारा खनन न किये जाने के चलते एक शिकायत कर्ता निवासी कबरई मोहल्ला विशाल नगर, जनपद महोबा मंगल सिंह के प्राथना  पत्र पर कार्यवाही करते हुये महोबा क्षेत्र में लगी हुयी कुल 330 खदानो मे से 87 खदानो, ठेकेदारो को नोटिस जारी करते हुये जिला खनिज अधिकारी महोबा को तत्काल प्रभाव से खनन बन्द किये जाने, मानको को दुरूस्त करने के निर्देश जारी किये थे जिस पर जिला खनिज अधिकारी ने न तो उस पर अमल करने का प्रयास करवाया बल्कि फर्जी रिर्पोटों के आधार पर खनिज निदेशालय को गुमराह करते हुये पुनः रूपये लेकर खदानो को शुरू करवा दिया है।
http://lh5.ggpht.com/_XpcuWNz7k5Y/TMaVophUKqI/AAAAAAAAD2Q/gBeUhbIkEeM/stone-1.jpg
गौरतलब है कि 1 अक्टूबर 2010 को असमय की जा रही खदान ब्लास्टिंग के कारण शाम 4.30 बजे 8 वर्षीय उत्तम प्रजापति पुत्र छोटे लाल प्रजापति निवासी विशाल नगर कबरई के खदान से तकरीबन 1 किलोमीटर दूर घर पर खेलते समय जाकर गिरे पत्थर से मौके पर ही मौत हो गयी थी। जिसमें पहाड़ मालिक छोटे राजा पर हत्या का मुकदमा क्राइम संख्या 1448/10 का अपराध जनपद महोबा कोर्ट में दर्ज हुआ है। अपराधी ने मृतक के परिवार जनो को डरा धमकाकर 1.5 लाख रूपये लाश की कीमत अदाकर मृतक पिता से हलफनामा थाने में दिलवाकर दर्ज रिर्पोट के विपरीत बयान लेने की कवायद की है। ऐसी घटनाये पिछले 20 वर्षो से खनन क्षेत्रो में घटित हो रही है जिसमे सैकड़ो मजदूर विकलांग, सिल्कोसिस, टी0वी0 के शिकार हो रहे हैं जिनकी न तो समाजिक सुरक्षा, बहु बेटियों की अस्मिता की रक्षा का ध्यान रखा जाता है और न ही खदानो में काम कर रहे बाल मजदूरों के अधिकारो, शिक्षा, पोषण की सुरक्षा का ख्याल रखा जाता है साथ ही यह भी अवगत कराना है कि बुन्देलखण्ड के दो जनपद में ही वन विभाग ने महोबा, हमीरपुर के वन कर्मियों पर 22.60.08.621 रूपयें वनो की देख रेख मे खर्च किया जिसकी सूचना इन्होने जन सूचना अधिकार में दी है। 2008-09 में बुन्देखण्ड के 7 जनपदों जो उ0प्र0 की सीमा में आते है पर नरेगा योजना से 10 करोड़ पौधे हरियाली के लिये लगवाये थें जो सिर्फ विभागीय आकड़ो मे दर्ज है फील्ड पर नही दिखते है। टूटते हुयें पहाड़ो को 300 मीटर नीचे और 200मीटर ऊपर तक खोदा जा रहा है जिसके कारण जमीनो से पानी तक निकल आया है जिसे खदान मालिक पाइप लगाकर मोटर द्वारा बाहर फ़ेंकते है साथ ही मात्र चित्रकूट धाम मंडल के महोबा जनपद में ही  2000 बड़े जनरेटर, 1500 ड्रिलिंग मशीने, सैकड़ो जे0सी0बी0 मशीने, हजारों ट्रको की आवाजाही, पत्थर टूटने व 30,000 हजार टन बारूद के उपयोग ने प्रदूषण बढ़ाकर जमीनो को बन्जर बनाने काम किया है। इस कारण हर वर्ष हजारो किसान रोजगार के लिये खेती छोड़कर शहरो की तरफ पलायन करता है और प्रत्येक वर्ष कम होती वर्षा से 3 मीटर तक भूगर्भ जल नीचे चला गया है। वहीं जंगलो के कटान दुर्लभ काले हिरन जनपद बांदा में मात्र 59 रह गयें है। अतः सादर निवेदन कर अनुरोध है कि बुन्देखण्ड में जारी अवैध खनन को तुरन्त रोका जाय और जल, जमीन, जंगल, जैव संम्पदा की रक्षा जनहित मे अनिवार्य रूप से की जाये।
सादर प्रेषित एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु सूचनार्थ।
भवदीय
आशीष कुमार,
प्रवास सोसाइटी, बांदा
Resource -  www.bundelkhand.in 

Tuesday, November 16, 2010

शुभ दीपावली 2010

हमारी शुभ दीपावली 2010 जनपद बांदा के नरैनी ब्लाक में कुछ इस तरह से गुजरी है की यहाँ का अधेरा तो 
मिटता ही नहीं है पिछले 63 सालो के बाद भी ना तो सरकाओ ने कभी जहमत उठाई है और ना ही यहाँ काम कर रहे बुंदेलखंड के बड़े स्वयं सेवी संगठनो ने शायद वे कभी सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों की माफिक मर्ज को खतम ही नहीं करना चहेते है 
मरीज ना रहे तो दावा का क्या मूल्य और समस्या ना हो तो ये N.G.O. कैसे लाखो के वारे न्यारे करेगे लेकिन इनकी पेट की भूख और जिंदगी को ज़ीने की चाहत ही इनको उजाले की तरफ ले जाने वाली साबित होगी .....शुभ दीपावली 2010 

Sunday, November 14, 2010

बुंदेलखंड में भूगर्भ जलस्तर 3 मीटर तक खिसका

Author: 
अमर उजाला/ 19 फरवरी 2010
अतिक्रमण और प्रदूषण का शिकार बांदा शहर का एक तालाबअतिक्रमण और प्रदूषण का शिकार बांदा शहर का एक तालाबपांच स्थानों पर 2 मीटर, 18 स्थलों पर 1 मीटर गहराया, केंद्रीय भूमि जल बोर्ड ने बारिश के बाद की स्थिति बताई, गर्मी में और नीचे जाएगा।
बांदा । ‘मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की’। बुंदेलखंड में भूगर्भ जलस्तर की यही स्थिति है। केंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा बुंदेलखंड में भूगर्भ जलस्तर के उपलब्ध कराए गए आंकड़े चौंकाने वाले हैं। तीन जनपदों के कुछ स्थानों पर जलस्तर 3 मीटर से अधिक नीचे खिसक गया है। 18 स्थानों पर एक मीटर से अधिक जलस्तर घटा है। यह स्थिति तीन माह पूर्व की है। भूमि जल बोर्ड ने अगस्त से नवंबर 2009 के आंकड़े बताए हैं।

जलस्तर ऊपर उठाने की बुंदेलखंड में तमाम केंद्रीय और राज्य सरकार की योजनाएं चल रही हैं। स्वंयसेवी संगठन भी जुटे हुए हैं। लेकिन नतीजा ‘ढाक का तीन पात’ बना हुआ है। हालात सुधरने के बजाए और बिगड़ रहे हैं। सूचना अधिकार अधिनियम के तहत केंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा उप्लब्ध कराए गए बुंदेलखंड के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। जल बोर्ड ने अगस्त से नवंबर 2009 के बीच बुंदेलखंड के जलस्तर का सर्वेक्षण कराया था। इसमें जो स्थिति सामने आई है उसके मुताबिक हमीरपुर जनपद के मोदहा, चित्रकूट जनपद के हरीसनपुरा और ललितपुर जनपद के मंडौरा में भूगर्भ जल स्तर तीन मीटर से अधिक नीचे चला गया है। मोदहा में 7.60 मीटर से बढ़कर 11.45 मीटर, हरीसनपुरा में 14.10 से 17.13 मीटर और मंडौरा में 3.3 से बढ़कर 7.10 मीटर गहराई पर पानी चला गया है। पांच स्थानों पर जलस्तर दो मीटर से ज्यादा नीचे खिसका है। इनमें बांदा जनपद का चिल्ला गांव, चित्रकूट जनपद का पसोज और हमीरपुर जनपद का खन्ना इंगहेटा व टेड़ा शामिल हैं। 19 से अधिक स्थानों पर एक मीटर से ज्यादा भूजल नीचे जा चुका है। इनमें बांदा, बंदौला, चित्रकूट में पुखरी पुरवा, प्रसिद्धपुर और रायपुरा, हमीरपुर में कुरारा, जालौन में डकोर किशोर मौजा, क्योंझारी, महोबा, चुर्खी, झांसी में दरुआ सागर, एरच, पंद्योहा मोड़ और ललितपुर में बांसी व वनपुर शामिल हैं। केंद्रीय भूमि जल बोर्ड ने यह सूचनाएं अखिल भारतीय बुंदेलखंड विकास मंच के राष्ट्रीय महासचिव नसीर अहमद सिद्दिकी को उपलब्ध कराई है। बुंदेलखंड के सभी सात जनपदों के 45 ब्लाकों में केंद्रीय भूमि जल बोर्ड ने 136 स्थानों पर भूगर्भ जलस्तर मापने के स्थान बनाए हुए हैं। गौरतलब है कि जलस्तर की यह हालत बारिश के बाद के दिनों की है। मार्च से जून तक की स्थिति और गंभीर होने के आसार हैं। सिद्दिकी ने कहा कि केन-बेतवा गठजोड़ से पहले भूगर्भ जलस्तर को बचाने की जरूरत है।

शहर भी संकट में, 65 सेमी प्रतिवर्ष गिरावट

भूगर्भ जल निदेशालय की सर्वे रिपोर्ट ने चेताया

बांदा। प्रदेश सरकार में कई रसूखदार मत्रियों के गृह जनपद का मंडल मुख्यालय बांदा शहर भी भूगर्भ जलस्तर संकट की चपेट में हैं। यहाँ तेजी से खिसक रहा जलस्तर प्रदेश के महानगरों से भी ज्यादा चिंताजनक है।

भूगर्भ जल निदेशालय ने बांदा शहर के बाशिंदो को निकट भविष्य में पानी के लिए होने वाली परेशानी से अगाह किया है। निदेशालय कि सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि भारी जल दोहन से बांदा शहर में प्रति वर्ष 65 सेमी. भूजल स्तर में गिरावट आ रही है। यह अन्य शहरों की तुलना में बहुत ज्यादा है। लखनऊ में मात्र 56 सेमी., कानपुर में 45 सेमी., झांसी में 50 सेमी. और आगरा में 40 सेमी. प्रतिवर्ष की गिरावट दर्ज की गई है। निदेशालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि बादा नगर में भूगर्भ की अनुपलब्धता सर्वाधिक गंभीर होते जा रही है। यहाँ जल संरक्षण एवं संवर्धन किया जाना नितांत आवश्यक है।

निदेशालय ने कहा है कि अनुयोजित शहरीकरण और बढ़ते कंक्रीटीकरण ने वर्षा जल को भूमि में समाहित होने के रास्ते लगभग बंद कर दिए हैं।

बचाव के प्रस्ताव ठंडे बस्ते में

बांदा। बुंदेलखंड में गहरा रहे भूगर्भ जल संकट को लेकर प्रदेश सरकार शायद गंभीर नहीं है। यही वजह है कि भूगर्भ जल विभाग द्वारा यहां के लिए बनाई गई कई योजनाएं धूल खा रही हैं। करीब पांच वर्ष पूर्व भूगर्भ निदेशालय ने कहा था कि बुंदेलखंड में जल संरक्षण और संग्रहण की प्रबल संभावनाएं हैं। वर्षा जल संचयन और संवर्धन से पेयजल उपलब्ध कराने के लिए भूगर्भ जल विभाग ने 2 करोड़ 7 लाख की एक योजना शासन को भेजी थी। इस पर आज तक कार्यवाही नहीं हुई। इसके अलावा बांदा में एक रेन सेंटर की स्थापना का भी प्रस्ताव किया था। इस सेंटर में यह सिखाने का प्रस्ताव है कि वर्षा जल को तकनीकी रूप से कैसे जमीन के अंदर भेजा जा सकता है। इच्छुक लोगों को प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारी और तकनीकी कर्मचारी प्रशिक्षण देंगें । सेंटर में एक छोटा पुस्तकालय भी होगा। जिसमें पानी से संबंधित किताबें और एटलस आदि भी होंगे। देश दुनियाँ में पानी के क्षेत्र में किए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों की सीडी और वीडियो फिल्म दिखाने की व्यवस्था भी होगी। यह प्रस्ताव भूगर्भ जल विभाग के तत्कालीन अभियंता एएच जैदी ने शासन को भेजे थे।

तालाब प्रदूषित, जैव रसायन पाए गए।

बांदा। मंडल मुख्यालय बांदा शहर के तालाब अतिक्रमण और प्रदूषण का शिकार हैं। भूगर्भ जल निदेशालय ने खबरदार किया है कि बांदा के तलाबों का 75 प्रतिशत प्रदूषण शहर के ठोस अवशिष्ट डंप करने, खुले शौच के लिए प्रयोग करने और रनऑफ आदि से हुआ है।

नबाब टैंक, प्रागी तालाब, छाबी तालाब, केदारदास तालाब, बाबा तालाब आदि में जैव रसायन ऑक्सीजन 6.5 मिलीग्राम से 15.5 मिलीग्राम तक प्रति लीटर हैं। वनस्पति और जीव-जंतु के लिए भूजल की कमी से नगर के पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा है।

यह भी कहा है कि बुंदेलखंड विंध्य पठारी क्षेत्र में स्थित नागर क्षेत्र बांदा सेंडीमेंट्स शैल समूह के अंतर्गत आता है। यहां का स्ट्रेटा की डिस्चार्ज क्षमता काफी कम है। जबकि प्रदेश में सबसे अधिक गहराई वाला जलस्तर क्षेत्र बेतवा और यमुना नदियों की पाटियों में पाया जाता है। इसमें बांदा, हमीरपुर, जालौन, झांसी, इटावा, आगरा और इलाहाबाद शहर स्थित हैं।
Resource -1-       http://hindi.indiawaterportal.org