Saturday, December 11, 2010

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बुन्देलखण्ड की प्रकृति का दोहन करने वाले भस्मासुरों को रोकना होगा

विन्ध्य बुन्देलखण्ड के चार जनपदों में क्रमशः बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर में बीते ढाई दशकों से अनवरत जारी प्राकृतिक सम्पदाओं का दोहन लगातार अमानवीय मनुष्य के कृत द्वारा किया जा रहा है। इन्ही के दुष्परिणामों को झेलता हुआ आम नागरिक जिसमें कि किसान, मजदूर, श्रमजीवी नागरिक पूरी तरह से तबाह  होनी की अन्तिम कगार पर हैं। इसी की एक बानगी है कि पिछले छः वर्षों से बुन्देलखण्ड के चित्रकूट धाम मण्डल बांदा के अन्तर्गत आने वाले चारों जनपदों में आकाल, आत्महत्या, कर्ज, सूखा एवं पलायन सुरसा की तरह मुंह बाये बढ़ता ही चला जा रहा है। 2005-07 से किसानों ने जहां सैकडों आत्महत्याओं के जरिये कर्ज से आजिज आकर बुन्देलखण्ड के भूमाफियाओं एवं प्रकृति का दोहन करने वाले व्यक्तिगत स्वार्थ निहित व्यक्तिओं को यह समझाने का भरसक  प्रयत्न कियां  की अब तो बुन्देलखण्ड के भस्मासुरों को हमारी वर्षों से प्यासी धरती को और उसके आसपास पर्यावरण के प्रहरी जल, जंगल, वन्य जीव एवं पहाड़ को न तो विस्थापित करने का काम हो  और न ही उन्हे खत्म किया जाये। क्योंकि इनके दुष्परिणाम ही यहां घटते हुए जलस्तर, बढ़ते हुए भू-प्रदूषण, कम होती वर्षा, विस्थापित होते हुए किसान-मजदूर और साल दर साल बदहाल खेती के महत्वपूर्ण कारक हैं। लेकिन अतिश्योक्ति तब होती है कि जब संवेदन शून्य इन भूमाफियाओं के जहन में उनके अस्कों की एक बूंद भी पत्थर बन चुकी हृदय को संवेदित न कर सकी।
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बताते चले कि पिछले एक माह से और विगत एक वर्ष से जनसूचना अधिकार के तहत उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर पर्यावरण बचाने की मुहिम में प्रयासरत प्रवास सोसाइटी ने 01 अक्टूबर 2010 से ही लोगों को लामबन्द करते हुए प्रकृति के अवैध खनन रोके जाने की गुहार की थी। इन्ही सब कारणांे को केन्द्रित कर संगठन ने बीते 03.12.2010 को मान्नीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एक जनहित याचिका (पी0आई0एल0) रिट दाखिल की है जिसकी सुनवाई कल 08.12.2010 को हुयी थी और आगामी 22 दिसम्बर 2010 को अगली सुनवाई है। इस जनहित याचिका में जिन लोगों को चिन्हित किया गया है उनमें प्रमुख सचिव माइन्स एवं मिनिरल्स उत्तर प्रदेश, प्रमुख सचिव वन एवं सामाजिक वानकी उ0प्र0, डिवीजनल फारेस्ट आफीसर महोबा एवं बांदा, सेन्ट्रल पोंल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड लखनऊ, स्टेट पाॅल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड, निदेशक लखनऊ, डायरेक्टर जनरल माइन्स एवं सेफ्टी रीजनल- गाजियाबाद को नामित किया गया है। गौरतलब है कि हाल ही मंे श्रम परिवर्तन अधिकारी जिला बांदा ने जो सूचनायें दी हैं उनके मुताबिक नौ से चैदह वर्ष के चिन्हित बाल श्रमिकों में से 1646 बालक तथा 425 बालिकायें बांदा में खतरनाक व्यवसाय में काम करते पाये गये हैं। वर्ष 2009 के पायलट सर्वेक्षण के मुताबिक 179 बालक बालश्रम में चिन्हित किये गये हैं वहीं अधिनियम 1986 (बालश्रम प्रतिषेध एवं विनियमन) में 14  वर्ष से कम आयु के बच्चों के नियोजन 13 व्यवसाय, 57 प्रक्रियाओं को खतरनाक व्यवसाय की श्रेणी में रखा गया है। इसका उल्लंघन करने वाले को एक हजार रूपये से बीस हजार रूपये तक का जुर्माना एवं एक वर्ष की सजा का प्रावधान है। साथ ही मान्नीय उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार बीस हजार रूपये अतिरिक्त बालश्रमिक की दर से वसूल करने का भी प्रावधान है।
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जिले में कार्यरत बालश्रम उन्मूलन परियोजना के अन्तर्गत केन्द्र सरकार द्वारा जनपद को 1,50,70,101.00 रूपये प्राप्त हुये हैं जिसमें की 85,08,928.00 रूपये खर्च हो चुके हैं एवं लगभग 74,00,000.00 रूपये ब्याज सहित अवशेष हैं। इसमें राज्य सरकार की कोई धनराशि सम्मिलित नहीं है। एक प्रमुख तथ्य यह है कि जनपद में कुल चालिस बालश्रम विद्यालय कार्यरत हैं। जिनमें पढ़ने वाले लगभग 800 बालश्रमिकों को कक्षा-5 एवं 8वीं की परीक्षा इसलिये नहीं दिलायी गयी क्योंकि वहां तैनात अनुदेशक एवं अध्यापकों को बालश्रम समिति द्वारा मानदेय ही नहीं दिया गया और 800 बालश्रमिक एक मरतबा फिर भिन्न-2 व्यवसायों को रोजी-रोटी का जरिया बनाकर बालश्रम में मशगूल हैं। हमीरपुर में 2180, महोबा में 1200 और बचपन बचाओ संघर्ष समिति के अनुसार बांदा में कुल 4000 बालश्रमिक हैं। जिन्हे बुन्देलखण्ड के खतरनाक व्यवसायों में जिसमें की अवैध खनन-खदान, बालू खदान, होटल, भिक्षावृत्ति, मजदूरी के साथ-साथ यौन उत्पीड़न में भी प्रताड़ित किया जाता है। इन्ही सब आपाधापी के बीच प्रवास ने आगामी सोमवार से ‘‘ बुन्देलखण्ड में खत्म हो रहे पहाड़, जंगल-जल एवं वन्य जीवों के पुनर्वास हेतु साजा पहल और हस्ताक्षर अभियान ’’ चलाने का संकल्प लिया है इसमें जनसहयोग, जन समर्थन की अगुवाई कर जमीन से जुड़े आम आदमी को भी बुन्देलखण्ड बचाने के लिये आत्म मंथन करने को प्रेरित किया जायेगा।


आशीष सागर, प्रवास सोसाइटी
 

कौन कराये बालश्रमिकों की परीक्षा


बुन्देलखंड के जिले में  चालीस  बालश्रम विद्यालय हैं, लेकिन आठ सौ  बालश्रमिकों की परीक्षा नहीं ली गयी। वहां तैनात अनुदेशक और अध्यापकों ने बालश्रमिकों की परीक्षा कराने से इनकार कर दिया...

जनज्वार ब्यूरो.  बुन्देलखण्ड के चार जनपद बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर में बीते ढाई दशकों से प्राकृतिक संपदाओं  की बेइतहां लूट जारी है। लूट के दुष्परिणामों   का असर किसानों, मजदूरों और अन्य श्रमजीवियों पर पड़ रहा है। घटता जलस्तर, भू-प्रदूषण,कम होती वर्षा,विस्थापित होते हुए किसान-मजदूर और साल दर साल बदहाल होती खेती इसके बड़ी सामान्य उदाहरण हैं।
इसी की एक बानगी है कि पिछले छः वर्षों से इन जनपदों में अकाल,आत्महत्या, कर्ज, सूखा एवं पलायन की समस्या सिर चढ़ कर बोल रही है। वर्ष 2005-07 सैकड़ों  किसानों-खेतीहर मजदूरों ने आत्हत्याएं की हैं। पिछले एक माह से और विगत एक वर्ष से जनसूचना अधिकार के तहत उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर पर्यावरण बचाने की मुहिम में प्रयासरत प्रवास सोसाइटी ने 01 अक्टूबर  2010 से ही लोगों को लामबन्द करते हुए प्रकृति के अवैध खनन रोके जाने की गुहार की थी।
संगठन ने तीन दिसंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल की थी जिसकी अगली सुनवाई 22दिसम्बर होनी है। इस जनहित याचिका में उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव माइन्स एवं मिनिरल्स उत्तर प्रदेश, प्रमुख सचिव वन एवं सामाजिक वानकी, डिवीजनल फारेस्ट ऑफिसर महोबा एवं बांदा, केंद्रीय प्रदुषण नियत्रंण बोर्ड लखनऊ, राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के निदेशक और जनरल माइन्स के निदेशक को नामित किया गया है।


बांदा का एक खदान: शिक्षा और रोटी इन पत्थरों की मुहताज

गौरतलब है कि हाल ही में बांदा के जिला श्रम अधिकारी ने जो सूचनायें दी हैं,उसके मुताबिक नौ से चौदह वर्ष के 1646 लड़के और 425 लड़कियां, बाल श्रमिेक के तौर पर खतरनाक कामों में लगे हुए हैं। वहीं वर्ष 2009के पॉयलट सर्वेक्षण के तहत 179 बालश्रमिक चिन्हित किये गये थे।

 कानून में अधिनियम 1986 (बालश्रम प्रतिषेध एवं विनियमन) के तहत चौदह वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए 13 व्यवसायों को और 57प्रक्रियाओं   के तहत काम कराने को खतरनाक माना जाता है और इसका उल्लंघन करने वाले को एक हजार रूपये से बीस हजार रूपये तक का जुर्माना एवं एक वर्ष की सजा का भी प्रावधान है।

दूसरी तरफ जिले में कार्यरत बालश्रमिकों के उन्मूलन की परियोजना के अन्तर्गत केन्द्र सरकार से बांदा जनपद को डेढ़ करोड़ रूपये प्राप्त हुये हैं जिसमें से 85लाख रूपये खर्च हो चुके हैं। इसमें  राज्य सरकार की कोई धनराशि सम्मिलित नहीं है। एक प्रमुख तथ्य यह है कि जनपद में  कुल चालिस बालश्रम विद्यालय कार्यरत हैं।

जिनमें पढ़ने वाले लगभग 800 बालश्रमिकों को कक्षा-5 और 8वीं की परीक्षा इसलिये नहीं दिलायी गयी क्योंकि वहां तैनात अनुदेशक और अध्यापकों को बालश्रम समिति द्वारा मानदेय ही नहीं दिया गया। जिसकी वजह से 800 बालश्रमिक एक मरतबा फिर भिन्न-2व्यवसायों को रोजी-रोटी का जरिया बनाकर बालश्रम में लगे रहने को मजबूद हुए हैं।

 हमीरपुर में  2180,महोबा में 1200 और बचपन बचाओ संघर्ष समिति के अनुसार बांदा में कुल 4000बालश्रमिक हैं। जिन्हें  बुन्देलखण्ड के खतरनाक व्यवसायों जैसे अवैध खनन, बालू खदान, होटल, भिक्षावृत्ति, मजदूरी के साथ-साथ यौन उत्पीड़न में भी प्रताड़ित किया जाता है।

इसलिए प्रवास ने आगामी सोमवार से बुन्देलखण्ड में खत्म हो रहे पहाड़, जंगल-जल एवं वन्य जीवों के पुनर्वास हेतु साझा पहल और हस्ताक्षर अभियान चलाने का संकल्प लिया है। इस अभियान में जनसहयोग,जन समर्थन की अगुवाई कर आमलोगों से बुन्देलखण्ड बचाने के लिये प्रेरित करने का भी संकल्प लिया गया है।

Thursday, December 09, 2010

पर्यावरण को बचाने की मीडिया खबरे

प्रवास के माध्यम से बुंदेलखंड में लगातार जारी पर्यावरण को बचाने की मीडिया खबरे एक नज़र में 
आपके जनसमर्थन में आभार !

मुहीम की कुछ मीडिया खबरे

बुंदेलखंड में प्रवास के माध्यम से जारी अवैध पहाड़ो के खनन और जंगल ,वनों के विनाश ,वन जीवो की बदहाली 
को लेकर चलाई जा रही मुहीम की कुछ मीडिया खबरे और जनांदोलन की झलकिया 
साभार - बांदा समाचार 

Sunday, December 05, 2010

बुंदेलखंड में RTE Rights के हालत- बांदा

जनपद बांदा में आज भी सरकारी और गैर सरकारी स्कूल में प्राइमरी विद्या की बहुत बुरी हालत है इसकी ही बानगी है यहाँ के ग्राम लुकतरा में खुले इस विद्यालय की विद्या जब हम जागरण टीम के साथ यहा पर पहुचे तो इस विद्यालय में आने वाले कुल 
143 बच्चो में से महज 75 ही आये थे साथ ही जब हमने एक क्लास 3 की
बालिका को खड़ा कर उनका नाम पूछा तो उसने वर्षा बतलाया लेकिन जब हमने उनसे नाम लिखने को कहा तो वो बच्ची 
अपना नाम बुपो लिख बैठी यही हालत क्लास 4 की थी जहा एक बालक से 5 के पहाड़े भी सुने गए और जब उनसे 50 लिखने को कहा गया तो वो सहज ही 1015 लिख बैठा क्या करे 143 बच्चो पर एक प्राध्यापक और दो शिक्छा मित्र और वो भी आराम तालाब हो तो बेचारी विद्या क्या कर सकती है ? ये ताजा घटना क्रम है हमारे बांदा का जहा आज भी लोग बुनियादी विद्या 
से महरूम है और क्या करेगा बेचारा RTE Rights जब सरकारी मास्टर साहब को सुधारना ही अब टेढ़ी खीर है !

विश्व एड्स दिवस 1.12.2010

1.12.2010 को पूरी दुनिया के साथ
प्रवास ने भी विश्व एड्स दिवस मनाया जो बांदा के राजकीय महिला महाविद्यालय में संपन हुआ इस एक दिवसीय कार्यक्रम 
और जन जागरूकता वाद - विवाद प्रतियोगता का विषय " एड्स बुंदेलखंड में गरीबी की उपज है या जानकारी आभाव "
रखा गया उपस्थित लोगो और जन प्रतनिधियो और युवा छात्राओ ने इसमे खुल कर भागेदारी और बोलने का 
साहस किया प्रवास ने विजई हुई छात्राओ को प्रसंसा पत्र देकर सम - मानित भी किया आगे भी इसको जारी रखा 
जायेगा ताकि बुंदेलखंड में युवा जो ग्राम से पलायन कर बाहर मजदूरी कने जाते है उनको और उनकी परवारिक पीढ़ी 
को इस भयावह बीमारी से निजात मिल सके बांदा में इस समय 193 HIV संक्रमित लोग पाए गए है जिसमे की 
47 Man and 35 Women है जिसमे की अधिकतर गर्भवती women  है
कुल 30,6,64 Test HIV AIDS बांदा में हो चुके है !

26 /11 नवम्बर 2010

जनपद बांदा के अशोक लाट चोराहे पर बीते 26 /11 नवम्बर को प्रवास
के कार्यकर्ताओ ने विश्व पर्यावरण दिवस और इसी दिन वर्ष २००८ -०९ को मुबई ताज बम ब्लास्ट में शहीद हुए अमर 
शहीदों को कैंडिल लाइट से अपनी शमवेदनाओ को जाहिर किया और लोगो की जन अगुवाई से इसको सफल बनाया 
ये दिन हर साल की तरह इस दफा भी सबको दिल से छू गया !

बुंदेलखंड के बांदा जनपद में शरद रितु में जारी जल संकट

बुंदेलखंड के बांदा जनपद  में शरद रितु में जारी जल संकट की एक बानगी है ये सूखे पड़े प्राकृतिक जल स्रोत जो बांदा के लुकतरा 
ग्रामीण की है इसको सन 2008 - 09 में निर्मल ग्राम का राष्ट्रपति पुरुस्कार भी मिल चुका है मगर लाखो की बर्बादी और
जनता के धन का बंदरबाट तो जग जाहिर है जहा नरेगा से बना माडल तालाब भी अपनी बदहाली की कहानी कहता है 
वही लोगो की गरीबी की दास्ताँ और महिलाओ के आज भी खुले में शोच जाने की सुबह सबेरे की तस्वीर इसकी ज़मीनी 
हकीकत भी बयान करती है ये कैसा निर्मल ग्राम है जो अपने जल कोही निर्मल और भरा - पूरा ना रख पाया है ?