Monday, December 26, 2011

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  • बांदा में बताई जाती  है खनिज अधिकारी की करोड़ों की बेनामी सम्पत्ति
  • करीबियों ने किये नजूल भूमि पर अवैध कब्जे
  • रिश्तेदारों को मिले गरीब कांशीराम आवास

आशीष सागर 

बांदा- आखिर क्या वजह है कि जिला खनिज अधिकारी महोबा जो पूर्व में जनपद बांदा में भी तैनात रह चुके हैं की पुरजोर कोशिश है कि गृह निवास से दूर न जाना पड़े।
जब पड़ताल की गयी तो सच बेनकाब होकर सामने आया। आम चर्चा है कि बांदा, महोबा में जिला खनिज अधिकारी मुइनुद्दीन रहमानी महोबा की करोड़ों की बेनामी सम्पत्तियां हैं। इतना ही नहीं इन्होंने अपने करीबी और चहेते रिश्तेदारों को क्रेशर, खदानों के पट्टे करवा रखे हैं। जब कभी बुन्देलखण्ड के जनपद महोबा में अवैध खनन के विरोध मे किसानोें का आन्दोलन हुआ तो जिला प्रशासन और जिला खनिज अधिकारी ने उसे कुचलने के लिए बखूबी भूमिका निभायी। मामला चाहे वर्ष 2010 में बन्द हुयी 87 खदानों का हो या फिर बीते 4 अक्टूबर से 13 नवम्बर तक ग्राम जुझार में बड़ा पहाड़ के ऊपर किसानों का अखण्ड कीर्तन को लेकर खण्डित हुआ एक समग्र आन्दोलन।
यही नहीं कहा तो यह भी जा रहा है कि मा0 शहरी गरीब कांशीराम आवासीय योजना में भी इनके कुनबों के लोगों को विधवा, विकलांग व अन्य गरीबों के नाम पर जनपद बांदा में आवास दिलाये गये हैं। नगर पालिका बांदा द्वारा जारी 345 अवैध कब्जेधारकों की नोटिस में जिला खनिज अधिकारी के रिश्ते नातों की आमद दर्ज बताई जाती है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि राज्य के कद्दावर कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी से इनकी करीबी पैठ है। 3-4 वर्षों से जनपद महोबा में जमे खनिज अधिकारी ने इस बीच काली कमाई खनिज राॅयल्टी, तहबाजारी से वसूल करके बनायी है।
स्ूत्रों का कहना है कि जनपद महोबा के ग्राम कहरा थाना-खन्ना में चल रहे इण्टरनेशनल ग्रेनाइट स्टोन क्रेशर में इनके बहनोई श्री अकील अहमद पुत्र पीर बक्स निवासी मर्दननाका समेत शकील अहमद पुत्र शईद अहमद, अकील अहमद पुत्र शईद अहमद निवासी तकियापुरा महोबा, जाहिदा खातून पत्नी फखरूद्दीन निवासी अलीगंज बांदा के नाम से संयुक्त रूप से यह क्रेशर संचालित हो रहा है। कहरा खदान में भी पट्टे के लिये उक्त लोगों ने आवेदन कर रखे हैं जिसकी प्रक्रिया चल रही है। इसी प्रकार ग्राम मकरबई में भी मंत्री पक्ष के दबंग लोगों के 70 एकड़ के पहाड़ पर पूर्व खनिज मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के रिश्तेदारों के साथ खनन के पट्टे हैं।
जनपद बांदा में रामलीला मार्ग पर खुले एस0बी0आई0 बैंक बिल्डिंग भवन को वर्ष 2008 में श्री सोहनलाल सहगल की पत्नी श्रीमती शकुन्तला सहगल से 85 लाख रूपये में रजिस्ट्री करवाया गया। जबकि चर्चा है कि इसकी कीमत एक करोड़ 20 लाख रूपये चुकायी गयी थी। यह बिल्डिंग जिला खनिज अधिकारी महोबा मुइनुद्दीन रहमानी के भाई और पेशे से बैंक वकील फजलुद्दीन रहमानी के नाम से बेनामी सम्पत्ति के रूप में दर्ज बताई जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि इसका पंजीकृत मालिक अजमल खान पुत्र फैयाज खान निवासी मर्दनना का है।
गौरतलब है कि एक बैंक वकील के पास इतनी रकम कहां से आयी कि वह करोड़ों की बिल्डिंग का मालिक बन गया ? या फिर जिला खनिज अधिकारी के पास यह रूपया कैसे और कहां से आया इसकी भी जांच होनी चाहिए। इनके बैंक खातों में कितनी सम्पत्ति जमा है, इन्होंने बीते पांच सालों में कितना आयकर चुकाया है इसकी भी जांच होनी चाहिए।
इसी प्रकार मा0 कांशीराम आवासीय योजना के तहत क्रम संख्या-82 शईद अहमद पुत्र अमीर बक्स निवासी परशुराम तालाब बांदा आवास संख्या-एच0जी0 38/594, श्रीमती फाकरा पत्नी स्व0 करीम बक्स निवासी मर्दननाका विधवा आवास संख्या-एन0एफ0 19/295 जो नजूल भूमि पर भी काबिज हैं। क्रम संख्या-177 व 207 मुख्य बात है कि जनपद बांदा में 445 अवैध कब्जे धारक नजूल भूमि पर हैं। श्रीमती पियरिया पत्नी स्व0 अमीर बक्स निवासी मर्दननाका को कांशीराम आवास संख्या-एन0एफ0 20/325, इन्हांेने नजूल भूमि क्रम संख्या- 171 में कब्जा कर रखा है। श्रीमती करीमन पत्नी स्व0 खुदा बक्स निवासी हाथीखाना मजार के बगल में अलीगंज को विधवा आवास संख्या-एच0आर0 46/728 दिया गया। वसीम अहमद पुत्र सलीम बक्स यह बी0पी0एल0 कार्ड धारक हैं जिन्हें कांशीराम आवास आवंटित किया गया। जिला खनिज अधिकारी महोबा से जुड़े ऐसे कई नाम हैं जिनकी यदि पड़ताल की जाये तो एक दशक पूर्व जनपद बांदा में यह परिवार तंगहाल जीवन बसर करता था। आज करोड़ों रूपयों की बिल्डिंग और आलीशान कोठियों के मालिक बने खनन माफियाओं की जमात में रिश्तेदारों के साथ खड़े जिला खनिज अधिकारी की सम्पत्ति पर प्रश्न चिन्ह उठना लाजमी है कि यह अवैध सल्तनत कैसे बनाई गयी है ?
आशीष दीक्षित सागर, बुंदेलखंड क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता एवं जन सूचना अधिकार एक्टिविस्ट है ,बुंदेलखंड में गुजरे तीन वर्षो से यह पर्यावरण - वन जीवो ,जल ज़मीन और जंगल को बचाने की मुहीम को लेकर सक्रिय है साथ ही वहां किये जा रहे खनन माफियाओ के काला सोना ( ब्लैक स्टोन ) की खदानों से टूटते पर्यावरण के इको सिस्टम को सहेजने के लिए लगातार बुन्देली बासिंदों , लोगो के बीच समाज कार्य करते है, लेखक बतोर प्रवास सोसाइटी के संचालक की भूमिका में किसान ,मजदूर ,महिलाओ और आदिवासियों के पुनर्वास का भी जन अभियान चलाने का बीड़ा उठाये है !
आशीष दीक्षित सागर, बुंदेलखंड क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता एवं जन सूचना अधिकार एक्टिविस्ट है ,बुंदेलखंड में गुजरे तीन वर्षो से यह पर्यावरण - वन जीवो ,जल ज़मीन और जंगल को बचाने की मुहीम को लेकर सक्रिय है साथ ही वहां किये जा रहे खनन माफियाओ के काला सोना ( ब्लैक स्टोन ) की खदानों से टूटते पर्यावरण के इको सिस्टम को सहेजने के लिए लगातार बुन्देली बासिंदों , लोगो के बीच समाज कार्य करते है, लेखक बतोर प्रवास सोसाइटी के संचालक की भूमिका में किसान ,मजदूर ,महिलाओ और आदिवासियों के पुनर्वास का भी जन अभियान चलाने का बीड़ा उठाये है !

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