Saturday, April 09, 2011

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(Report) -  ह्यूमन राइट्स ला नेटवर्क ने लिया मीरा रेप केस का संज्ञान


ह्यूमन राइट्स ला नेटवर्क ने लिया मीरा रेप केस का संज्ञान

  • बुन्देलखण्ड़ में बनेगा दलित मीरा हकदारी मंच
  • 11 दिनो तक होता रहा समूहिक दुराचार, नहीं लगा अभियुक्तों पर गैगेस्टर
बीते 26 मार्च को राजधानी लखनऊ के पे्रेस क्लब सभागार में ह्यूमन राइट्स ला नेटवर्क व यूरोपीयन यूनियन की संयुक्त जनसुनवाई कार्यक्रम में मानवाधिकार के हनन् मामलों को लेकर बहस छिड़ी रही। जनसुनवाई एक दिवसीय कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश की 30 स्वैच्छिक संगठनो ने लामबन्ध होकर राष्ट्रीय, राज्य मानवाधिकार आयोग को एक सिरे कटघरे मे खड़ा कर दिया।
[IMAGE] : Meetingबताते चले की 26 मार्च 2011 को सम्पन्न हुई मानवाधिकार संरक्षको की खुली चैपाल में ऐसे मामलें जिनको लेकर पीड़ित आयोग की शरण में पहुचें मगर फिर भी उनके ऊपर आजिज हुयी प्रताणना की गूंज आयोग में नहीं हुई। बैठक में तमाम स्वैच्छिक संगठनो द्वारा एक दो नही सैकड़ो मानवाधिकार हनन् के केशो की फेहरिस्त लगी रही जिनमे कहीं न कहीं इन्सान ही इन्सान के लिये उसके अधिकारो का अवरोधक साबित हुआ और इन सब के पीछे खड़े थे प्रशासनिक, आयोग के सिपहसलार। बुन्देलखण्ड़ के अपरचित सामूहिक दुराचार काण्ड़ मीरा रेप केश की कहानी, मीरा की बयानी बीते दिवस राजधानी में जमकर गूंजी। पीड़िता ने खुद पिता पुन्ना निवासी ग्राम महेदू, थाना चिल्ला विकास खण्ड तिन्दवारी के साथ अपने 11 दिनों की आप बीती बेबाकी से रखकर महिला उत्पीड़न की जो तस्वीर पेश की वह यह बतलाने के लिये काफी थी कि खण्ड-खण्ड बुन्देलखण्ड में हाशिये पर खड़ी महिला किस कदर समाज के लिये महज दिल बहलाने का फलसफा हैै। गौर तलब है कि 5 माह पूर्व 22.11.2010 को ग्राम महेदू में शाम 4.30 बजे अपने घर में अकेली दलित नाबालिक बालिका को उसी के पड़ोसी और आरोप के मुख्य अभियुक्त बिज्जू पुत्र मेवालाल निवासी महेदू के अन्य 4 आरोपियों के साथ गांव की बस्ती से टैम्पों में अपहरण कर ग्राम मकरी ले गये जहां पर एक रात रुकने के बाद उसे बन्धक बनाकर भरूवां सुमेरपुर में दो रात हवस का शिकार बनाया गया फिर जनपद बांदा के खाईपार मुहल्ला में आरोपियों ने अपने ही परचित के यहां पीडिता के 8 रात तक लगातार सामूहिक दुराचार का साधन समझकर नाबालिक बालिका की अस्मत को तार-तार कर किया जाता रहा।
जिस्म का यह घिनौना खेल जिला प्रशासन, पुलिस के आला अधिकारियों, दलित सरकार की मुखिया के सामने चलता रहा लेकिन पर्दा नशीन सरकार के मातहत लोग मूक दर्शक बनकर तमाशाइयों में खड़े बताये गये हैं। पीड़िता एक सुर में अपने ऊपर की जा रही ज्यादती के लिये न सिर्फ सजातीय लोगो को हैवानियत का पुरोधा बताया बल्कि राज्य मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग को भी प्रश्न चिन्ह में खड़ा कर दिया है। 9 दिनो बाद लिखी मामले की नामजद एफ0आई0आर0 के बाद हरकत मे आई पुलिस के द्वारा ग्राम मकरी में शिनाख्त के बाद बरामद की गयी पीड़िता को दो आरोपियों के साथ गिरफ्तार किया गया था। दुराचार की तहकीकात करने के बाद जब बालिका का मेडिकल जांच कराया गया तो बर्थ सर्टीफिकेट में महज 13 वर्ष की मीरा को बालिंग करार दिया गया। जांच रिपोर्ट में यह तो माना गया कि लडकी के साथ कई दिनो तक शारीरिक सम्बन्ध जबरस्ती बनाये गये है मगर नाबालिंग को वयस्क बतलाना मेडिकल रिपोर्ट को संशय की स्थिति में लाने के लिये काफी है।
[IMAGE] : Meetingजन सुनवाई कार्यक्रम में प्रदेश के नामी गिरामी मानवाधिकार कार्यकर्ता, समाजिक कार्यकर्ता के साथ-साथ माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता, पीयूसीयल के लोगो के बीच बुन्देलखण्ड का यह अन्जाना रेप केश जानकारों के नजर में बहुचर्चितशीलू काण्ड़ से एक कदम ऊपर था फर्क सिर्फ इतना है कि नाटकीय ढ़ंग से ड़ेढ महीने तक देश प्रदेश की मीडिया में सुर्खियां बनी रही शीलू खबर की तरह मीरा रेप केश सत्ता पक्ष के किसी विधायक या अभिनेता, राजनीतिक दल से सम्बंधित नही था। 11 दिनांे की पुलिसिया आॅख मिचैली और घटना के 9 दिनो पश्चात लिखी गई एफ0आई0आर0 रिपोर्ट के बाद भी महिला हिंसा का यह मामला बुन्देलखण्ड की किसी भी खबरियां गली में जगह नही पा सका तथा लाखों रूपये राहत के नाम पर चर्चित रेप केशो मे लुटाने वाले तबको ने गरीबी से जूझ रहे इस भूमिहीन, रोजगार विहीन परिवार पर एक रूपये की भी रहमों इनायत नहीं की है।
जन सुनवाई के पैनल बोर्ड ने बतौर ज्यूरी सदस्य डा0 रूप रेखा वर्मा, एस0एस0 दारा पुरी (पूर्व आई0पी0एस0) प्रदीप कुमार (रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय वी0सी0), रामकुमार, श्रुति नागवंशी (साझीं दुनियां) उपस्थिति रहीं वहीं हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के0के0राॅय, हर्ष मंदर, नेहा (जे0एन0यू0 रीडर मानवाधिकार), पी0वी0सी0एच0आर0 के डा0 लेलिन रघुवंशी ने बुन्देलखण्ड में दलित मीरा के उत्पीडन को सुनकर मीरा हकदारी मंच की घोषणा करते हुये कहा है कि अब दलित ही दलित का पैरोकार बने तो अच्छा है और उम्मीद करनी चाहिये की मानवाधिकार हनन् का अन्त व सुनहरे कल की सुबह कभी तो होगी। जनपद चित्रकूट से रूद्र प्रताप मिश्रा सहित समाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर कार्यक्रम उपस्थित रहे।
आशीष सागार, प्रवास