Saturday, August 20, 2011

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शहर शहर अन्ना की लहर

  • बुन्देलखण्ड के जनपद बांदा में उमड़ा अन्ना का सैलाब
  • जिला अधिवक्ता संघ ने किया सरकारी लोकपाल बिल का बहिष्कार
  • समाजसेवियों ने मनाया जन लोकपाल बिल संघर्ष दिवस
वो 73 साल का जर्जर बुजुर्ग आदमी है या फिर जेल की कोठरी में बंद कोई रोशनदान। पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुरूप पूरे देश की आवाम के साथ कदम से कदम मिलाते हुये बुन्देलखण्ड में भी अन्ना का जनसैलाब सड़कों पर उमड़ा पड़ा। आज सुबह से ही टी वी चैनलों में लगातार पल-पल अन्ना की खबरों पर लगे हुये कैमरों में जैसे ही समाजसेवी अन्ना हजारे सहित अरविन्द केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, वरिष्ठ आई0पी0एस0 महिला किरण वेदी, सप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण की घर से गिरफ्तारी करने की खबरें आयी मानो बुन्देलखण्ड की जमीन में अन्ना की आग लग गयी। क्या अधिवक्ता, क्या समाजसेवी और क्या फुटपाथ में फल बेंचने वाले श्रमजीवी नागरिक सभी के दिल में एक ही गुबार अन्ना तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं।
गौरतलब है कि सिविल सोसायटी द्वारा सरकार के समक्ष लोकपाल बिल विधेयक संख्या 39/2011 के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण सुझावों को शामिल करने की जिरह बीते दो माह से लगातार की जा रही है। मगर सरकार की ना नुकरी और तानाशाही रवैये के चलते अन्ना टीम के सुझावों को नकार कर लोकपाल बिल के दायरे से प्रधानमंत्री, न्यायपालिका, पंचायती राज और अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं को शामिल नहीं किया गया है। संघर्ष के लिये खुलकर आमरण अनशन का ऐलान कर चुके समाजसेवी अन्ना हजारे ने आज 16.08.2011 से केन्द्र सरकार द्वारा दिल्ली शहर के अन्दर कहीं पर भी आमरण अनशन की जगह न मुहैया कराने से जहां रोका जायेगा वहीं अनशन करेंगे का ऐलान बीते दो दिवस मीडिया चैनलों के सामने कर दिया था। सकते में पड़ी सरकार ने अन्ना टीम को जे.पी. पार्क मे अनशन की अनुमति तो दी मगर उसके साथ ही 22 शर्तों का पुलिन्दा अन्ना के समक्ष हलफनामा में स्वीकृति देकर अनशन करने की पेशकश कर दी। काफी सोच विचार के बाद अन्ना समेत अरविन्द केसरीवाल, मनीष सिसोदिया आदि ने दिल्ली पुलिस की 22 में से 16 शर्तों को मान लिया था लेकिन खाकी की आड़ में दिल्ली पुलिस की सरकार समर्थित गुण्डागर्दी ने अन्ना के हलफनामे को बैरंग वापस कर दिया। आज सुबह 7 : 45 पर अन्ना को उनके घर से दिल्ली पुलिस के द्वारा गिरफ्तार करने की बाद जैसे ही मीडिया चैनलों में गिरफ्तारी की खबरें चलने लगीं।
पूरे देश में अन्ना की आंधी एक साथ उड़ने लगी। इसी कड़ी में बुन्देलखण्ड के भूखे-सूखे जनपद बांदा में भी अन्ना के समर्थन में जिला अधिवक्ता संघ ने हड़ताल घोषित करते हुये सरकारी लोकपाल बिल का बहिष्कार कर दिया है। समाजसेवियों ने सरकारी लोकपाल बिल की प्रतियों को आग के हवाले करते हुये केन्द्र सरकार को यह चेतवानी दे डाली की हर हाल में देश को अन्ना का मुकम्मल जन लोक पाल विधेयक की भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिये चाहिये। सड़कों पर पैदल मार्च करते हुये सरकारी बिल की प्रतियों को हवा में उड़ा उड़ाकर जलाया गया है। उधर व्यापारियों ने भी अन्ना के समर्थन में बाजार बन्दी की घोषणा कर महेश्वरी देवी चैराहे पर नेताओं की बुद्धि-शुद्धि के लिये यज्ञ का आयोजन किया गया। स्कूल के बच्चों में भी देश के दूसरे गांधी अन्ना हजारे के समर्थन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने की खबरें हैं। प्रदर्शनकारियों मंे शामिल समाजसेवी आशीष सागर, अधिवक्ता संघ के पूर्व उपाध्यक्ष देवप्रसाद अवस्थी, एडवोकेट अनिल शुक्ला, रणविजय सिंह, राजेश शुक्ला, संजय निगम, जितेन्द्र कुमार, प्रेमसागर दीक्षित, आशुतोष पाण्डेय सहित योगेन्द्र प्रताप सिंह आदि लोग उपस्थित रहे, मगर कहीं न कहीं देश के अन्य राज्यों की बनिस्बत बुन्देलखण्ड के अन्य जनपदों में अन्ना के आन्दोलन की वो गूंज नहीं सुनाई पड़ी जो शहर-शहर अन्ना की लहर दिल्ली, गाजियाबाद, झारखण्ड, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, कोलकाता आदि राज्यों में बढ़ चढ़कर रही है।
आशीष सागर, प्रवास

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मृतक कर्जदार किसान का अनाथ पुत्र आमरण अनशन पर

  • दो माह गुजर जाने के बाद भी नहीं मिली किसान के बच्चों को सरकारी मदद
  • किसान आत्महत्याओं के दौर में नाबालिग भी बैठा है अनशन पर
थाना फतेहगंज क्षेत्र के ग्राम बघेलाबारी के कर्जदार किसान सुरेश यादव ने बीते 18 जून 2011 को अपने ही खेत में आत्महत्या कर ली थी। सुरेश यादव पर बैंक का 21 हजार रूपया और साहूकार का 50 हजार रूपया ऋण बकाया था। कर्ज और मर्ज के बीच झूलता सुरेश यादव अपनी दो बीघा जमीन बैंक में बंधक रखे जाने से और जवान होती बिटिया, बच्चों की पढ़ाई, परवरिश से तंगहाली के कारण इतना दुखी था कि उसने सोते हुये बच्चों को घर में अकेला छोड़कर जिन्दगी से दूर जाने का फैसला कर लिया। इधर किसान की मौत के बाद मीडिया में प्रकाशित हुयी खबरों से आनन-फानन में हरकत में आये तत्कालीन जिलाधिकारी कैप्टन ए0के0 द्विवेदी द्वारा किसान पुत्र को मदद के नाम पर एक हजार रूपये का झुनझुना पकड़ा दिया गया और मीडिया के सामने तमाम बड़े वादे किये गये जो आज भी वादे ही हैं।
अफसरों की देहरी में दो महीने से नाक रगड़ने के बाद भी जब तीन अनाथ बच्चों की किसी ने नहीं सुनी तो जिला प्रशासन के नक्कार खाने में ढोल बजाने के लिये किसान के पुत्र विकास यादव ने 16.08.2011 से अनिश्चितकालीन आमरण अनशन शुरू कर दिया है। बकौल विकास का कहना है कि मुझे आश्वासन और वादा नहीं लिखित कार्यवाही चाहिये। उसने वही मांग की है जो तत्कालीन जिलाधिकारी कैप्टन ए0के0 द्विवेदी ने वादों के रूप में मीडिया के सामने कही थी। किसान पुत्र की मांगों में कृषक बीमा योजना से पिता की आकाल मौत के चलते एक लाख रूपये मुआवजा, इन्दिरा आवास, मुफ्त शिक्षा, खाद्य सुरक्षा, कर्ज माफी कर बैंक से बंधक रखी जमीन वापस दिलाने की मांग की है। इधर इलाहाबाद हाईकोर्ट में विधि छात्रों द्वारा बुन्देलखण्ड की किसान आत्महत्याओं को लेकर दाखिल की गयी जनहित याचिका पर सख्त कदम उठाते हुये उच्च न्यायालय ने कोर्ट के आदेश आने तक कर्ज वसूली पर रोक लगा दी है। मगर सैकड़ों किसानों को बैंक द्वारा नोटिस चन्दे की रसीद की तरह थमाये जा रहे हैं।
गौरतलब है कि मृतक किसान के पुत्र को उसकी पिता के पोस्टमार्टम की रसीद के लिये भी विभाग के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं जिसके लिये 300 रू0 सुविधा शुल्क की मांग की गयी है। वहीं जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा पारिवारिक लाभ योजना से 20 हजार रूपये का बैंक ड्राफ्ट विकास के खाते के नाम जारी करते हुये मदद की पहल की गयी थी लेकिन उस पर भी सरकारी विभाग की लापरवाही और हीलाहवाली का हथौड़ा पड़ चुका है।
आशीष सागर, प्रवास

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आरोपो की पैबन्द में गुलाबी गैंग

  • भारतीय किसान यूनियन की महिला इकाई ने खोला मोर्चा
  • छेड़खानी, लूट और जान से मारने की धमकी से आजिज दो दर्जन महिलाऐं क्रमिक पर अनशन पर
  • समाज सेवियों ने जलाया गुलाबी गैंग का पुतला
सिलसिलेवार आरोप दर आरोप में घिरती जा रही सम्पत पाल पर एक दफा फिर आरोपों की पैबन्द में है। मण्डल मुख्यालय बांदा में भारतीय किसान यूनियन की नगर महिला अध्यक्ष अकीला ने दो दर्जन महिलाओं के साथ गुलाबी गैंग के तथाकथित सदस्यों पर छेड़खानी, लूट और जान से मारने की धमकी देने के साथ-साथ यूनियन की महिलाओं पर फर्जी मुकदमे दर्ज करवाकर उत्पीड़न के आरोप में बीते दो दिवस से अशोक की लाट पर क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है।
हाल ही में ग्राम खरौंच निवासी दलित लड़की नीलम ने गुलाबी गैंग की मुखिया सम्पत पाल के ऊपर बन्धक बनाकर कई दिनो सामूहिक दुराचार करवाये जाने के आरोप लगाये थे। जिसकी गर्मी बुन्देलखण्ड के साथ आस पास के जनपदों में भी महसूस की गयी थी। मामले की जांच पड़ताल में जुटी यू0पी0 पुलिस ने सम्पत पाल और नीलम के द्वारा एक दूसरे पर लगाये लूट के आरोपों के चलते चुप्पी साध ली थी। कुछ संगठनों ने गुलाबी गैंग के आचरण पर सवालिया निशान खड़ा करते पूर्व में भी गैंग की महिला सदस्यों की ओर से मदद के नाम पर धन उगाही करने के गम्भीर आरोप लगाये थें लेकिन मामला तूल नही पकड़ सका।
इधर भारतीय किसान यूनियन की नगर महिला अध्यक्ष अकीला ने भी गुलाबी गैंग के सदस्यों में प्रमुख लोगो पर छेड़खानी, लूट और जान से मारने की धमकी देकर फर्जी मुकदमों में फसायें जाने के आरोप लगाये है। संगठन की दो दर्जन महिलाऐं बीते दो दिवस से क्रमिक अनशन पर बैठी है। अनशन में शामिल महिला रसीदा, कल्लो, राजाबाई त्रिपाठी, चांदनी व डा0 अच्छेलाल निषाद सहित कमलेश दीक्षित ने गुलाबी गैंग पर सख्त कार्यवाही करने की प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन से मांग की है। आज अनशन पर बैठी महिला सदस्यों ने किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष मनरूप सिंह परिहार (भानु गुट) ने गुलाबी गैंग का पुतला जलाकर विरोध प्रदर्शन किया है। उनका कहना है कि सम्पत पाल अपने सदस्यों के साथ महिला अधिकारों के लिये नही बल्कि महिला उत्पीड़न के लिये काम कर रही है। स्थानीय मीड़िया और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा चुकी सम्पत पाल, गुलाबी गैंग की जमीनी हकीकत को भ्रामक व गलत तथ्यो के साथ बुलन्दी पर पहुंचाया गया है। इसी बात का खामियाजा बुन्देलखण्ड की ग्रामीण महिलाओं, अल्पसंख्यक समुदाय को भुगतना पड़ रहा है। सच जो भी हो लेकिन उत्पीड़न की फिरकापरस्ती में चैतरफा घरती जा रही सम्पत पाल के लिये बुन्देलखण्ड में अब कामयाबी के राहें आसान नही होंगी।
आशीष सागर, बांदा