Tuesday, September 06, 2011

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क्रशर के गुबार में खतम होती जिंदगी

क्रशर के गुबार में खतम होती जिंदगी ,
प्रकृति को मिटाएगी अमानवीय दरिंदगी ,
क्रशर के गुबार में खतम होती जिंदगी !
दबंग और माफिया पहाड़ को उजाड़ते ,
पेड़ - हरयाली सब मिलकर उखाड़ते ,
विनाश की शर्त पर विकास की ये बानगी.....
क्रशर के गुबार में ख़तम होती जिंदगी !
डस्ट व प्रदूषण ने खेत तक बंजर किये ,
खेतिहर किसान खेती बिन कैसे जिए ?
क्रशर की मंडी में पत्थर को तोड़ता बालश्रम ,
महिला की आबरू का घुटता यहाँ पे दम ,
हतोड़े के माकूल मजदूरी मिलती नहीं ,
भूखे पेट मजलूम की सांसे चलती नहीं ,
राजस्व की आड़ में गुंडा टैक्स की गंदगी ,
क्रशर के गुबार में खतम होती जिंदगी !
पत्थर - बारूद ने पानी को लूटा है ,
अवैध ब्लास्टिंग से सैकड़ो का घर टूटा है ,
सूखा, पलायन से बदहाली किसान की ,
अस्मत बीमार हो गई है इंसान की ,
हवाओ में इस कदर जहर घुलने लगा ,
सिल्कोसिस ,टी.वी.,दमा का फैशन चलने लगा ,
सांसद - नेता करते गुंडों की बंदगी ,
क्रशर के गुबार में ख़तम होती जिंदगी .......!
By: आशीष सागर , प्रवास
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Sunday, September 04, 2011

Poetry.........
क्रशर के गुबार में खतम होती जिंदगी ......!
क्रशर के गुबार में खतम होती जिंदगी , 
प्रकृति को मिटाएगी अमानवीय दरिंदगी ,
क्रशर के गुबार में खतम होती जिंदगी !
दबंग और माफिया पहाड़ को उजाड़ते ,
पेड़ - हरयाली सब मिलकर उखाड़ते ,
विनाश की शर्त पर विकास की ये बानगी.....
क्रशर के गुबार में ख़तम होती जिंदगी !
डस्ट व प्रदूषण ने खेत तक बंजर किये ,
खेतिहर किसान खेती बिन कैसे जिए ?
क्रशर की मंडी में पत्थर को तोड़ता बालश्रम ,
महिला की आबरू का घुटता यहाँ पे दम ,
हतोड़े के माकूल मजदूरी मिलती नहीं ,
भूखे पेट मजलूम की सांसे चलती नहीं ,
राजस्व की आड़ में गुंडा टैक्स की गंदगी ,
क्रशर के गुबार में खतम होती जिंदगी !
पत्थर - बारूद ने पानी को लूटा है ,
अवैध ब्लास्टिंग से सैकड़ो का घर टूटा है ,
सूखा,पलायन से बदहाली किसान की ,
अस्मत बीमार हो गई है इंसान की ,
हवाओ में इस कदर जहर घुलने लगा ,
सिल्कोसिस ,टी.वी.,दमा का फैशन चलने लगा ,
सांसद - नेता करते गुंडों की बंदगी ,
क्रशर के गुबार में ख़तम होती जिंदगी .......!
- आशीष सागर ,प्रवास,बांदा