Tuesday, October 25, 2011

बलात्कार के आरोपी मंत्री के बचाव में सामाजिक संगठन

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दद्दु प्रसाद बुन्देलखंड   के तीसरे नेता हैं जिनपर एक साल के भीतर बलात्कार करने और करवाने का आरोप लग रहा है। इससे पहले नरैनी के बसपा विधायक पुरूशोत्तम नरेश  द्विवेदी पर बलात्कार करने और मानिकपुर से विधानसभा प्रत्याशी  संपत पाल पर बलात्कार करवाने के आरोप लग चुके हैं...
आशीष  
उत्तर प्रदेश  के विधानसभा चुनावों के दिन जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं, बसपा सरकार के पाप के घड़े में अटे पड़े नेता कूद-कूद कर राज्य में हो रहे गुनाहों की गिनती बढ़ाते जा रहे हैं। अकेले बूंदेलखंड के बांदा जिले की जेल में जनवरी से अबतक एक विधायक समेत चार बसपाई दिग्गज बलात्कार और हत्या के आरोप में बंद हो चुके हैं, जबकि चित्रकूट के बसपा विधायक और ग्रामीण विकास मंत्री दद्दू प्रसाद पर बलात्कार करने और करवाने के ताजा आरोप एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा लगाये जा रहे हैं। 
सामाजिक कार्यकर्ता और पीडि़ता कमला ने आरोप लगाया है कि राज्य के कैबिनेट मंत्री दद्दू प्रसाद और उनके निजी सचिव अंगद द्वारा नौकरी का लालच देकर 2005 से उसका लगातार यौन शोषण  कर रहे हैं। पीडि़ता ने पुलिस को दी अपनी तहरीर में यह भी कहा है कि मंत्री के निजी सचिव अंगद से उसकी विधिवत शादी हुई है और उसका उसने एक बार गर्भपात भी कराया है। पीडि़ता के मुताबिक इस बीच मंत्री दद्दू प्रसाद ने उसके साथ बांदा सर्किट हाउस में भ्ज्ञी दो बार दुराचार किया है।
पीडि़ता की तहरीर के आधार पर पुलिस ने 24 अक्टूबर को पीडि़ता का अल्ट्रासाउंड कराया, मगर उसमें गर्भधारण किये जाने की पुष्टि  नहीं हो सकी है। इस बारे में सामाजिक संस्था ह्युमैन ला नेटवर्क से कमला के वकील रूद्र प्रताप मिश्र ने कहा कि ‘अब अल्ट्रासाउंड का क्या मतलब। पुलिस और प्रशासन पीडि़ता को लगातार परेशान  कर रहा है कि वह किसी तरह मुकदमें से दद्दु प्रसाद का नाम वापस ले ले।’
गौरतलब है कि दद्दु प्रसाद बुन्देलखंड   के तीसरे नेता हैं जिनपर एक साल के भीतर बलात्कार करने और करवाने का आरोप लग रहा है। इससे पहले नरैनी के बसपा विधायक पुरूशोत्तम नरेश  द्विवेदी पर बलात्कार करने और मानिकपुर से विधानसभा प्रत्याशी  संपत पाल पर बलात्कार करवाने के आरोप लग चुके हैं। बलात्कार की इन सभी घटनाओं में पीडि़ता दलित और पिछड़ी जाति की रही हैं।
दद्दु प्रसाद पर लग रहे इस आरोप में नया बस यह है कि उनके बचाव में पहली बार कुछ सामाजिक संगठन उतरे हैं, अन्यथा सामाजिक संस्थाएं ऐसे मसलों पर एक स्वर में पीडि़तों के पक्ष में लामबंद होती रही हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मंत्री बनने से पहले दद्दु प्रसाद और उनकी पत्नी हीरादेवी गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल भाई की संस्था अखिल भारतीय सेवा संस्थान, चित्रकूट में बरगढ़ क्षेत्र के एक ग्रामीण कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे थे।
बसपा सदस्य बनने पर दद्दु प्रसाद इसी क्षेत्र से चुनाव लड़े और जीते। फिलहाल दद्दू प्रसाद चित्रकूट से बसपा विधायक हैं और गोपाल भाई के बेटे कुलदीप सिंह बसपा से निर्विरोध चुने गये ब्लाक  प्रमुख। जाहिर तौर पर मंत्री जी के वरदहस्त के बगैर सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल भाई के बेटे को निर्विरोध चुने जाने की कोई वजह नजर नहीं आती। बहरहाल सामाजिक कार्यकर्ताओं और भ्रष्ट नेताओं का यह खुला गठजोड़ बिरले ही देखने को मिलता है।
सक्रिय राजनीति में आने से पहले दद्दू प्रसाद चित्रकूट जनपद के चर्चित समाजसेवी गोपाल भाई के अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान में 1500 रूपये की मासिक पगार पर नौकरी किया करते थे। उनके पहले दद्दू के पिता श्री भाऊ जी भी गोपाल भाई के मार्गदर्शक की भूमिका में लगातार सक्रिय रूप से जुड़े रहे हैं और यह सिलसिला आज भी यथावत जारी है।
बुन्देलखण्ड की राजनीति में एक और शीलू बनकर दर्ज हुआ कमला काण्ड कमोवेश एक और बसपा नेता के दुराचार में षड्यन्त्र या साजिश के रूप में  दिखाई दे रहा है। कमला की माने तो अंगद और वह सर्वोदय सेवा आश्रम में एक साथ काम किया करते थे। इस बात की पुष्टि  संस्था के प्रमुख अभिमन्यु सिंह ने भी की है।
गौरतलब है कि विधायक से मंत्री बनने के बाद दद्दू प्रसाद बसपा के कर्मठ और बाहुबलि नेता बनकर उभरे और वे दिनों दिन बेनाम करोड़ो की सम्पत्ति के मालिक भी बनते चले गये। निजी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दद्दू प्रसाद ने बसपा के पांच सालों में राजभोग के बदले जो अकूत दौलत बनाई है उसमें बानगी स्वरूप पहाड़ी राजापुर में एक पेट्रोल पम्प, चित्रकूट बस स्टैण्ड के सामने दीपक टाकीज का सौदा, कालूपुर में अपने आवास से जुड़ी हुई सरकारी रोड पर कब्जा, रामनगर ब्लाक में एक इण्टर कालेज और पत्नी के नाम एक ट्रैक्टर एजेन्सी के साथ-साथ तमाम करीबी लोगों के नाम सैकड़ों बीघा जमीनें खरीदी हैं।
पिछले दिन विधानसभा 2012 में बसपा ने दद्दू प्रसाद की पत्नी हीरा देवी को मानिकपुर सीट से चुनाव में उतारा था। जो अब बदलकर चन्द्रभान पटेल (पी0डब्लू0डी0 ठेकेदार) के खाते में चला गया है। इसके पीछे भी चित्रकूट जनपद में बन रहे चैकडैम में संयुक्त पार्टनरशिप और लाखों की हेराफेरी की चर्चायें गर्म हैं। बड़ी बात है कि सामाजिक कार्यकर्ता से मंत्री बनने के बाद जहां दद्दू प्रसाद ने अखिल भारतीय समाजसेवा संस्थान पर अपनी शीतल छाया बनाये रखी। वहीं सर्वोदय सेवा आश्रम से एकतरफा बेरूखी भी की।
पीडि़त कमला ने अपने बयानों में स्पष्ट कहा है कि नौकरी के नाम पर अंगद और दद्दू प्रसाद ने वर्ष 2005 से मेरे साथ एक दिन में दस-दस बार दुराचार किया है। इस बीच मैं एक बार गर्भवती भी हुई जिसका गर्भपात अंगद ने इलाहाबाद के एक अस्पताल में करवाया था। जनपद बांदा के सर्किट हाउस में दो बार दद्दू प्रसाद को दुराचार में आरोपित करने वाली कमला इज्जत की लड़ाई में शीलू को अपना आदर्श मानती है।
यूं तो बुन्देलखण्ड में गरीबी और बदहाली के बीच समाज सेवा की फसल का उत्पादन बहुत ऊंचे सोपान पर हुआ है। लेकिन कुछ सामाजिक संगठन ऐसे भी हैं जिनका अब राजनीतिकरण हो चुका है। अगर यूं ही बुन्देलखण्ड में राजनेता दुराचार में आरोपित होते रहे और समाजसेवी उनके बचाव में उतरते रहे तो जनता की मुश्किलें और बढ़ती चली जायेंगी। 

Sunday, October 23, 2011

गलियाँ बोली मैं भी अन्ना !

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गलियाँ बोली मैं भी अन्ना, कूचा बोला मैं भी अन्ना।
समय देखकर, काम छोड़कर-जनता बोली मैं भी अन्ना।।
भ्रष्टतन्त्र का मारा बोला, मंहगाई से हारा बोला।
बेबस और बेचारा बोला, मैं भी अन्ना-मैं भी अन्ना।।
जोश बोला, होश बोला, बेजुबान बोला मैं भी अन्ना।
युवा शक्ति का रोष बोला मैं भी अन्ना-मैं भी अन्ना।।
साधु बोला, योगी बोला मैं भी अन्ना-मैं भी अन्ना।
रोगी बोला मैं भी अन्ना, भोगी बोला मैं भी अन्ना।।
गायक बोला मैं भी अन्ना, नायक बोला मैं भी अन्ना।
दंगो का खलनायक बोला मैं भी अन्ना-मैं भी अन्ना।।
कर्मनिष्ट कर्मचारी बोला, लेखपाल पटवारी बोला।
घूसखोर अधिकारी बोला मैं भी अन्ना-मैं भी अन्ना।।
मुम्बई बोली मैं भी अन्ना, दिल्ली बोली मैं भी अन्ना।
नौ सौ चूहे खाने वाली बिल्ली बोली मैं भी अन्ना।।
डमरू बजा मदारी बोला, नेता खद्दरधारी बोला।
जमाखोर व्यापारी बोला मैं भी अन्ना-मैं भी अन्ना।।
अधिवक्ताओं की टोली बोली, किन्नर समाज की चुप्पी बोली।
शोषित किसान की आहें बोली मैं भी अन्ना-मैं भी अन्ना।।
भारत की सरकार है अन्ना, कालाधन व्यापार है अन्ना।
जागो भारत, करवट बदलों, यहां रिश्वत् का अधिकार है अन्ना।।
सिओ सिटी का ड़ण्ड़ा बोला, मथुरा वाला पण्ड़ा बोला।
एन0जी0ओ0 का पैसा बोला मैं भी अन्ना-मैं भी अन्ना।।
निर्धन जन की तंगी बोली, गरीबी भूखी-नंगी बोली।
हिरोइन अधनंगी बोली मैं भी अन्ना-मैं भी अन्ना।।
मिलकर सारे प्यारे बोलो मैं भी अन्ना, मैं भी अन्ना।
चन्दा, सूरज, तारें बोलो, खामोश और बेचारे बोलो।।
मैं भी अन्ना, मैं भी अन्ना।।
By: आशीष सागर