Tuesday, November 06, 2012

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आमदनी कम संपत्ति ज्यादा

लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने बसपा नेता व विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ अपने अधिकारों के दुरुपयोग और आय से अधिक संपत्ति की शिकायतों को प्रथम दृष्टया सही माना है और सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश की है। लोकायुक्त ने साथ ही सरकार से नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके करीबियों द्वारा नजूल की जमीन पर किए गए अवैध कब्जे हटाने और नियमों के विपरीत आवंटित पट्टे निरस्त करने का आग्रह भी किया है। 
मालूम हो कि बांदा के आशीष सागर ने नवंबर में लोकायुक्त के समक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ बांदा में अकूत संपत्ति एकत्र करने की शिकायत दर्ज कराई थी। सिद्दीकी भी बांदा जिले के निवासी हैं। लोकायुक्त पहले भी नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ लखनऊ व बाराबंकी में भी संपत्ति अर्जित करने के साथ ही अधिकारों के दुरुपयोग की एक अन्य शिकायत पर सीबीआइ जांच की सिफारिश कर चुके हैं। मायावती सरकार ने उस सिफारिश को खारिज कर दिया था। लोकायुक्त ने उसे दोबारा अखिलेश सरकार को भेजा, जिस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। शुक्रवार को दूसरे मामले में भी नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ सीबीआइ जांच की सिफारिश अखिलेश सरकार के पास पहुंच गई। आशीष सागर की शिकायत पर करीब दस महीने की जांच में लोकायुक्त ने पाया कि मंत्री पद पर रहते हुए सिद्दीकी ने अधिकारों का जमकर दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित की, नियमों के विपरित करीबियों को पट्टे आवंटित किए। यही नहीं पूर्व मंत्री के संरक्षण में परिवारजनों व कई करीबियों ने नजूल की भूमि पर बड़े पैमाने पर अवैध कब्जा किया, जो बरकरार है। पांच कंपनियों में करोड़ों निवेश : लोकायुक्त ने बताया कि मंत्री ने करोड़ों रुपये बेटे की कंपनियों में लगा रखे हैं। इस सिलसिले में पूर्वमंत्री के पुत्र अफजल को आठ बार पूछताछ के लिए बुलाया गया, लेकिन वह एक बार आया उसमें भी उसने लोकायुक्त से कहा कि वह कोई लोक सेवक नहीं है, लिहाजा उसे पूछताछ के लिए बुलाया नहीं जा सकता। लोकायुक्त के मुताबिक पड़ताल में पाया गया कि अफजल की पांच कंपनिया दिल्ली कानपुर व अमरोहा में रजिस्टर्ड हैं। बैलेंस सीट की जांच में यह दिखाया गया......?


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