Thursday, July 26, 2012

एनजीओ, मंत्री और साजिश के बीच फंसी बिनब्याही मां

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अंगद और दददू प्रसाद ने तीन साल तक लगातार मेरा यौन शोषण किया, जिससे मैं गर्भवती हुई. लेकिन यह पता चलने पर मुझ पर गर्भपात कराने का दबाव डाला गया. जब मैंने गर्भपात से इंकार किया तो मुझे कुछ खिलाकर बेहोश कर दिया गया और 24 अक्टूबर 2011 को इलाहाबाद के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल ले जाया गया...
आशीष सागर
उत्तर प्रदेश के सियासतदारों के एक के बाद एक महिलाओं से खुल रहे अन्तरंग रिश्तों की पोल और उनकी पकी फसलों के बीज बुन्देलखण्ड में भी बिन ब्याही मां बनने के रूप में सामने आने लगे हैं.
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पुलिस के साथ बिनब्याही मां बनी कमला कुशवाहा
नौ जुलाई 2012 को चित्रकूट के एक एनजीओ सर्वोदय सेवा आश्रम की भूतपूर्व कर्मचारी कमला ने बिन ब्याही होकर भी एक पुत्र को जन्म दिया है। कमला के मुताबिक इस बच्चे का बाप बसपा सरकार में मंत्री रहे दद्दू प्रसाद या फिर उनका पीए अंगद है. इस हाई प्रोफाईल दुराचार कांड का खुलासा होने के बाद एक बार फिर सियासत के गलियारों में दददू प्रसाद का नाम चर्चा में आ गया है। इस मामले में पीडि़त कमला कुशवाहा ने पूर्व मंत्री दददू प्रसाद और उसके पीए अंगद की डीएनए जांच कराये जाने की मांग भी शुरू कर दी है।
24 अक्टूबर 2011 को इलाहाबाद के एसआरएन अस्पताल में चित्रकूट के बरगढ़ कोलमजरा की रहने वाली कमला कुशवाहा का पूर्व बसपा सरकार के दबंग ग्राम्य विकास मंत्री द्ददू प्रसाद पर दुराचार के आरोप लगाये जाने के बाद अल्ट्रासाउण्ड हुआ था। तब वहां के रेडियोलाजिस्ट विभाग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ.. वीरेन्द्र सिंह और डॉ. कलीम अकमल ने अपनी मेडिकल रिपोर्ट में पीडि़त कमला के गर्भवती होने की बात से इनकार कर दिया था। मगर अल्ट्रासाउण्ड होने के ठीक आठ माह बाद पीडि़त कमला ने बिन ब्याही होकर भी 9 जुलाई 2012 को एक पुत्र को जन्म दिया है।  
बिनब्याही मां बनने के बाद कमला ने एक बार फिर पूर्व मंत्री पर लगातार अंगद की मदद से तीन साल तक नौकरी का लालच देकर उसके साथ हमबिस्तर होने के गम्भीर आरोपों को हवा दी है। अल्ट्रासाउण्ड होने के आठ माह बाद 9 जुलाई 2012 को कमला ने एक नवजात शिशु को प्राइवेट नर्सिग होम में जन्म दिया है। हाल-फिलहाल कमला समाज सेवी संगठन सहयोग सेवा संस्थान द्वारा संचालित नारी निकेतन में बतौर शरणार्थी बच्चे के साथ रह रही है। 
गौरतलब है कि बुन्देलखण्ड के चित्रकूट जनपद स्थित बरगढ़ कोल मजरा की रहने वाली कमला कुशवाहा अपनी ही सहकर्मी और कथित प्रेमी अंगद के धोखे का खामियाजा भुगतने को मजबूर है। बच्चे के बाप की पहचान की तलाश में कमला और उसके नवजात बच्चे की जद्दोजहद जारी है। एनजीओ में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में चित्रकूट के सर्वोदय सेवा आश्रम में समन्वयक पद पर काम करने वाला अंगद कभी इसी संस्था में कमला के साथ नौकरी करता था। 
कोलमजरा गांव की कमला की दो बहनें और दो भाई हैं। कमला के पिता रिटायर्ड रेलकर्मी अयोध्या प्रसाद रेलवे मजदूर संघ के असिस्टेंट सचिव रहे हैं। मां पार्वती दददू और कमला के बीच चल रहे अंतरंग सम्बंधों की बयार में खुद के परिवार को सामाजिक बहिष्कार की दहशत से खौफ में जिन्दगी बसर कर रही है। उसकी आंखों में रह-रहकर कमला के मासूम बेटे की सामाजिक रूप से मान्यता मिलने-न मिलने की छटपटाहट साफ देखी जा सकती है।
गौरतलब है कि बरगढ़ के ही सेमरा गांव का रहने वाला अंगद सर्वोदय सेवा आश्रम में कमला से प्रभावित था। कमला के मुताबिक इसी बीच जब बसपा की सरकार बनी और दददू प्रसाद मंत्री बने तो अंगद ने संस्था से नौकरी छोड़कर मंत्री के पीए का कार्यभार संभाल लिया। कमला की मानें तो एक बार अंगद ने उससे कहा की मैं तुम्हारी दददू प्रसाद से मुलाकात करवा देता हूं, वह तुम्हें ग्राम विकास अधिकारी बना देंगे।
अंगद उसे इस दरम्यान एक सरकारी पार्टी में ले गया, जहां सबने एक साथ खाना खाया। खाना खाने के बाद कमला बेहोश हो गयी और जब उसकी आंख खुली तो उसे अहसास हुआ कि उसके साथ शारीरिक संबंध बनाये गये हैं। अंगद को जब कमला ने यह बात बतायी तो अंगद ने उससे कहा कि तुम्हारी ब्लू फिल्म बनायी जा चुकी है, अगर मुंह खोलोगी तो उसे सार्वजनिक कर दिया जायेगा।
बकौल कमला इस घटना के बाद अंगद और दददू प्रसाद ने तीन साल तक लगातार मेरा यौन शोषण किया, जिससे मैं गर्भवती हुई। लेकिन यह पता चलने पर मुझ पर गर्भपात कराने का दबाव डाला गया। जब मैंने गर्भपात से इंकार किया तो मुझे कुछ खिलाकर बेहोश कर दिया गया और इलाहाबाद के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल ले जाया गया। 
वहीं से सुर्खियों में आया यह कमला कांड बुन्देलखण्ड की राजनीतिक हवा में एक नया बवाल लेकर आया। सत्ता और पद के दबाव में पूर्व सरकार के इशारे पर काम कर रही चित्रकूट की क्षेत्रीय पुलिस और प्रदेश की तत्कालीन दलित मुखिया मायावती ने अपने अजीज मंत्री पर लगाये गये आरोपों को दरकिनार कर उसे क्लीनचिट दे दी.
सफेदपोशों द्वारा किये जा रहे महिलाओं के शोषण की कहानी महज कमला तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके पूर्व भी चर्चित शीलू कांड बनाम पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी बसपा विधायक, अमरमणि त्रिपाठी-मधुमिता कांड, गुड्डू पंडित, दिग्गज कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी, भंवरी और मदेरणा के सम्बन्धों तक परवान चढ़ी है। 
कमला के वकील रूद्रप्रताप मिश्रा बताते हैं कि चित्रकूट से एकमात्र स्वयंसेवी संगठन जनवादी महिला समिति ने ही कमला को न्याय दिलाने के लिए विरोध के स्वर बुलंद किये, बाकी तो जैसे समाजसेवियों का दोहरा चेहरा लगाये बैठे हैं। कमला की जनपैरवी न करने के लिए रुद्रप्रताप मिश्रा पर भी कई बार मानसिक दबाव डाला गया था। रुद्रप्रताप मिश्रा के मुताबिक कोल मजरा की कमला को पहले ही फर्जी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने का अन्दाजा हो गया था, लेकिन जब स्वयं तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती आरोपी को बाइज्जत बरी कर रही हों, तो फिर स्थानीय पुलिस और डाक्टरों की हिम्मत कैसे हो सकती है कि वे सही मेडिकल रिपोर्ट बनाते। 
रुद्रप्रताप मिश्रा तो यहां तक कहते हैं कि कमला ने लखनऊ टीम से मेडिकल कराये जाने और उस रिपोर्ट को वकील तथा सभी के सामने सार्वजनिक करने की मांग उठायी थी। इसके समर्थन में जनवादी महिला समिति की गीता, हीरामनी तिवारी आदि ने राज्यपाल को शिकायती विज्ञापन भेजकर कमला को दस लाख रुपया मुआवजा दिलाने की मांग भी की थी, जिस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो पायी है। यह और बात है कि चर्चित शीलू कांड के बहाने वोटों के जुगाड़ में पैंतरेबाजी कर रहे क्षेत्रीय और राष्ट्रीय विधायकों, मंत्रियों, राहुल गांधी तक को नरैनी क्षेत्र के पिछडे गांव सहबाजपुर के चक्कर लगाने पडे थे। 
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यौन शोषण के आरोपों में घिरे पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद अपनी पत्नी हीरामणि के साथ
पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद मंत्री पद सम्भालने से पहले एक समाजसेवी के रूप में चित्रकूट के अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के संचालक गया प्रसाद गोपाल उर्फ गोपाल भाई के यहां काम करते थे। 1500 रुपये मासिक पगार पाने वाले भाऊ जी के बेटे दददू से कद्दावर मंत्री दद्दू प्रसाद तक का सफरनामा रहा है। 
कमला ने मीडिया को दिये अपने एक बयान में यह भी कहा गोपाल भाई ने उसे धमकाते हुए कहा कि जैसे ददुआ को मरवाया गया है, तुम्हें भी मरवा दिया जायेगा। मध्यस्थ के रूप में गोपाल भाई की करीबी संस्था संचालिका सरस्वती इस बात की जिरह करने कमला के पास आठ माह पूर्व खुद गयी थी। मगर गोपाल भाई कमला की तरफ से लगाये गये सभी आरोपों को राजनीतिक साजिश करार देते हैं। 
इस सच्चाई को भी झुठलाया नहीं जा सकता है कि पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद के पिता भाऊ जी और अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के मधुर संबंध रहे हैं, जो आज भी कायम है। यहां तक की बसपा सरकार में रहते हुए दददू प्रसाद ने दोनों हाथों से लुटाकर सरकारी योजनाओं का अनुदान गोपाल भाई की संस्था को दिया था। चित्रकूट, बांदा में ऐसी एक दो नहीं, आधा दर्जन सामाजिक संस्थाएं काम कर रही हैं जहां कमला जैसी उत्पीडि़त महिलायें पनाहगार बनती हैं, लेकिन ईमानदार वही जो पकड़ा न जाये। 
16 अक्टूबर 2011 को कमला कुशवाहा सबसे पहले चित्रकूट एसपी के बंगले के सामने बेहोश मिली थी। 19 अक्टूबर 2011 को कमला के शिकायती पत्र के आधार पर कर्वी पुलिस ने अंगद को आरोपी बनाकर दुराचार की रिपोर्ट दर्ज की थी। 20 अक्टूबर 2011 को कर्वी के स्थानीय अस्पताल में कमला का मेडिकल कराया गया और 24 अक्टूबर 2011 को पीडि़त का काफी दबाव के बाद इलाहाबाद के निजी एसआरएन अस्पताल में अल्ट्रासाउण्ड हुआ। जनवरी 2012 में पता चला कि कमला गर्भवती है और 9 जुलाई 2012 को बिन ब्याही कमला के गर्भ से एक बेटे ने जन्म लिया। 
दस माह से चल रही कमला के इंसाफ की लड़ाई में आज भी यह सवाल अनसुलझा है कि आखिर कौन है कमला के बच्चे का पिता? खबर नफीसों से चेहरा बचाकर डीएनए टेस्ट के लिए तैयार रहने का दावा करने वाले पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद की जांच करवाये जाने के आदेश अभी तक प्रदेश सरकार ने नहीं दिये हैं। इलाहाबाद के नारी निकेतन में रह रही कमला ने बच्चे को पहचान दिलाने की वो हर मुमकिन कोशिश शुरू की जिससे उसे और उसके बच्चे को इस समाज में पहचान मिल सके। 
उत्तर प्रदेश समेत देशभर में मंत्रियों-अधिकारियों द्वारा किये गये यौन शोषण के खुलासों ने आज समाज और महिलाओं के सामने यक्षप्रश्न खड़ा कर दिया है कि परिवार, कालेज या फिर जहां वह काम करती है, वहां कितनी सुरक्षित हैं? 
कमला मामले में कानूनी उठापटक के बीच फैसला चाहे कुछ भी हो, मगर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कल भी कोई और दददू बनकर या पुरुशोत्तम, अमरमणि का चेहरा लगाकर कमला, शीलू के साथ-साथ मधुमिता को समाज की ठोकरें खाने या मरने के लिए मजबूर करता रहेगा। 

Wednesday, July 25, 2012

प्रणव दा ने सपथ ली ?

आज देश के तेरहवे राष्ट्रपति के रूप में प्रणव दा ने सपथ ली ....इंग्लिश में , उनका हिंदी रूपांतरण कर रहे उप रास्त्रपति हामिद अंसारी 
ने जब प्रणव का अभिभासन पढ़ा तो उनसे हिंदी के आपेक्छा और विवेकानद कहने में गलतिया हुई , आज पहली बार 
प्रणव जी ने अपनी पुरानी राजनीति तस्वीर और पूजीवादी मानसिकता से ऊपर संबोधन में खुलकर भारत से गरीबी , भ्रस्टाचार , आतंकवाद ,
समानता देने , युवाओ को अधिक अवसर देने की वकालत की जो एक ज़मीनी राष्ट्रपति को कहना चाहिए .....वही आज जंतर - मंतर में टीम 
अन्ना के अनसन में एन ,एस,यू .आई के कार्यकर्ताओ ने बवाल काटा कारण था अनसन करियो का राष्ट्रपति की तस्वीर यानि प्रणव की फोटो को ढख कर प्रदर्शित करना , अब जबकि प्रणव का सक्रिय राजनीति से जुडाव कम ही रहेगा और वे आधे - अधूरे लोकतंत्र के राष्ट्रपति चुने जा चुके है ,तो ऐसे में अन्ना टीम का प्रणव के तस्वीर को ढख कर रखना उचित नहीं है , क्या गाँधी ने विरोध का यही निचला रास्ता अनसन की परिभाषा 
में बतलाया है ? क्या ये हिंसा भडकाने की कवायद नहीं है ? क्या अगर सांसद या भ्रस्टाचारी अन्ना की तस्वीर ढख कर प्रदर्शित करे तो ठीक लगेगा ? ये भी सही है की देश के लोग भ्रस्टाचार से अभी भी पूरी तरह ऊबे नहीं ही यदि ऐसा ही होता तो रेलवे स्टेसन में लाइन लगाकर टिकट
लेने वाला आम आदमी सीट भरी है की बात जानकर स्टेसन से चला जाता ....जुगाड़ लगाकर हरा नोट देने की - सीट के लिए कवायद नहीं करता .....जैसा आम जीवन में हो रहा है, छोटी सी अपनी जरुरत के लिए हम ही रिश्वत देने की पहल कर रहर है , ! याद रहे आप साम्राज्य वाद में तो बड़ा जन आन्दोलन लम्बे समय तक खड़ा कर सकते है लेकिन
अपने ही चुने हुये लोकतंत्र की सरकार के खिलाफ नहीं , जिनको खुद आपने वोट देकर चुना है , भ्रस्टाचार आज देश की बुनियादी बीमारी है मगर उसको दूर कार्नर का सही तरीका है की हम सब अपने नियत की खुद रोज पड़ताल करे...