Saturday, September 01, 2012

Tree Plantation Program for Forest and Result Ziro % ? Why...?



Friday, August 31, 2012

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आशीष सागर दीक्षित
रोज की आपा-धापी (भागदौड़) और जरूरतों के बीच,
कुछ अनकहे शब्द डायरी में उतारो।
अन्तर की घुटन, जीवन का मर्म, अस्मिता पर खड़े होते यक्ष प्रश्न!
खुद से, खुदी के रंग कोरे कागज में उभारो,
कुछ अनकहे  शब्द डायरी में उतारो।।
टूटते रिश्ते, मिटती संवेदना, स्वार्थी मान्यता,
क्यो बन गई हैं उलझनें ?
हैं कहां मतभेद, आपमें या मुझमें, मिलकर सुधारो,
कुछ अनकहे शब्द डायरी में उतारो।।
माकूल है लम्हा रोशनी के लिए,
न उदास कर चेहरा इक खुशी के लिए।
बोझिल सी जि़न्दगी बेमानी है यार,
हम भी दे सकते हैं भावना को आकार।
अपनों के लिए सपने संवारो,
हंसते हुए पल-प्रतिपल गुजारो।
कुछ अनकहे शब्द डायरी में उतारो।।
मां के गर्भ में पनपती ऋचाएं, 
राष्ट्र को देने लगेगीं दिशाएं।
उम्मीद से है सब कुछ न उम्मीद को हारो,
कुछ अनकहे शब्द डायरी में उतारो।।
आशीष दीक्षित सागर, बुंदेलखंड क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता एवं जन सूचना अधिकार एक्टिविस्ट है ,बुंदेलखंड में गुजरे तीन वर्षो से यह पर्यावरण – वन जीवो ,जल ज़मीन और जंगल को बचाने की मुहिम को लेकर सक्रिय है साथ ही वहां किये जा रहे खनन माफियाओ के काला सोना ( ब्लैक स्टोन ) की खदानों से टूटते पर्यावरण के इको सिस्टम को सहेजने के लिए लगातार बुन्देली बाशिंदों के बीच समाज कार्य करते है, लेखक बतौर प्रवास सोसाइटी के संचालक की भूमिका में किसान ,मजदूर ,महिलाओ और आदिवासियों के पुनर्वास का भी जन अभियान चलाने का बीड़ा उठाये है !

Sunday, August 26, 2012

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सिद्दीकी के खिलाफ सीबीआई की सिफारिश

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बसपा सरकार में लगभग डेढ़ दर्जन विभागों के मंत्री रहे नसीमुद्दीन के खिलाफ मंत्री होते हुए आय से अधिक संपत्ति और पद का दुरूपयोग करने की शिकायत में लोकायुक्त एन.के. मेहरोत्रा ने पूर्व मंत्री को दोषी पाया था. सिद्दीकी की एमएलसी पत्नी हुस्ना सिद्दीकी और व्यवसायी बेटे को भी नोटिस भेजा था...
जनज्वार. देश के लोकायुक्त जस्टिस एन.के. मेहरोत्रा ने पूर्ववर्ती बसपा सरकार के सबसे पावरफुल मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के एक और मामले में प्रदेश सरकार से सीबीआई जांच की सिफारिश की. लोकायुक्त ने बताया कि बांदा निवासी आशीष सागर दीक्षित की शिकायत पर जांच के बाद सिद्दीकी और उनके पुत्र अफजल सिद्दीकी के नाम बांदा जिले में आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति हासिल करने के प्रमाण मिले हैं. 
nasimuddin-siddqui
दीक्षित की शिकायत की जांच में नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पुत्र अफजल के नाम से छह और कम्पनियां संचालित होने का खुलासा हुआ है. यह बताते हुए कि अफजल बाराबंकी एवं लखनऊ में बेनामी सम्पत्ति हासिल करने तथा आज संदर्भित प्रकरण समेत दोनों मामलों में आरोपी हैं, लोकायुक्त ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार से इस मामले की भी सीबीआई अथवा प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराने की सिफारिश की है. 
तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के सबसे करीबी और कद्दावर कैबिनेट मंत्री रहे नसीमुद्दीन का नाम भ्रष्टाचार के दर्जनों मामलों में प्रकाश में आ चुका हैं. बसपा सरकार में लगभग डेढ़ दर्जन विभागों के मंत्री रहे नसीमुद्दीन के खिलाफ मंत्री होते हुए आय से अधिक संपत्ति और पद का दुरूपयोग करने की शिकायत में लोकायुक्त एन.के. मेहरोत्रा ने पूर्व मंत्री को दोषी पाया था. इस मामले में लोकायुक्त ने सिद्दीकी की एमएलसी पत्नी हुस्ना सिद्दीकी और व्यवसायी बेटे को भी नोटिस भेजा था. 
लखनऊ के पत्रकार जगदीश नारायण शुक्ला की शिकायत पर जांच के बाद लोकायुक्त ने सिद्दीकी आय से अधिक संपत्ति के आरोप सही पाए थे. जस्टिस मेहरोत्रा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती से उनके खिलाफ सीबीआई जांच के सिफारिश 22 फरवरी, 2012 को करने की मांग की थी, लेकिन मुस्लिम वोटों और अपने खास मंत्री को बचाने की जुगत में मुख्यमंत्री ने लोकायुक्त की सिफारिश को यह कहकर ठुकरा दिया था कि  लोकायुक्त को इस तरह की सिफारिश का अधिकार नहीं है. 
प्रदेश में नयी सरकार के गठन के दो ही दिन बाद लोकायुक्त ने पुन: 17 मार्च को प्रदेश सरकार को नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. यह तीसरी बार है कि जब नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ सीबीाआई जांच की सिफारिश की गई है.   
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने अपने कार्यकाल में शराब व्यवसाई पोंटी चड्ढा को कई सौ करोड़ रुपये का फायदा करवाया था. चाहे यूपी की 22 चीनी मीलों की नीलामी हो या यूपी में शराब की सप्लाई से लेकर फुटकर बिक्री का मामला उन्होंने सभी मामलों में चड्ढा के हितों को खास तवज्जो दी. 
यह मामला चड्ढा के घर हुई आयकर विभाग की छापेमारी के दौरान भी सामने आया था. जिसे बाद में आयकर की विभागीय कार्रवाई के रूप में भर दिखाकर दबा दिया गया. देखना होगा कि अखिलेश सरकार में लोकायुक्त की सिफारिश को अमल में लाया जाएगा या फिर तत्कालीन शासन की तरह यह कहकर ठुकरा दिया जायेगा कि सीबीआई जांच की सिफारिश  लोकायुक्त के दायरे से बाहर है?

तीसरी बार नसीमुद्दीन के खिलाफ सी बी आई और ईडी की जांच की सिफारिश की है.

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नसीमुद्दीन सिद्दीकी
कभी मायावती के बुत बुलडोजर से गिरवाने का ऐलान करने वाली समाजवादी पार्टी आखिर माया के सर्वाधिक चहेते मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ सी बी आई और ईडी की जांच की अनुमति क्यों नहीं दे रही है?
उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त एन के मेहरोत्रा ने बांदा के आर टी आई कार्यकर्ता और हस्तक्षेप.कॉम के लेखक आशीष दीक्षित सागर की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीसरी बार नसीमुद्दीन के खिलाफ सी बी आई और ईडी की जांच की सिफारिश की है. आशीष सागर ने इस बावत जानकारी देते हुए बताया कि यह पहला मौका है कि किसी मंत्री के खिलाफ लोकायुक्त ने तीन बार जांच की सिफारिश की और सरकार ने उनकी सिफारिश अनसुनी कर दी.
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारीयों और नेताओं के प्रति नर्म रवैये को लेकर अखिलेश सरकार पर संदेह के बादल घिर रहे हैं. मायावती के ख़ास रहे आईएएस अधिकारी प्रदीप शुक्ला को भ्रष्टाचार के आरोप में तीन माह से ज्यादा जेल में बिताने के बाद भी अखिलेश सरकार ने उन्हें निलंबित नहीं किया और जमानत पर छूटते ही राजस्व विभाग में नियुक्ति भी दे दी. इतना ही नहीं बताया जाता है कि प्रदीप शुक्ला के खिलाफ चार्ज शीट राज्य सरकार के पास दबी रही और उसे अदालत में पेश ही नहीं किया गया. अब नसीमुद्दीन के खिलाफ भी जांच की अनुमति न देना सरकार की नीयत पर उँगलियाँ उठाता है


आशीष दीक्षित सागर, बुंदेलखंड क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता एवं जन सूचना अधिकार एक्टिविस्ट है ,बुंदेलखंड में गुजरे तीन वर्षो से यह पर्यावरण – वन जीवो ,जल ज़मीन और जंगल को बचाने की मुहिम को लेकर सक्रिय है साथ ही वहां किये जा रहे खनन माफियाओ के काला सोना ( ब्लैक स्टोन ) की खदानों से टूटते पर्यावरण के इको सिस्टम को सहेजने के लिए लगातार बुन्देली बाशिंदों के बीच समाज कार्य करते है, लेखक बतौर प्रवास सोसाइटी के संचालक की भूमिका में किसान ,मजदूर ,महिलाओ और आदिवासियों के पुनर्वास का भी जन अभियान चलाने का बीड़ा उठाये है