Monday, January 28, 2013

विधायक हूं, फिर भी गुंडा टैक्स देता हूं

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http://www.janjwar.com/2011-05-27-09-00-20/25-politics/3607-vidhayak-hoon-fir-bhi-gunda-tex-deta-hoon-bundelkhand-uttar-pradesh
पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी लेने के लिये दलालों के मार्फत पांच करोड रुपये तक वसूली की जा रही है. कोर्ट की सख्ती ने नदियों को बचाने का काम तो नहीं किया, मगर खनन माफियाओं के रास्ते सरकार और ब्यूरोक्रेसी में बैठे दोगले कर्मचारियों को सोने की मुर्गी तक जरूर पहुँचा दिया...
आशीष सागर
बुंदेलखंड में केन, बेतवा, यमुना हो या मंदाकिनी, इन नदियों का सीना चीरती पोकलैण्ड और लिफ्टर मशीनें 40 मीटर गहरे से इनके वजूद बालू को बाहर उलीच रही हैं. क्या माफिया, क्या विधायक सभी बालू की लूट में गले तक तरबतर हैं. मानको की धज्जियां उड़ाते ठेकेदार और उनके इशारों पर नाचते जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार की लाल-नीली-पीली बत्तियों का सायरन बालू की खदानों तक जाने की हिमाकत नहीं करता है. बुन्देलखंड के बांदा जिले की एकमात्र जीवनदायिनी नदी केन पिछले वर्ष सितम्बर माह से लगातार अपनी अस्मिता को बचाने की जद्दोजहद में है. लेकिन नक्कारखाने में ढोल बजाने वाली समाजवादी सरकार कहीं नज़र नहीं आती है.
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राजघाट पर किया जा रहा अवैध खनन
 भ्रष्टाचार की कालिख में रंगी जिला प्रशासन की फाइलें खनिज अधिकारी को मजबूर करती हैं मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरहदों से अवैध खनन कराने के लिये. खनिज अधिकारी दिल मसोसकर सरकार और सत्ता के समकक्ष एक और सरकार चलाने वाले माफियाओं को गुंडा टैक्स अदा करता है. पर्यावरण को धता बताते तमाम कानूनी दांवपेंच महज कागजों में नजर आते हैं. जब कानून सरकार की जेब में पडे़ पान की तरह सूख जाता है, तो फिर कोई उसे जिंदा करने की कूवत नहीं रखता.
तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र के विधायक दलजीत सिंह की बात कि 'विधायक हूं मगर फिर भी गुंडा टैक्स देता हूं' मजबूर करती है वो सबकुछ कह देने के लिये 'आह! मेरी इज्जत को तार तार करने वालो मेरी अस्मत भी तुम्हारी आबरू से कमतर नहीं है!' सरकार चाहे बसपा की रही हो या अब समाजवादी पार्टी की, बालू का अवैध खनन बांदा शहर सहित अन्य जिलों में बेरोकटोक जारी है.
सुप्रीम कोर्ट के 27 फरवरी 2012 और हाईकोर्ट इलाहाबाद के याचिका सं0 6798/2011 के आदेश के मुताबिक ऐसी सभी बालू /मोरम की खदानों को बंद कर दिया जाये जिनके पास पर्यावरण सहमति प्रमाणपत्र नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने यह रोक पहले पांच हेक्टेयर से ऊपर की क्षेत्रफल वाली खदानों पर लगायी थी, मगर अब पर्यावरण को संजीदा मानकर पांच हेक्टेयर से नीचे और ऊपर की सभी बालू खदानों पर पर्यावरण सहमति प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य कर दिया गया है.
यहां तक की ईंट के भट्टों के लिये मिट्टी खुदाई व अन्य उपखनिजों के पट्टे आवंटित करने में भी फौरी तौर पर रोक लगा दी गयी है. बुन्देलखंड सहित मिर्जापुर, सोनभद्र, औरेया, इटावा के चम्बल नदी तटों पर माफियाओ की नजर गिद्ध की तरह बालू के अवैध खनन पर लगी हुई है. बांदा से ही करीब आधा दर्जन बालू माफिया औरेया और जालौन में लाल सोने को लूटने के लिये करोड़ो का दांव लगा रहे है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी लेने के लिये बकायदा दलालो के मार्फत पांच करोड रुपये तक वसूली की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की सख्ती ने नदियों को बचाने का काम तो नहीं किया, मगर खनन माफियाओं के रास्ते सरकार को और ब्यूरोक्रेसी में बैठे दोगले चरित्र के कर्मचारियों को सोने की मुर्गी तक जरूर पहुँचा दिया.
तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक दलजीत सिंह युवा और लोकप्रिय विधायक के बतौर जाने जाते हैं. युवाओं के बीच इस जनप्रतिनिधि की पहचान 'दिलजीत' जैसी है. विधानसभा चुनाव 2012 में दलजीत ने भारी बहुमत से सपा के कद्दावर नेता, राष्ट्रीय महासचिव व लोकसभा चुनाव 2014 के हमीरपुर प्रत्याशी विशम्भर प्रसाद निषाद को पटखनी दी थी. मगर यह लोकप्रिय विधायक बेबाक लहजे में स्वीकारता है कि विधायक होने के बाद भी गुंडा टैक्स अदा करना पड़ता है.
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तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र के विधायक दलजीत सिंह
 दलजीत की मानें तो 'मैं जाति का ठाकुर हूं, पेशे से बालू ठेकेदार हूं और विधायक भी हूं. ये तीनों विशेष गुण किसी भी आदमी को 'दबंग' साबित करने के लिये काफी हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद से आज के दिन तक अपनी विधायक निधि को अन्य विधायकों की अपेक्षा पाक-साफ तरीके से खर्च करने में दलजीत सिंह को ऊपर रखा जा सकता है. विधानसभा सत्र के दौरान इस विधायक ने ही खुलकर विधायक निधि को बंद करने की वकालत की थी.
विधायक के इस बयान से विधानसभा सत्र में बैठे अन्य दलों के नेताओं ने उन्हें मानसिक दिवालिया घोषित कर दिया था. उनका कहना है कि विधायक निधि को ज्यादातर नेता कमीशन लेकर बेच देते हैं. सच भी यही है कि उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों की तरह बुन्देलखंड में भी विधायकों ने 20 प्रतिशत कमीशन पर विधायक निधि को अपने चहेतों के हवाले कर दिया है. फतेहपुर जिले के संगोलीपुर गढा (एसजीआई) ग्राम में गाटा सं0 191, 272, 378, 379, 380, व 293/2 में 26 फरवरी 2011 से 3 वर्षों के लिये विधायक दलजीत सिंह को बालू खनन का पट्टा दिया गया है.
सूचना अधिकार में खान अधिकारी फतेहपुर द्वारा दी गयी सूचना में बताया गया है कि विधायक दलजीत सिंह के साथ संतोष कुमार ग्राम एरई गाटा सं0 41/1, 39/2, 36, 35, 30, 29, 28, 27, 26, 25 ,24 ,23, 22, 21, 70, 69, 68, 67, 75, 75,73, में 4 अगस्त 2010 से 3 वर्षों के लिये खनन पट्टा किया गया है. पर्यावरण मंत्रालय से सहमति प्रमाणपत्र में विधायक दलजीत सिंह ही अकेले ऐसे पट्टेधारक हैं, जिन्होने पर्यावरण सहमति प्रमाणपत्र प्राप्त किया है, जबकि फतेहपुर समेत बांदा और आसपास के जिलों में बगैर सहमति प्रमाणपत्र के मशीनों से बालू खनन किया जा रहा है.
अभी भी राजघाट में केन नदी को 20 मीटर से अधिक जलधारा बाधित कर बनाये गये पुल के दम से अवैध खनन किया जा रहा है. 23 दिसम्बर 2012 को राजघाट की म्यांद खनन पट्टे के लिये पूरी हो चुकी है, बावजूद इसके बैखौफ पनपते खनन माफिया के सामने कानून और सरकार दोनो घुटने टेकते नजर आते हैं. राजघाट में बालू खनन बांदा के बाहुबली और चर्चित खनन माफिया सीरजध्वज सिंह के रहमोकरम पर किया जा रहा है. इस खदान से पोकलैण्ड मशीनों द्वारा प्रतिदिन 500 ट्रकों से अधिक बालू की निकासी नदी का सीना चीरकर, नदी को बांध कर की जा रही है.
मगर पुलिस अधीक्षक ज्ञानेश्वर तिवारी की इतनी हिम्मत नहीं है कि वे इन माफियाओं को खाकी के रूतबे और कानून के डंडे का पाठ पढा सके. तो क्या हुआ, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पर्यावरण को लेकर सख्त है, नदियों को बचाने के लिये मशक्कत कर रही है. इन माफियाओं को इस बात से फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि पैसे की हवस उनकी नस्लों को नहीं, गरीब-मजलूम की रोटी लूटती है. विधायक दलजीत सिंह का कहना कि 'मैं भी गुंडा टैक्स अदा करता हूं' बुन्देलखंड में बालू और पत्थर व्यापार को परिभाषित करने के लिये काफी है. यह भी कि इस तरह अविरल बहती केन समेत अन्य नदियों की भ्रूण हत्या जिंदगी की शर्त पर सत्ताधारी कर और करवा रहे हैं.
फतेहपुर जनपद से वर्ष 2004 से 2012 तक प्राप्त खनन रायल्टी
क्र0सं0    वर्ष               आय (स्त्रोत आरटीआई)
1          2004-2005    2,09,82,482.00
2          2005-2006    2,69,31,933.00
3          2006-2007    2,78,38,870.00
4          2008-2009    3,41,95,960.00
5          2008-2009    3,41,95,960.00
6          2009-2010    4,25,51,839.00
7          2010-2011    2,91,32,188.00
8          2011-2012    2,42,92,847.00
यहाँ रामवृक्ष सिंह यादव सदस्य, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उ0प्र0 के उस कथन का जिक्र करना लाजिमी है. उन्होंने कहा कि ‘हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी पर्यावरण व जल संरक्षण पर सर्वाधिक गंभीर रहते हैं. यमुना नदी के बढते प्रदूषण व उसके मृतप्राय होने पर वह बहुत चिंतित हैं. यमुना व चम्बल दोनों नदियों को स्वच्छ व उपयोगी बनाये जाने का प्रयास हमारी सरकार द्वारा किया जा रहा है.’’
पर क्या रामवृक्ष सिंह यादव के ये शब्द खबर का हिस्सा मात्र हैं या धरातल की सच्चाई. बुन्देलखंड में खुलेआम माफियाओं के सहारे उजाड़ी जा रही नदियों की सल्तनत सरकार और निजामों को पर्यावरण के प्रति चिंतित होने की नाकाफी हकीकत से रू-ब-रू कराती है. खनन रूकता नहीं, नदियां मर रही हैं, माफिया और ठेकेदार विधायक, सांसद बन गये. एसपी ज्ञानेश्वर तिवारी जैसे लोग और जिलाधिकारी जीएस नवीन कुमार भ्रष्टाचार की नूराकुश्ती में लाल सोने को लुटवाने के तमाशायी बन कर रह गये हैं.
राजघाट बांदा सदर की तरह ही गिरवां भी खनन की मार से त्रस्त है. शेरपुर स्योढ़ा मार्ग में लगभग 6 किलोमीटर डामर सडक से होते हुये यूपी-इमपी को जोडने वाले छतरपुर मार्ग में उरधना, कन्हैला, रामपुर 1, रामपुर 2, निहालपुर, कोलावल रायपुर तक सैकड़ो ट्रकों की ओवर लोडिंग बालू निकासी सूरज अस्त होने के साथ अवैध रूप से शुरू हो जाती है. बात यहीं पर नहीं रूकती, ट्रक का पहिया दबंगई से नरैनी क्षेत्र के नसैनी, करतल, अजयगढ़ तक मप्र की गोद में जबलपुर से निकली केन की इज्जत के साथ गैंगरेप करता है. इस जघन्य प्राकृतिक बलात्कार में सम्मिलित होते हैं आवाम से चुने हुये सफेदपोश खादी के पहरेदार और खाकी के मंजे हुये यादव बिरादरी वाले दरोगा जी.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बांदा सदर में जिलाधिकारी द्वारा हार्पर क्लब में खुलवाया गया हाईटेक जिम और निशानेबाजी में लगायी गयी देशी और विदेशी मशीने सिंडीकेट के रुपयों से ही खरीदी गयी है. इसकी पड़ताल के लिए आरटीआई का उपयोग करना पड़ता है. हालाँकि आरटीआई के खुलासों के बावजूद अवैध खनन रुकना नामुमकिन है.
ashishsagar.dikshit@janjwar.com

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