Saturday, February 02, 2013

www.hastakshep.com
आशीष दीक्षित सागर, बुंदेलखंड क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता एवं जन सूचना अधिकार एक्टिविस्ट है ,बुंदेलखंड में पर्यावरण – वन जीवो ,जल ज़मीन और जंगल को बचाने की मुहिम को लेकर सक्रिय हैं साथ ही वहां किये जा रहे खनन माफियाओ के काला सोना ( ब्लैक स्टोन ) की खदानों से टूटते पर्यावरण के इको सिस्टम को सहेजने के लिए लगातार बुन्देली बाशिंदों के बीच समाज कार्य करते हैं। लेखक बतौर प्रवास सोसाइटी के संचालक की भूमिका में किसान ,मजदूर ,महिलाओ और आदिवासियों के पुनर्वास का भी जन अभियान चलाने का बीड़ा उठाये हैं !
                                        

लो जी! बहन जी की सरकार में आरटीआई कार्यकर्ता ने माँग ली थी मंत्री के साले से रंगदारी …..!

Link -  http://hastakshep.com/?p=29086


बाँदा। आशीष नंदी ने क्या कहा क्या नहीं और सही कहा या गलत, इसे छेड़िये लेकिन उत्तर प्रदेश में दलित अस्मिता की ठेकेदार बहन मायावती की सरकार में जो करतब हुये वे एक से बढ़कर एक हैं। अब बहुजन समाज पार्टी के पूर्व कैबिनेट मंत्री बाँदा निवासी नसीमुद्दीन सिद्दकी के दिल करीब साले और उनकी पत्नी एम. एल. सी. हुसना सिद्दकी के भाई मुमताज अली ने बाँदा के समाज सेवी और सूचना अधिकार कार्यकर्ता आशीष सागर पर एक साल पहले यानि 14.9.2011 को बाँदा में मुमताज के कार्यालय आकर (गोल कोठी) में एक करोड़ रूपये रंगदारी मांगने के आरोप लगाये हैं।
आशीष सागर ने बताया कि मुमताज अली ने डकैती कोर्ट 153(3 ) बाँदा में अर्जी देकर कहा है कि आशीष सागर ने मेरे साथ बैठे कर्मचारी मिथलेश निवासी बंगाली पुरा और खाई पार के जितेन्द्र के सामने यह कहा कि मुमताज आपके जीजा (नसीमुद्दीन सिद्दकी) के खिलाफ बहुत सबूत हैं, वो जेल भी जा सकते हैं अगर बचना है तो मुझे यानि आशीष को बतोर रंगदारी एक करोड़ रुपया दो। इस पर मुमताज ने कहा कि उसने तो एक करोड़ कभी देखे ही नहीं है कैसे दिलवा दे। इस पर वह धमकी देता हुआ चला गया, इसकी शिकायत कोतवाली में की गई पर तब कोई कारवाही नही की गई। 14 सितम्बर को बाँदा पुलिस कप्तान को प्राथना पत्र दिया गया लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया इसके पूर्व भी डी. जी. पी. को पत्र भेज के अवगत करवाया गया था ….
देखा ! बहन जी की सरकार में नसीमुद्दीन जैसे ताकतवर मन्त्री के साले से रंगदारी माँगे जाने पर भी बेचारी पुलिस हाथ पर हाथ धरे रहती थी और बहन जी कह रही हैं कि अखिलेश के राज में गुण्डागर्दी है। मुमताज अली को एक वर्ष बाद ये बात साल रही है कि आशीष सागर ने उनसे ये रुपया माँगा था और एक्शन नहीं हुआ जबकि उन दिनों उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार थी और दूसरे नंबर के 22 विभागों वाले मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दकी से अवाम और उनके साले मुमताज अली से बाँदा का जर्रा – जर्रा काँपता था, तब भी अगर उनकी रिपोर्ट नही लिखी गई तो हैरत वाली बात तो है।
उधर बाँदा के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने घोषणा की है कि इस घटना क्रम में और सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं के ऊपर फर्जी मुकदमों, आरोपों के खिलाफ अवाम की आवाज मुहिम के साथ आगामी चार फरवरी को उपवास करेंगे और उसके बाद अगला कदम लखनऊ या दिल्ली का मैदान होगा।

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home