Wednesday, October 01, 2014

http://bhadas4media.com/
उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार के राज में एक सूचनाधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता अनूप कौशिक के साथ हो रहे अत्याचार की इस लड़ाई को देखें. यह अधिवक्ता सिर्फ इसलिए आज अपनी जिंदगी को बचाए हर सरकारी दफ्तर, आला पुलिस अधिकारियों और राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास की खाक छान रहा है ताकि जनपद अलीगढ़ का एक तालाब बचा सके. इसके इलाके के एक दबंग नेता ने 300 करोड़ की तालाब की भूमि बेचने का कारनामा सरकारी तंत्र की पनाह में किया है. बदले में इस सूचनाधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता अनूप कौशिक को मिली है एक गोली, जानलेवा हमले और कई फर्जी मुकदमे.
एडवोकेट अनूप कौशिक
आज इनका परिवार और एक मात्र पुत्र अपनी जान बचाए घूम रहे हैं भूमिगत होकर. उनका फोन तक बंद है दहशत में. जहां भारत देश में कई स्वघोषित जलपुरुष, जलबिरादरी के अगुआ महज अपने अदने से कामों की मार्केटिंग करके आज केंद्र और राज्य की सरकारों के चाटुकार, प्रेमी और उनसे अपने हित में काम निकलवाने वाले स्तम्भ मात्र बन गए हैं जिन्हें सम्मानों और एफडीआई / एफसीआरए के फंड से नवाजा गया है. लेकिन उन लोगों ने ऐसे दंश नहीं झेले जैसा अनूप कौशिक के साथ हो रहा है. उन्होंने कभी ऐसी मुश्किल लड़ाइयां नहीं लड़ीं जिसमें तालाब और पानी खाने वाले कोई और नहीं बल्कि सत्ता के नेता, अफसर और गुंडे हैं.
तालाबों और पानी की लड़ाई लड़ रहे अधिवक्ता अनूप की जान की दुश्मन तो सुरक्षा में लगने वाली सरकारी मशीनरी ही है. अनूप कौशिक सदमे में है. यह जमीन का सिपाही बिना किसी के सहयोग के अपनी लड़ाई लड़ रहा है. हैरानी है कि देश के उस मीडिया की नजर भी इस पर अब तक नही गई जो प्रधानमंत्री मोदी के चीन, जापान और अमेरिका यात्रा को एक नए युग परिवर्तन के रूप में प्रायोजित तरीके से प्रस्तुत कर रही है. सूचनाधिकार से मिली मेरी व्यक्तिगत (आशीष सागर दीक्षित, बाँदा) जानकारी में ही उत्तर प्रदेश के राजस्व परिषद आयुक्त ने गत दिवस बतलाया कि प्रदेश से 1 लाख तालाब गायब हो चुके हैं अवैध कब्जों से जिसमे अकेले बुंदेलखंड से 2968 तालाब गायब हो चुके हैं जो जल प्रबंधन का एक बड़ा माध्यम थे.

देश की बड़ी पत्रिका इंडिया टुडे ने हाल ही में 10 सितम्बर 2014 के अंक में पेज 39 से 41 तक 'तालाब नहीं जिंदगी सूख रही है' विषय से खबर प्रकाशित की थी जिसमें दिल्ली से लेकर भोपाल और बुंदेलखंड के तालाबों की दर्द भरी कहानी है. ऐसे में ये अधिवक्ता अनूप कौशिक अपनी लड़ाई को अकेले लड़ता दिख रहा है. क्या देश का मीडिया सिर्फ उन्हीं खबरों को देख पा रहे हैं जो संसाधनों से सुसज्जित हैं. अनूप की जुबानी उनकी कहानी से संबंधित ये वीडियो (बिलकुल नीचे देखें) मुझे मेरे साथी से मिला जो खुद लखनऊ में कार्यरत हैं. उन्होंने मोबाइल से इसको बनाया है.

वास्तव में इस सरकारी तंत्र में ऐसे और जनता के सिपाही हैं जो हकीकत में तालाब को जिंदा करने की लड़ाई सिर्फ इसलिए लड़ रहे हैं ताकि हमारे बाद बच्चों को पानी मिलता रहे. दोस्तों, अनूप कोशिक को इंसाफ की तलाश है जो प्रदेश की समाजवादी सरकार से उसको नहीं मिल पा रहा है. उसकी जान को खतरा है. उसके साथ खड़ें हों, उसके साथ आएं. यह वीडियो गत 4 सितम्बर को अनूप कौशिक के लखनऊ प्रवास का है जब वो मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने आए थे. ज्ञापन देने के बाद से उनका फोन बंद जा रहा है. वो कहां गायब करा दिए गए या खुद डर से सहम कर छिपे हैं, पता नहीं चल पा रहा.
अलीगढ़ के जिलाधिकारी से लेकर डीजीपी, डीआईजी और कई नेताओं तक के नाम अनूप ने इस वीडियो में लिए हैं जो इस तालाब के खेल में शामिल हैं. भूमाफिया के कब्जे में है 300 करोड़ का तालाब जिसकी 127 बीघे जमीन फर्जी तरीके से बेच दी गई. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी सब चुप हैं सरकारी गुंडों-दबंगों के आगे. अनूप की खबर किसी को नहीं. इसलिए हे साथियों, इस तालाब के सिपाही की जान बचाओ. तालाबों की जान बचाओ. अधिवक्ता अनूप का मोबाइल नंबर 09412563841 है. उनकी बात, उनकी पीड़ा उनकी जुबानी सुनने के लिए इस लिंकhttp://goo.gl/D2iUwK पर क्लिक करें.
जर्नलिस्ट और सोशल एक्टिविस्ट आशीष सागर दीक्षित के फेसबुक वॉल से

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home