Wednesday, November 12, 2014

' दस लाख वंचित परिवार ' योजना 10 करोड़ पौधरोपण !

13 नवम्बर जारी -
बुंदेलखंड में उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश पर मनारेगा कार्यो , फर्जी भुगतानों की जाँच के लिए सी.बी.आई. चित्रकूट मंडल में डेरा जमाये है l 
गत दो दिन से पंचायती राज के कीचड में उतरकर घपलो के कागज की पड़ताल की जा रही है l ग्राम प्रधानो और अधिकारियो की नींद हराम है l
वनविभाग को तो जैसे सांप सूंघ गया है l बानगी के रूप पूर्व बसपा सरकार में ग्राम्य विकास मंत्री दद्दू प्रसाद की अगुवाई में उत्तर प्रदेश के 31 जिलो में 74 वंचित जातियों के परिवारों को 100 दिन का रोजगार देने के लिए मनारेगा योजना से 10 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया था l उन दिनों मै राजधानी लखनऊ के जवाहर भवन में प्रदेश ग्राम्य विकास आयुक्त के यहाँ कपार्ट वाईपी था l
उल्लेखनीय है कि चित्रकूट मंदक की चर्चित संस्था ' अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान ' समेत इलाहाबाद की गिरि इंस्टीट्यूट, तत्कालीन अपर आयुक्त चन्द्र पाल अरुण , आयुक्त मनोज सिंह इसकी नोडल समिति में थे l 


प्रदेश के 31 जिलो सहित बुंदेलखंड के स्पेशल ' दस लाख वंचित परिवार ' योजना 10 करोड़ पौधरोपण के अनुश्रवण की ज़िम्मेदारी भी इस नोडल एजेंसी के पास थी l एक सरकारी दौरे में मै उन दिनों अपर आयुक्त चन्द्रपाल अरुण के साथ सोशल आडिट में तालबेहट ,ललितपुर गया था l 70 हजार पौधरोपण की जाँच में मजे की बात है ज़मीन पर महज 30 हजार पौधे भी नही मिले थे l
तालबेहट के तत्कालीन प्रभागीय वनधिकारी संजय श्रीवास्तव ने सरकारी पौधे तालाब में फिकवा दिए थे और मजदूरी का भुगतान कागजो में कर दिया गया l
क्या वर्तमान समाजवादी सरकार हरियाली के नाम पर किये गए सरकारी , गैर सरकारी संस्था अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान ,चित्रकूट की गर्दन पकड़ेगी ? अगर नही तो प्रकृति के ये दुश्मन क्या यूँ ही आगे भी भ्रस्टाचार करेंगे ?
इसके आलावा प्राथमिक स्कूल में कराये गए पौधरोपण का खेल अलग ही है l ध्यान रहे बुंदेलखंड में अब तक 200 करोड़ रुपयों से अधिक के पौधरोपण को वनविभाग ने लूटा है l 29 लाख तो इस वर्ष ही खप गया ....l

Monday, November 10, 2014

हरियाली का आडम्बर भी अच्छा है !

हैरान न हो इस तमाशे से अपने बुंदेलखंड में भी गत 5 सालो में 200 करोड़ के पौधे कागज में लग चुके है ज़मीन पर नही ????????????

प्रधानमंत्री मोदीजी ने अखिलेश यादवजी का नाम सफाई अभियान के लिए नामित करके अच्छा ही किया। कम से कम उन्हें उन्हें और उनकी 



 Clean Green & healthy UP योजना का भी प्रचार हो गया। हालांकि मेरे अनुसार इन बिना मतलब और निरर्थक प्रचार का कोई मतलब नहीं नहीं जब योजनाये केवल प्रचार और रस्म अदायगी और फोटो खिचवाई के ऊदेश्य से शुरू की गई हो। कुछ दिनों में ही फोटो खिचवाने का ये सारा ड्रामा बंद हो जायेगा और तब न किसी को सफाई कर्मचारियों की याद आएगी और ना ही कोई इस सफाई अभियान को पूछेगा। जबकि अखिलेश सरकार वो कर रही है जो जरुरी है , वो भी बिना किसी हो हल्ले या अनर्गल प्रचार के। क्लीन ग्रीन व हेल्थी यूपी के तहत पुरे प्रदेश में २०१२-२०१३ के दौरान लगभग 1.28 लाख एकड़ में 3 करोड़ 93 लाख पेड़ लगवाये गए और २०१३-२०१४ के दौरान अभी तक 1.67 लाख एकड़ में 5 करोड़ 68 लाख पौधे लगवाये जा चुके हैं। पुरे प्रदेश के प्रत्येक जिले में कम से कम ५० एकड़ का पूर्णतया ग्रीन बेल्ट या हरित क्षेत्र बनवाने की योजना है। इसी के तहत लखनव में भी पूरी तरह से ग्रीन ३७६ एकड़ का जनेश्वर मिश्र पार्क बनवाया जा रहा है जो लखनऊ का एक नया इको-ग्रीन टूरिस्ट डेस्टिनेशन या पर्यटन स्थल होगा। सपा सरकार सदा ही पर्यावरण के लिए सजग रही है इसिलए जब नेताजी मुलायम सिंह यादव ने डॉक्टर राम मनोहर लोहिया पार्क बनवाया तो उसे भी पूर्ण रूप से इको-फ्रैंडली और ग्रीन बनाया गया। यहाँ तक की अखिलेश सरकार तो मायावतीजी द्वारा बनाये गए स्मारकों में भी पेड़ पौधे लगवा रही है और उनके रखरखाव का बजट भी बढ़ा दिया है। अखिलेश सरकार आगरा - लखनऊ एक्सप्रेस हाईवे भी बना रही थी जिसके निर्माण की शर्त थी की डेवलपर को एक्सप्रेस के दोनों तरफ ग्रीन बेल्ट या हरित क्षेत्र भी बनाने होंगे जिस कारन बहुत से कम्पनियो ने हाथ पीछे खीच लिए और अब राज्य सरकार उस एक्सप्रेस हाईवे को खुद ही बना रही है। इसी तरह कुपोषण मिटाने व हेल्थी यूपी बनाने के उद्देश से पुरे प्रदेश में गर्भवती महिलाओं को तुरंत अस्पताल पहुचने के लिए 102 नंबर की समाजवादी एबुलेंस सेवा चलाई जा रही और दुर्घटनाओ में घायलो को अस्पताल पहुचाने के लिए 108 नंबर की समाजवादी एम्बुलेंस सेवा अलग से चल रही है। यहाँ तक की पिछले 2 सालो में गर्भवती माता -आजन्म शिशु व कुपोषण मृत्यु दर में पुरे देश में सबसे अभिक कमी उत्तर प्रदेश में ही आई है। और कुपोषण दूर करने के उद्देश्य से प्रदेश के हर जिले में जिलधिाकारी और तहसील में तहसील अधिकारी को दो सबसे अधिक कुपोषित गाँव को गोद लेने को कहा गया है और कुपोषण से लड़ाई के लिए हर बुनियादी सुबिधा जरूरतमन्दो तक पहुचाने का निर्देश उन्हें दिया गया है। सफाई कार्यो को गति देने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार लगभग सभी शहरों के लिए 35000 सफाईकर्मियों की भर्ती करने जा रही और गाँवो में ग्रामप्रधानो को मनरेगा के तहत सफाई कर्मी नियुक्त करने का निर्देश दी हुई है। क्योंकि रेगुलर सफाई तो सफाई कर्मी ही करंगे और कूड़ा प्रवंधन और उसका निवारण या नस्ट करने काम काम नगर निगम के कर्मचारी ही करंगे। फोटो खिचवाने वाले आएंगे - झाड़ू उठाकर फोटो खिंचवाकर चले जायेंगे। कूड़ा कौन ढोयगा !!!!
In scientific term: cleaning is making other place dirty. जब तक कचरा कूड़ा प्रवंधन और उनका नष्टीकरण नहीं किया जाता तक तक सफाई का यही मतलब है की आप कूड़ा एक जगह से उतहकर दयअसर अजघ रख रहे हैं और दूसरी जगह गन्दा कर रहे है। असली सवाल यही है, इसीलिए मेरी मोदी सरकार से भी निवेदन है की अगर वो सचमुच सफाई अभियान को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो सफाई कर्मचरियों की नई भर्तियां करे , ठेके पर काम करने वाले सफाई कर्मचारियों को नियमित करे और कूड़ा प्रवंधन और नस्ट की नियमित व्यवस्था करें, फोटो खिचवाने वाले सफाई अभियानों से कुछ नहीं होगा!!! कुछ दिनों में ही फोटो खिचवाने का ये सारा ड्रामा बंद हो जायेगा और तब न किसी को सफाई कर्मचारियों की याद आएगी और ना ही कोई इस सफाई अभियान को पूछेगा और मेरी चिता यही है। ।अब ड्रामेबाजियो से ऊपर उठकर कुछ काम किया जाये, नाटक बहुत हो गया !!!

Sunday, November 09, 2014

मर्दवादी सत्ता





जब तक किसान जीवित रहा अपने पुरसार्थ के आगे घरैतिन ( महिला कृषक ) को किसान नही माना l बैंक से कर्जा लिया , खेत में बीज और बागवानी घरैतिन , पत्नी के साथ ही किया l या यूँ कहूँ सुबह 4 बजे से लेकर रात के अंतिम बिस्तर पर जाने वाले जीव के रूप में भी अपनी इसी घरैतिन को पाया और पाता है l
जब कर्जा अधिक हुआ और बैंक का नोटिस आया तो मारे दहशत के बिना अपने वजूद का ख्याल किये पत्नी - बच्चो की परवाह किये आत्महत्या कर ली l जिंदा रहते महिला कृषक को दुःख देता रहा l उसको कभी किसान नही मान पाया और जब चला गया इस दुनिया से तो इस समाज ने मर्दवादी सत्ता को ही किसान माना l वैधव्य का विषपान , बच्चो का पालन अब भी मूल रूप में उसी महिला किसान ने ही किया मगर फिर भी हमने उसको कभी घर का किसान , खेत का किसान , समाज का किसान नही माना l जो असल में हम सबकी जन्मदात्री है किरदार और निगहबानी में वही किसान है और बड़ी बात है कि वो इतना दंश झेलने के बाद भी आत्महत्या इसलिए कभी नही करती मै कर्जदार हूँ जबकि मर्द करता है ......हे महिला किसान प्रणाम l
तस्वीर - बुंदेलखंड के ग्राम आनंदपुर में आलू बोटी महिला कृषक पति के साथ ....l