Friday, February 27, 2015

मरती नदियाँ - मिटते सारस l

बाँदा - 27 फरवरी जारी 

मरती नदियाँ - मिटते सारस l ये खनिज अधिकारी नही राज्य पक्षी सारस का हत्यारा है !




बाँदा - हमीरपुर की सीमा में बसे छेरांव - बकक्षा बालू खदान में केन नदी पर वन विभाग की वन्य भूमि में पीपे का पुल बोरियों से तैयार करवाकर आराजी संख्या नंबर 4 रकबा - 047.533 हेक्टेयर में सौ मीटर की परिधि के अन्दर वन संरक्षण अधिनियम 1972 का उलंघन करके ये खनिज अधिकारी पूर्व मंडल आयुक्त बाँदा मुरली धर दुबे की सहमती पर बनाये गए अवैध पुल से बीच धार में पोकलैंड और लिफ्टर से खनन करवा रहा है l
हाल ही में बाँदा अपर जिलाधिकारी,पुलिस अधीक्षक,खान अधिकारी,सदर उप जिलाधिकारी को भेजे गए जाँच आख्या,लेखपाल की रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट है कि वन विभाग की भूमि जिसमे राज्य पक्षी सारस का प्रकृतिवास है उसको रौंदते हुए भारी मशीनों से अवैध पुल बनाकर रात - दिन खनन किया जा रहा है l यहाँ तक की गाँव वालो को रिश्वत देकर उनकी ज़मीन से ट्रको के निकासी का समझौता किया गया है ,जिसमे कुछ किसान तैयार हुए और कुछ नही l उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कहाँ है आप ?
देखे इस खान अधिकारी हवालदार सिंह यादव बाँदा की दबंगई l आपका तो प्रदेश पक्षी ही खतरे में है , वो इस घाट से पलायन कर गया है l एक दिन में 80 से ऊपर ट्रक इस खदान से निकल रहे है l पट्टा राजधानी की महिला गोमती नगर निवासी नीरजा सिंह और प्रथ्वी पाल के नाम है जिन्हें सूबे के लोकनिर्माण मंत्री का आशीष प्राप्त है l यह खदान भाजपा के किसान मोर्चा का जिला अध्यक्ष लालू भैया ( लुकतरा ग्राम प्रधान और अन्य ) चलवा रहे है l
मरती केन में यह अपराध,जलचर की हत्या, सारस का पलायन कानून की अनदेखी सूबे के समाजवाद का जिंदा सबूत है l सुप्रीम कोर्ट / उच्च न्यायलय / एनजीटी सब देखे l इसकी कहानी का कुछ हिस्सा गत 25 फरवरी के इंडिया टुडे में प्रकाशित हुआ है l

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home