Tuesday, April 28, 2015

'' तो क्या महज कठपुतली है उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त '' ?

                       बाँदा / बुंदेलखंड 28 अप्रैल जारी - यूपी का लोकायुक्त मतलब गुलाम हाजिर है !

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रामनाइक ( भाजपा समर्थित ) ने गत 27 अप्रैल को प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से एक पत्र लिखकर पूर्व बसपा सरकार के जाँच में दोषी पाए गए 8 भ्रष्ट मंत्री सहित कई आरोपी अधिकारियो पर समाजवादी सरकार और जाँच एजेंसी के माध्यम से की गई कार्यवाही बावत सवाल किया है ! 
राज्यपाल ने पूछा है मुख्यमंत्री से कि बीते तीन साल में आपने इन बाहुबली मंत्रियो पर क्या किया है ? गौरतलब है पूर्व बसपा सरकार में मायावती के सभी दिग्गज मंत्री मसलन बुंदेलखंड के बाँदा से आने वाले नसीमुद्दीन सिद्दकी,बाबूसिंह कुशवाहा और स्वामी प्रसाद मौर्या, अवध पाल सिंह सहित अन्य आय से अधिक सम्पति मामलो में दोषी मंत्रियो पर कुछ में लोकायुक्त जस्टिस एनके मैहरोत्रा ने नसीमुद्दीन सिद्दकी पर सीबीआई / ईडी जाँच के आदेश दिए थे. यह शिकायत मैंने की थी जिसके बदले में मुझे एक करोड़ रूपये के मान हानि का मुकदमा झेलना पड़ा l सूत्र बतलाते है राजधानी के कि इसमे मुख्यमंत्री की और नसीमुद्दीन सिद्दकी की डील हुई है ! अगर नही तो इसको सजा कौन देगा ,कब देगा ? ये कितने साल लंबित रहेगी

कार्यवाही ? मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह जाँच सतर्कता को दी. दो साल तक जाँच चली जिसमे बाँदा और लखनऊ में मुकदमा भ्रस्टाचार अधिनियम के तहत दर्ज हुआ मगर इनको न जेल हुई न ये जमानत करवाए और अब एक बार फिर विधानसभा में एएमएलसी है l अगर इसी आरोप में आवाम का कोई नागरिक होता तो उसके साथ ये सरकारे / जाँच एजेंसी क्या करती ये बतलाने की आवश्यकता नही है. इधर समाजवादी सरकार के खनन मंत्री गायत्री प्रजापति की जाँच भी इन्ही लोकायुक्त के पास लंबित है मगर कुछ दिन मामला मीडिया में उछला और अब ठंडा है ! सूत्र बतलाते है कि अपना बढ़ा हुआ कार्यकाल पूरा कर रहे ये लोकायुक्त उसको सलटाने की कवायद में है बाकि जाँच तो चल ही रही है ! यही हाल मेरी अगस्त में दाखिल की गई बाँदा नगर पालिका अध्यक्ष भाजपा नेत्री विनोद जैन के प्रकरण का हुआ वो भी समाजवादी मंत्री आज़म खान के इशारे पर दबी है l अब बड़ा सवाल मेरा यह है कि क्या .....उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त मात्र बैसाखी पर बैठाया गया मोहरा है एक संवैधानिक जाँच एजेंसी के रूप में ? उसकी जाँच अख्य के बाद कार्यवाही न करने वाले समाजवादी मुख्यमंत्री को क्या समझा जाये ? इस लोकायुक्त के क्या मायने है न्याय की परिभाषा में ....? क्या ये सिर्फ और सिर्फ चल और धोखे के साथ शिकायत कर्ता के मानसिक - आर्थिक उत्पीडन करने का खेल नही है ? सड़ती सियासत में असलियत तो ये ही कि उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त सिफर है l

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