Friday, May 01, 2015

उत्तर प्रदेश सरकार किसानो का कर्जा माफ़ करे - राजनाथ सिंह

         2 मई बाँदा / बुंदेलखंड से .....
केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह गत एक मई ( मजदूर दिवस ) को बाँदा में ' किसान महापंचायत ' को संबोधित किये है. इसके पहले वे महोखर गाँव में गए जहाँ एक किसान धीरेन्द्र सिंह की फसल देखी. अपने हाथ से गेहूं की काली पड़ी बालियों के दाने गिने इस दौरान एक किसान ने हाथ में चप्पल उठा ली ! ये देखकर कमांडो सक्ते में आ गए. लेकिन उस किसान ने अपनी मंशा जताते हुए कहा कि...'' साहेब हमार ई हालत हुई गा हवै कि आपन लाने एक जोड़ी चप्पल तक नाही ले सकत है ! टूटी चप्पलन मा पहने भये पेट चलाव,लड़कन का पालौ, बहुत मुस्किल हुइगा हवै ! '' तब जाकर कमांडो का भेजा शांत हुआ और सुरक्षाकर्मी नरम हुए l उधर एक मई को ही फसल बर्बादी पर चित्रकूट,बाँदा,हरदोई,फतेहपुर में 11 और किसानो ने आत्महत्या कर ली l राजनाथ सिंह ने किसानो से कहा कि फसल बीमा की जगह ' आमदनी बीमा योजना ' शुरू की जाएगी l कर्जमाफी की बात पर वे तपाक  से बोले कि प्रदेश में समाजवादी सरकार है वो माफ़ करे हमने 6 हजार करोड़ रुपया भेज दिया है ! उन्होंने मध्यप्रदेश में सरकार

के कर्जमाफी का ज़िक्र किया ! इधर एक दिन पहले ( 30 अप्रैल ) को बाँदा आये मुख्यमंत्री ने कहा था कि देश का प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों उत्तर प्रदेश के निर्वाचित प्रतिनिधि है इसलिए कर्जा वे माफ़ करे ! ....अब सवाल ये है कि किसान किसको अपना हमदर्द माने ? किसने राहत राशी दी या नही विस्वास कैसे हो ? क्या किसान आत्महत्या महज सियासत का जुमला है ? बाँदा के बडोखर बुजुर्ग निवासी किसान रामऔतार अपने ग्रारह बीघा खेत में बोई फसल की मड़ाई कर रहा था सिर्फ डेढ़ कुंतल गेहूं निकलने पर उसको सदमा लगा और उसने जान दे दी ! इस पर साढ़े तीन लाख रुपया केसीसी से बैंक का कर्जा था.इसी तरह बबेरू के किसान रमाकांत ने देर रात कमरे में फांसी लगा ली. ये दस बीघा का कास्तकार था.
बुंदेलखंड के प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह, कैप्टन सूर्य प्रकाश मिश्र,आशीष सागर ने ' किसान आत्महत्या समाधान समिति ' के बैनर से अपनी 11 सूत्रीय मांगो को गृह मंत्री के सामने महोखर गाँव में वार्ता के समय रखा है. जिसमे किसान की आत्महत्या को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने,भूमिहीन / बटाईदार किसान को भी मुआवजा देने,किसान आयोग बनाने,बीमा कंपनी पर नकेल कसने,बुंदेलखंड की नदियों से खनन रोकने, किसान की सायानी बेटियों के ब्याह विधायक - सांसद निधि से कराने, किसानो को पेंशन दिए जाने की मांगे शामिल है.

किसान की आत्महत्या को राष्ट्रीय आपदा घोषित करो - ज्ञापन





बुंदेलखंड / बाँदा जारी ...

आज 1 मई मजदूर दिवस को बुंदेलखंड के बाँदा / बुंदेलखंड आये केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यहाँ ' किसान महा पंचायत ' को संबोधित किया है. इसके पहले वे कर्जखोरी से आजिज बाँदा सदर का गाँव महोखर भी देखने गए. वहां किसान धीरेन्द्र सिंह का खेत देखा जिसने अपनी फसल नही काटी अनाज में दाना नही बचने के चलते. ऐसे ही सैकड़ो किसान परिवार इस गाँव में है लेकिन समयाभाव में वे एक किसान का खेत ही देखे इसके बाद ग्राम महोखर में किसान सभा को संबोधित किया. केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर और कैप्टन सूर्य प्रकाश मिश्र ने ' किसान आत्महत्या समाधान समिति ' के बैनर से किसान समर्थको बलराम तिवारी ,बैजनाथ सिंह,और किसानो के साथ अपना मांग पत्र उन्हें दिया. जिसमे ग्यारह प्रमुख मांगो के साथ सबसे पहली मांग है कि ' किसान की आत्महत्या को राष्ट्रीय आपदा ' घोषित किया जाये,राष्ट्रीय स्तर पर किसान आयोग का गठन किया जाये,फसल नुकसान का सम्पूर्ण मुआवजा बीमा कम्पनी से किसानो को दिलाया जाये,भूमिहीन / बटाईदार किसानो को अन्य किसानो के सामान दर्जा देकर उन्हें भी मुआवजा - राहत प्रदान की जाये, किसान की बिनब्याही बेटियों के विवाह ( जो किसान आत्महत्या किये है / भूमिहीन है ) विधायक और सांसद अपनी निधि से करे. कृपया ज्ञापन तस्वीर देखे. गौरतलब है आज राजनाथ सिंह भूमि अधिग्रहण बिल के समर्थन में पार्टीगत माहौल तैयार करने के वास्ते किसान महापंचायत किये है. बुंदेलखंड में गत तीन माह से लगातार किसान आत्महत्या एक दिन भी नही रुकी है. यह आंकड़ा अब तक अकेले बाँदा में 65 किसान पहुँच गया है. यहाँ किसान ने 6 अरब की कृषि फसल पर किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज लेकर दांव लगाया था लेकिन वो बे - मौसम बारिश और ओलो से तबाह हुआ....l - जय किसान l

Wednesday, April 29, 2015

शजर के आईने में रहने वाले बुंदेलखंड का आज ' किसान आत्महत्या '

29 अप्रैल जारी -
साभार - Preety Choudhari की facebook वाल से .....
मित्रो आज अमर उजाला समाचार में झाँसी के जिलाधिकारी श्री अनुराग यादव और उनकी धर्म पत्नी प्रीती चौधरी जी के संवेदित बयानों को पढ़ा l ...बुंदेलखंड के किसानो की लगातार हो रही आत्महत्या पर इनका नजरिया हर उस ब्यूरोक्रेट्स को पढ़ना और समझना चाहिए जो लाल फीताशाही के बंधन में बंधकर अपने अधिकार और कर्तव्य को न निभाने की उहा -पोह में है .....पोस्ट के साथ आज अमर उजाला में प्रकाशित ये खबर भी दे रहा हूँ ....किसानो की संवेदना के दो साथी और साक्षी की नजर से पढ़े कभी शौर्य और शजर के आईने में रहने वाले बुंदेलखंड का आज .....आभार आपको l



'' मित्रों ,
मैं जानती हूँ कि फ़ेसबुक एक आभासी दुनिया है ,पर इस आभासी दुनिया ने भी कई गंभीर मुद्दों पर जो मंच सबको उपलब्ध कराया है ,उसको नकारना संभव नहीं .फेसबुक पर अब तक मैं भी अपने अकादमिक जीवन और घूमने फिरने की ही तस्वीरें साझा कर अपने दोस्तों से जुड़ा हुआ महसूस करती थी .आज जो पोस्ट मैं लिखने जा रही ,वह बहुत निजी होते हुये भी निजी नहीं है.बात दरअसल ये है कि अब तक मैं बुंदेलखंड के जिन क़िलों ,बाँधों और बेतवा तथा इतिहास से रू-ब-रू होती रही उनके बरकस अब बुंदेलखंड के एेसे यथार्थ से मुख़ातिब हूँ ,जिसे जानते तो हम सभी हैं पर सबकुछ सामने देख उसे शिद्दत से महसूस कर बहुत बेचैन हूँ .पी.साईनाथ से विदर्भ/कालाहांडी के विमर्श तो कई बार समझा पर आजकल अनुराग (जो मेरे हमसफ़र और झाँसी के ज़िलाधिकारी हैं )के साथ बुंदेलखंड के किसानों पर रोज़ बात करते और सोचते लगा कि आज इस मुद्दे पर अपने मित्रों की भी राय ले ली जाय......मीडिया ने जिस तरह किसानों की बदहाली का मुद्दा राजनैतिक दलों के एजेंडे पर रखा है ,उसने राज्य और केंद्र दोनों में किसानों का ज़्यादा हितैषी दिखाने की होड़ सी लगा दी है .इस होड़ के बीच किसानों की आत्म हत्या और फसल की बर्बादी के कारण उनके हार्ट अटैक से मरने का सिलसिला रोज अखबारों की सुर्ख़ियों में है. बकौल अनुराग सिर्फ झाँसी में ही अबतक ऐसी लगभग 20 मौतों की रिपोर्ट है. इनमे से लगभग सभी गरीब और कर्ज में डूबे किसान हैं .मित्रों आप लोगों से राजनैतिक बहस या इससे जुड़े अन्य किसी मुद्दे पर बहस न कर सिर्फ एक सुझाव चाहिए.... पिछले दो- तीन हफ़्तों में जब भी मैंने अनुराग से ये कहा की इन मरने वालों की मदद किस योजना से होगी तो अनुराग ने बताया कि, “किसी दुर्घटना में मरने वाले किसान के परिवार को 5 लाख की सहायता मिलती है,पर सबसे बड़ी मुश्किल ये है की आत्म हत्या और हार्ट अटैक को इसमें नहीं रखा जा सकता क्योंकि किसी भी तंत्र के लिए आत्महत्या पर सहायता उस देश में जहाँ गरीबी इस कदर है, एक तरह से लोगों को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का काम करेगा और दूसरी और हार्ट अटैक भी नहीं शामिल हो सकता क्योंकि ये अन-नेचूरल नहीं माना जाता".ऐसे परिवारों की मदद अलग से कर दो जब मैंने ये ज़िद अनुराग से की क्योंकि मैं जानती हूँ डीएम के रूप में कई बार अफसर लोगों की कई तरह से मदद करने की स्थिति में होते हैं और ये प्रशासनिक व्यवस्था को समझने वाले लोग अच्छी तरह से जानते हैं .इस बात का जवाब ये मिला की सारा द्वन्द इस बात को लेकर है की 20-25 मरने वालों की सहायता करना कहीं आत्महत्या को बढ़ावा देने वाला कदम न मान लिया जाए. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ऐसे परिवारों के लिए अपने विवेकाधीन कोष से मदद का ऐलान किया है और हो सकता है इनकी कुछ मदद हो भी जाय पर ये मदद नाकाफ़ी होगी .साथियों मैंने आज ये तय किया है ........अपने पास से एक लाख रूपये इन किसान परिवारों के लिए दूंगी और अनुराग का एक माह का वेतन भी ,जो एक लाख है ,यानि 2 लाख रूपये तो अभी जमा होगये हैं .मुझे यक़ीन है की कम से कम झाँसी के मृत किसान परिवारों के लिए हम पर्याप्त पैसे जमा कर लेगें .लक्ष्य कम से कम एक लाख प्रति परिवार का है. दोस्तों मुख्य मुद्दे पर आपकी राय का इंतजार है कि क्या तात्कालिक सहायता ऐसे 20-25 परिवारों की इस तरह (पैसे देकर )करनी चाहिए या फिर ऐसी सहायता के कुछ और मायने भी हो सकते हैं .आशंका एक ये भी है की कहीं इस तरह की मदद जिन्दा ग़रीब किसानों को इस एहसास से ना भर दे कि उनके मरने की कीमत उनकी ज़िंदगी से ज़्यादा है.
मुझे लगता है ,अपने बंद कमरों में बहस करने और सरकारों को कोसने की बजाय हमें अपने स्तर से इन बदहाल किसानों की मदद करनी होगी .मुद्दा गंभीर है , मैं भी पशो-पेश में हूँ. आप सबकी राय का इंतजार अगले तीन दिनों तक रहेगा. जो भी मित्र मेरे कदम से सहमत हैं ,उन्हें सबसे पहले हमारे इरादे पर भरोसा करना होगा और इस अभियान में अपने एक दिन की आमदनी देनी होगी .जो एक दिन की आमदनी नहीं दे सकते वे सलाह ज़रूर दें ,मशवरों पर खुले दिमाग़ से विचार होगा....''

Tuesday, April 28, 2015

मध्यप्रदेश के घोगल गाँव में किसानो का जलसत्याग्रह !

                 किसान बोले जान देंगे लेकिन जमीन नही !

नितांत दुखद तस्वीर और ये कितना कष्टप्रद है की नेपाल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वाहवाही बटोरने के चक्कर में हमारे देश का प्रधानमंत्री इनकी आवाज को नही सुन पा रहा है...कहाँ जायेगा ये किसान ? इसके पहले भी ऐसा ही आन्दोलन पानी की लड़ाई में इन्ही किसानो की तरफ से किया जा चुका है. उससे भी दुःखदाई ये है की ऐसी खबरे नेशनल मीडिया में जगह नही बना पाती है. बाजारवाद से ग्रसित मीडिया किसानो की कराह को सुने भी क्यों कौन सा किसान और पानी के आन्दोलन कर्मी इन खबरियो को कोई सुविधा देते है ! इन्हे तो संसद से निकलते -बैठते क्रीमी नेता,मंत्री जी के आपसी संपर्क और उनके बंगले में शाम को गपसप के बहाने ...काजू भुने प्लेट में ....का मोहपाश जकड़े है. लेकिन कितने लाचार है ये कि औरो के लिए लिखने वाले अपने लिए एक शब्द नही लिख पाते है ! और उधर जब किसान की बात आती है तो सम्पादकीय डेस्क पर बैठे आला खबरी तंत्र से हरी झंडी मिलेगी या नही ये अंतर युद्ध झेलना पड़ता है ,इलेक्ट्रानिक मीडिया जो रात दिन चिल्लाता है आज चुप्पी पर है ! 
ये सत्याग्रह वही स्थति में है किसानो की जैसे बे -मौसम से तबाह किसान आत्महत्या करने के लिए रास्ते अपनाता है. इन किसानो का ये सत्याग्रह भी इसकी एक और कड़ी है. कहाँ है हमारे माननीय.....प्रधानमंत्री और शिवराज सिंह जी अब तो पानीदार हो जाओ l 
अविनाश चंचल की वाल से यह अंश लिया गया है -
साहब, आपके राष्ट्रवाद का यह कौन सा मतलब है जो अपने ही राष्ट्र के लोगों को 18 दिन से जल सत्याग्रह करने को मजबूर कर बैठा है।
खंडवा, मध्यप्रदेश के घोगल गाँव के लोग अपने खेत, घर, जानवर सबकुछ पानी की डूब में आ चुकने के बाद अब सरकार से न्याय की उम्मीद किये जल में बैठे हैं। पैर गल गए हैं, पैरों से खून आ रहा है, लेकिन उम्मीद है कि अभी भी बाकी है।
जाहिर है शहरी मीडिया के लिये ये कोई खबर नहीं...जा के पैर ना फटी बिवाई , वो का जाने पीर पराई
तस्वीर- Alok Agarwal's page साभार



'' तो क्या महज कठपुतली है उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त '' ?

                       बाँदा / बुंदेलखंड 28 अप्रैल जारी - यूपी का लोकायुक्त मतलब गुलाम हाजिर है !

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रामनाइक ( भाजपा समर्थित ) ने गत 27 अप्रैल को प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से एक पत्र लिखकर पूर्व बसपा सरकार के जाँच में दोषी पाए गए 8 भ्रष्ट मंत्री सहित कई आरोपी अधिकारियो पर समाजवादी सरकार और जाँच एजेंसी के माध्यम से की गई कार्यवाही बावत सवाल किया है ! 
राज्यपाल ने पूछा है मुख्यमंत्री से कि बीते तीन साल में आपने इन बाहुबली मंत्रियो पर क्या किया है ? गौरतलब है पूर्व बसपा सरकार में मायावती के सभी दिग्गज मंत्री मसलन बुंदेलखंड के बाँदा से आने वाले नसीमुद्दीन सिद्दकी,बाबूसिंह कुशवाहा और स्वामी प्रसाद मौर्या, अवध पाल सिंह सहित अन्य आय से अधिक सम्पति मामलो में दोषी मंत्रियो पर कुछ में लोकायुक्त जस्टिस एनके मैहरोत्रा ने नसीमुद्दीन सिद्दकी पर सीबीआई / ईडी जाँच के आदेश दिए थे. यह शिकायत मैंने की थी जिसके बदले में मुझे एक करोड़ रूपये के मान हानि का मुकदमा झेलना पड़ा l सूत्र बतलाते है राजधानी के कि इसमे मुख्यमंत्री की और नसीमुद्दीन सिद्दकी की डील हुई है ! अगर नही तो इसको सजा कौन देगा ,कब देगा ? ये कितने साल लंबित रहेगी

कार्यवाही ? मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह जाँच सतर्कता को दी. दो साल तक जाँच चली जिसमे बाँदा और लखनऊ में मुकदमा भ्रस्टाचार अधिनियम के तहत दर्ज हुआ मगर इनको न जेल हुई न ये जमानत करवाए और अब एक बार फिर विधानसभा में एएमएलसी है l अगर इसी आरोप में आवाम का कोई नागरिक होता तो उसके साथ ये सरकारे / जाँच एजेंसी क्या करती ये बतलाने की आवश्यकता नही है. इधर समाजवादी सरकार के खनन मंत्री गायत्री प्रजापति की जाँच भी इन्ही लोकायुक्त के पास लंबित है मगर कुछ दिन मामला मीडिया में उछला और अब ठंडा है ! सूत्र बतलाते है कि अपना बढ़ा हुआ कार्यकाल पूरा कर रहे ये लोकायुक्त उसको सलटाने की कवायद में है बाकि जाँच तो चल ही रही है ! यही हाल मेरी अगस्त में दाखिल की गई बाँदा नगर पालिका अध्यक्ष भाजपा नेत्री विनोद जैन के प्रकरण का हुआ वो भी समाजवादी मंत्री आज़म खान के इशारे पर दबी है l अब बड़ा सवाल मेरा यह है कि क्या .....उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त मात्र बैसाखी पर बैठाया गया मोहरा है एक संवैधानिक जाँच एजेंसी के रूप में ? उसकी जाँच अख्य के बाद कार्यवाही न करने वाले समाजवादी मुख्यमंत्री को क्या समझा जाये ? इस लोकायुक्त के क्या मायने है न्याय की परिभाषा में ....? क्या ये सिर्फ और सिर्फ चल और धोखे के साथ शिकायत कर्ता के मानसिक - आर्थिक उत्पीडन करने का खेल नही है ? सड़ती सियासत में असलियत तो ये ही कि उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त सिफर है l

Monday, April 27, 2015

नेपाल का भूकंप और देवभूमियो पर आदम की घुसपैठ !

तस्वीर गूगल से साभार है l ...
बाँदा -  ...कल नेपाल की एक वेबसाईट देखी  ' ताजा खबर' उसके विज्ञापन देखकर अंदाजा लगा की नेपाल में ये भूकंप क्यों आया !
ठीक वैसे ही जैसे केदारनाथ धाम में पोर्नलिजम आ गया है आस्था के घाटो में कुछ ऐसा ही नजारा अब कट्टर हिन्दू राष्ट्र कहलाने वाले नेपाल में गरीबी के चलते भी आया है. गाहे -बगाहे आप देखते भी होंगे ! ...देह व्यापार,तस्करी,हथियार तस्करी ,नशा सेवन और पर्यटन के नाम पर हिमालय में आदमी के कदमो की जूतमपैजार चहल -कदमी ने देवभूमियो को नपाक शाला बना दिया है...आदमी के कदम जहाँ भी पड़े अंतःकरण में विस्थापित विकृत मैल ने उस स्थान की हरीतिमा और शांति को प्रदूषित कर दिया है l उत्तराखंड में हरकी पौड़ी से लेकर ऋषिकेश तक फैला कंक्रीट का जंगल जिस तरह से अब काम वासनाओ को शांत करने का अड्डा, नए युगल दम्पति के मिलन का स्थल बनता जा रहा है उसने वहां की देवात्मा को छलनी किया है. माँ गंगा के घाट अब पश्चमी देशो के समुद्री बीच नजर आते है जहाँ अर्धनग्न देह में सरोबार आदमी -महिला अपने अन्तरंग का लुफ्त परिवार दे दूर जाकर उठा रहे है.
अब कहाँ है नेपाल में लगने वाली सीमेंट जेपी और बड़ी टाटा,अम्बानी और देशी -विदेशी कंपनियों के आला कमान मालिक देखिये आपकी भारी भरकम बिल्डिंग,मोबाइल टावर भरभरा कर बिला गए है. तीन हजार से शुरू हुआ इंसानी मौतों का आंकड़ा बहुत अधिक है !  अखबारी आप भले ही इस भूकंप को विज्ञानं की नजर दे देखे लेकिन मै ठेठ -देहाती इसको यूँ ही देखता हूँ अनाचार पर प्रकृति के सत्याग्रह की जीत l
आप जब प्रकृति का दोहन करते है तब वो संसाधनों का उपभोग है लेकिन जब प्रकृति आप पर संतुलन का कार्य करती है तो आप उसे आपदा का नाम देते है यही संवेदना का अंतर है l

Sunday, April 26, 2015

प्रकृति निर्दई नही होती ये हमारे ही विनाशकारी कृत्य है !


Please save nature and safe earth for our future ....and social life !
sad and this is people task ...sad

26 अप्रैल - गत शनिवार को मित्र राष्ट्र नेपाल समेत बिहार और भारत के अन्य राज्यों में आये भूकंप के जलजले ने एक बार पुनः मानव को प्रकृति से न टकराने की प्रत्यक्ष सलाह दी है. ये बात अलग है कि हजारो उजड़े परिवार के साथ मेरी भी उतनी ही संवेदना एक आदमी के होने के नाते है जितनी की अन्य की. मन तो नही करता दुःख करने का लेकिन क्या करू अगर ऐसा नही किया तो अमानवीय और क्रूर भी कहा जा सकता है मुझे !
आज अमर उजाला समेत अन्य प्रमुख समाचार पत्रों में इस आकस्मिक आपदा के तांडव पर फ़िल्मी दुनिया के दिग्गजों के सोशल मीडिया में जारी कमेन्ट और टूवीट कमेन्ट छाये है मै उनकी संवेदना से पूछना चाहता हूँ कि जिन्हें समाचार पत्र ऐसी प्राकृतिक घटनाओ पर हीरो और सेलेब्रेटी बनाते है वे इसके आलावा इन पीड़ित परिवारों के लिए क्या करते है ? अपने पास पब्लिक के मनोरंजन से कमाए अरबो रुपयों में से उन्होंने अब तक कितना सोशल चेरटी किया है ? किंग खान,सत्यमेव जयते,अमिताभ बच्चन से लेकर तमाम क्रिकेटर तक की भीड़ में क्या किसी ने नेपाल समेत का कोई एक गाँव गोद लिया है ? यही केदार आपदा के समय हुआ था. महज सोशल मीडिया के बयान से ये अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर लेते है और खबरे उन्हें सुपर हीरो बना देती है मानवता का !
आज के स्थानीय अमर उजाला कानपुर संस्करण में बुंदेलखंड में शनिवार को महसूस किये गए भूकंप के झटको पर मैंने यहाँ अनवरत जारी प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और ग्रेनाईट प्लाईट को क्षति पहुँचाने वाले खनन कारोबार को ज़िम्मेदार ठहराया है. यही कारोबार यहाँ की आवाम को भविष्य में भूकंप और जल संकट की तरफ ले जा रहा है इसके साथ शामिल है इससे ही जुड़े अन्य संकट मसलन किसान आत्महत्या और सूखा l ...दुखद मानवीय कृत्य है हम सबके मगर खोखला अभिमान कहाँ झुकने देता है ?

25 अप्रैल को आये नेपाल -भारत भूकंप पर विशेष...

(तस्वीर में महोबा के कबरई का गंगा मैया पहाड़ को देखे ) गत माह की है. 
1 - '' आदमी को अपने किये का अच्छा सिला मिला है, 
मगर फिर भी कहाँ उसको तनिक भी गिला है l 
उजाड़ करके हरियाली, नदियाँ और पहाड़ ,
मिथ्या दंभ में आदमी की सुनते हो दहाड़ l 
ये सच है पल भर में खाक में मिल जाओगे,
क्या अम्बानी,टाटा,बाटा, सब यही पड़े रह जाओगे l
न अपने करनी से अपना ही अस्तित्व मिटाओ ,
न दुनिया की धरती को कूड़ादान बनाओ l
कुदरत ने इंसान बनाकर भेजा तेरा शरीर ,
पर छद्म अहंकार में डूबा तू नही रहा गंभीर....l
बताओ बुरा क्या हुआ है , ये तो अभी धुँआ है l ''

2 -  एक करवट भी न ली तब ये हाल है, 
वाह रे प्रकृति तेरा क्या कमाल है ? 
फर्जी घमंड में चूर है ये आदमी , 
इसकी ही करनी से वसुंधरा बेहाल है l 
नदी - पहाड़ो को नष्ट किया , जंगलो को वीरान ,
कंक्रीट के विकास में रोज मरे किसान l
मिटा दो इनकी हस्ती को रह न जाये शेष ,
रब के सामने भी आये ये आदम का भेष l 

बाँदा - बुंदेलखंड का महोबा इस काले पत्थर से बुंदेलो मजदूर किसानो ,भूमिहीन युवाओ और माफिया को रोजगार मिल रहा है. सरकार को राजस्व की ये खेती जितनी सुखद है बुंदेलखंड के आने वाले भविष्य के लिए ये खेल उतना ही भयावह है ! जिस रफ़्तार से बुंदेले तबाही की तरफ ये बढ़ रहे है उसकी भरपाई समय करेगा l वर्तमान का लाभ अच्छा है इसलिए यहाँ के बाँदा ,चित्रकूट,महोबा,झाँसी,ललितपुर और मध्यप्रदेश से लगा पन्ना,छतरपुर,सागर,भिंड -मुरैना आदि इलाकों के गाँव और बासिन्दे सरकार - माफिया के पाले में है. हाल वही है.…18 सूखा पड़ा है इस बुंदेलखंड के जल संकट वाले क्षेत्र में और कहावत भी पुरानी

है .....‘ गगरी न फूटे - चाहे खसम मर जाये ’ बानगी के लिए कुछ ऐसा ही बाँदा –महोबा मार्ग पर कबरई पत्थर मंडी के गंगा मैया और पचपहरा पहाड़ का है.ये मौत की घाटी बन चुकी है. 200 मीटर ऊँचे पहाड़ो को इतना ही नीचे तक मशीनों से खोद दिया गया है.जमीन से निकलने वाले पानी को जेटपम्प लगाकर उलीचा जाता है. गौरतलब है कि बुंदेलखंड की प्लाईट ( भूगर्भीय भूमि ) काले और भूरे ग्रेनाईट की है. यहाँ ग्रेनाइट के आलावा युरेनियम ,सिल्का सैंड,हीरा,अभ्रक,तांबा,शीशा,लाल रेत,सोना के कुछ अंश आदि मिलते है. पर्यावरणीय स्रोतों से भरपूर रहा ये इलाका आज सरकार और खनन माफिया की काली निगाह में है. वैसे तो ये सुरक्षित जोन है भूकंप,आपदा के लिए मगर जिस तरह से बेपरवाह माफिया और सरकार ये पहाड़ो का खनन कर रहे वो वीरान बुंदेलखंड की तकदीर बनेगी l यहाँ का भविष्य भूकंप और जल त्रासदी का कालखंड होगा. आज बाँदा समेत अन्य बुंदेलखंड के जिलो में भूकंप के झटके आये है. सरकारी दफ्तरों की छुट्टी कर दी गई है लेकिन उस दिन क्या करोगे आदम जब ये प्रकृति तुम सबकी हमेशा के लिए यूँ ही अचानक छुट्टी कर देगी ! भागो अभी और भागो कंकरीट के विकास की तरफ !

'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न सम्मान समारोह 2015'

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में गत शनिवार 18 अप्रैल को देश के कोने-कोने से आरटीआई एक्टिविस्ट जुटे। मौका था 'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न सम्मान समारोह 2015' और 'आरटीआई एक्ट संरक्षक के दायित्वों के निर्वहन में सूचना आयोगों की प्रभावकारिता' विषयक राष्ट्रीय विचार गोष्ठी का जिसमें देश के 29 सूचना आयोगों के संगठन, परिश्रम, क्षमता पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया और आयोगों के कार्यो और मूल्यांकन कर रिपोर्ट कार्ड बनाया गया। 
इस मौके पर आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा सूचना आयोगों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए सुझाव दिए गए, जिनमें से साझे सुझाव कार्यक्रम आयोजित करने वाले सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान द्वारा देश के सभी 29 सूचना आयोगों को प्रेषित किए जाएंगे।
राजधानी के राय उमानाथ बाली प्रेक्षागृह के जयशंकर प्रसाद सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि आरटीआई एक्टिविस्ट भी मानवाधिकार कार्यकर्ता ही हैं, पर अब तक आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमलों के 250 से अधिक मामले प्रकाश में आ चुके हैं जिनमें से 40 मामले हत्या के हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि विहिसिल-ब्लोअर कानून के बाद भी आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या का सिलसिला रुक नहीं रहा है। वक्ताओं ने कहा कि देश के राजनैतिक दल स्वयं को आरटीआई से बाहर रखने के लिए हरसंभव चालें चल रहे हैं। 
आरटीआई आवेदनों की संख्या में बढ़ोतरी का कम होना यह बताता है कि नागरिकों में सरकार के प्रति विश्वास में कमी आ रही है। वक्ताओं ने कहा कि आरटीआई आवेदनों की संख्या का रिकॉर्ड रखने का कोई भी सरकारी तंत्र नहीं है और इसीलिए आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले के मामलों की सही संख्या भी मालूम नहीं है। 
इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने आरटीआई कार्यकर्ताओं को 'गवाह सुरक्षा अधिनियम' के तहत सुरक्षा दिए जाने की मांग भी उठाई।
लोकेश बत्रा व सुभाष चंद्र अग्रवाल और आशीष सागर दीक्षित सम्मानित : 
देश में पारदर्शिता के आंदोलन का मजबूती से नेतृत्व करने तथा विस्तृत लोकहित वाले जनकल्याणकारी कार्यो के लिए आरटीआई का प्रयोग कर देश को सार्थक परिणाम देने वाले उत्तर प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ता कोमोडोर लोकेश बत्रा और दिल्ली के समाजसेवी सुभाष चन्द्र अग्रवाल को इस वर्ष का 'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक लाइफटाइम अचीवमेंट आरटीआई सम्मान 2015' देकर सम्मानित किया गया। 
आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाने समेत अनेकों जनकल्याणकारी कार्यो के लिए आरटीआई का प्रयोग करने बाले उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के निवासी गौरव अग्रवाल को 'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न सम्मान 2015' का  पुरस्कार दिया गया। आरटीआई का प्रयोग पर्यावरण ,अवैध खनन और किसान आन्दोलन समेत अन्य जमीनी समस्याओं के समाधान के लिए उठाने बाले उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के निवासी आशीष सागर दीक्षित पुरस्कार विजेता बने l गौरतलब है कि पूर्व बसपा सरकार में कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दकी को लोकायुक्त की जाँच के बाद ईडी और सीबीआई के मुकदमो तक पहुँचाने वाले आशीष सागर ही थे l अब तक 850 आरटीआई डालकर भ्रस्टाचार के खिलाफ ये मुहीम जारी है l  वहीं 'समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के आरटीआई द्वारा सशक्तीकरण' के प्रतिमान बने उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के निवासी गुरु प्रसाद ने तृतीय पुरस्कार जीता।
इस मौके पर आरटीआई कार्यकर्ता सलीम बेग, अखिलेश सक्सेना, बाल कृष्ण गुप्ता, अशोक कुमार गोयल, होमेंद्र कुमार, हरपाल सिंह, कमलेश अग्रहरि, केदार नाथ सैनी, महेंद्र अग्रवाल, अशोक कुमार शुक्ल, नीरज शर्मा और सैयद शारिक कमर को उनकी बहादुरी के लिए आरटीआई बहादुरी सम्मान 2015 प्रदान कर सम्मानित किया गया। 
सन्दर्भ - इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।