Friday, May 15, 2015

गायत्री के काले साम्राज्य पर लोकायुक्त की क्लीन चिट !


16 मई-  
उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने समाजवादी भूतत्व / खनन मंत्री गायत्री प्रजापति को आय से अधिक सम्पति मामले में सबूतों के आभाव में बरी कर दिया है ! बीपीएल लिस्ट में शामिल प्रदेश के इस मंत्री की वर्तमान भौतिक सम्पदा सूत्रों के मुताबिक तकरीबन 400 करोड़ से अधिक है l ये गौर करने वाली बात है कि शिकायत कर्ता प्रतापगढ़ निवासी ने दिसंबर में की अपनी शिकायत के तीन दिन बाद ही साबूत न होने का हलफनामा दे दिया था ! किसके दबाव में या प्रलोभन में ये साइकिल के मुखिया ही बतला सकते है ! इन्ही मंत्री पर लखनऊ की नूतन ठाकुर पत्नी आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने अवैध खनन के आरोप लगाकर शिकायत की थी वो भी सरकारी गुलबंद में दबी है और लगभग गायत्री को उससे निजात मिल चुकी है !
अभी प्रदेश की सरकार के दो साल है और सरकार रहते उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त की ये कूवत नही है कि किसी मंत्री को कार्यवाही के लिए संस्तुति कर सके ,किया भी तो कुछ नही होनी वाला है ! ठीक वैसे ही जैसे पूर्व बसपा सरकार के ग्यारह मंत्री इस समाजवादी सरकार के बटालियन में अर्ध सैनिक है ! बे - वजह उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त नाम की मोहर बैठाई है ! आज तक इनकी किसी जाँच पर किसी बाबू तक को जेल नही हुई ! पूर्व मंत्री बादशाह सिंह और बाबू सिंह कुशवाहा के जेल जाने के कारन अन्य रहे l बादशाह सिंह आज बरी है जबकि बाबू सिंह कुशवाहा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का धन डकारने के चलते जेल में है ! इसमे लोकायुक्त का कारनामा नही है l .....ये भी हकीकत है की कुछ शिकायते अब महज धन उगाही के लिए की जाती है ताकि चर्चा और खर्चा दोनों का प्रबंध होता रहे ....मलाल ही कर सकते है ऐसे शिकायत कर्ताओ पर जो प्रदूषित व्यवस्था में खुद का ज़मीर बेचते है l ....कोफ्त है ये भ्रस्टाचार मिटाने का दंभ भी रखते है !

Wednesday, May 13, 2015

'' पहाड़ो को सजदा करो ''

दरअसल पहाड़ धरती का एक्यूप्रेशर है ,वो जल स्तर को ऊपर लाता है ....


अनाचार ,व्यभिचार ,आडम्बर और जैव विविधता का उजाड़ हिमालयी इलाके,राजस्थान, उत्तर प्रदेश - मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में अधिक है मुस्लिम देशो में नही ! विशालकाय पहाड़ो को पताल तोड़ खुदाई की गई है l न कोई मानक और न संजीदगी बस राजस्व और कंक्रीट की हवस में रात -दिन खनन ...सिर्फ खनन करना l बुंदेलखंड की ग्रेनाईट प्लाईट में भी अब झटके लगने लगे ये संकेत अच्छे नही है l 
...और कभी खदानों के पट्टे या जल-जंगलकी लीज के नाम उठाकर देखना हिन्दू ही अधिक मिलेगा....कुरआन की कुछ आयतों में पहाड़ और पेड़ की महत्त्व बेहद सटीक है...' सूरा अल अअराफ ' का अध्याय 7 में आयत 19,20,22, सूरा इब्राहीम अध्याय 14 में आयत 23,24,25,26 ' सूरा अननहल 16 ' में आयत 10,11,67,68,69 और ' सूरा बनी इस्राईल 17 ' में आयत 60,सूरा मरयम अध्याय 19 में आयत 23,24,25,26 और सूरा ताहा अध्याय 20 में आयत 71,आयत 120,सूरा अल -हज अध्याय 22 में आयत 18 ,सूरा अल -मोमिनून अध्याय 23 में आयत 19,20 ,सूरा अन -नूर अध्याय 24 में आयत 35,सूरा -अश -शु अ रा अध्याय 26 में आयत 148 ,सूरा -अन -नम्ल अध्याय 27 में आयत 60 और सूरा -लुकमान अध्याय 31 में आयत 27 ,सूरा -सबा अध्याय 34 में आयत 16 / सूरा -अस - सफ्फात अध्याय 37 में आयत 62,63,64,से आयत 68 और आयत 146 और सूरा -अद -दुखान अध्याय 44 में आयत 43,आयत 44,45,46 / सूरा -अल्फत्ह अध्याय 48 में आयत 18 और सूरा -अन -नज्म 53 में आयत 14,15,18 आदि पढ़े लोग इंसान बन सकते है प्रकृति को उजाड़कर मौत से बचने के चाहे जितने जतन कर लो ,केदार घाटी में हवाई पट्टी से लेकर मंदिर तक भले ही अमेरिकी तकनीकी की सड़के ( जीओ सेल ,पाँली यूरेथिन और पाँली फ्लोरायड से बनी ) बना लो मगर भूकंप ,बाढ़ से बचोगे नही जब तक कुदरत की इज्जत करना नही सीख जाते ....अच्छा ही है ये सब ! - आशीष सागर @ बुंदेलखंड ( मई प्रथम सप्ताह के इंडिया टुडे में एक संजीदा खबर पियूष जी ने लिखी है पढ़े ..धूल में मिलते पहाड़ जबकि पहाड़ पर पानी है l )

Monday, May 11, 2015

खो गया ' खान नदी ' का मान !

मलाल ये है की नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सभी आदेश देख ले बानगी के लिए चित्रकूट की मंदाकनी के लिए अधिवक्ता नित्यानंद मिश्र ( जबलपुर) की याचिका पर मिला आदेश वो उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश भी गए मगर चित्रकूट के दबंगों मसलन दीं दयाल शोध संस्थान ,होटल ,संतो के मठ के अतिक्रमण नही हटवा पाए है ! मूल प्रश्न वही है की क्या हर ज़िम्मेदारी सरकार की है ? समाज, आवाम मैला डालने,बहाने और नदियों में दुराचार करने के लिए है ? ....क्या करेगी अदालत नदी की चौकीदारी ? इस खान नदी की दुर्दशा पर मेरठ के पर्यावरण प्रहरी फाक्टर विजय पंडित और पूनम पंडित ने दुःख प्रकट किया है ये उनका ही संस्मरण वृतांत है l 

ये " खान नदी " … है , जोकि मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के बीच से बहती है l अब एक गंदे नाले में बदल चुकी है और इंदौर वासी कभी इस नदी में स्नान - पूजा और जल ग्रहण करते थे ! आधुनिक और समृद्ध होने पर नदी में अपने शहर , उद्योगो - कारखानो का सारा कचरे का ज़हर इसमें उड़ेल कर नदी की हत्या कर दी l उज्जैन की छिप्रा नदी और नेपाल की गण्डकी ,भारत की माँ गंगा ,यमुना ,मंदाकनी की तरह ये खान नदी भी म्रत्यु शैया पर है l ...मैले विकास का काला सच है ये l जितना रुपया देश की नदियों को निर्मल बनाये जाने में व्यय हुआ खाशकर माँ गंगा - यमुना पर !!! उतने आधे हिस्से में एक नई गंगा तैयार हो जाती मगर नियत पर सवाल है ? नीति आयोग या जल मंत्री उमा भारती क्या करेगी ? मैला जनता का है / कार्पोरेट का है तो अकेले सरकारे दोषी कैसे है ? मगर सरकारे भी उतना ही करती है जितना हम करवाना चाहते है l इंदौर वासियों की जय हो ! क्या हर मानवीय कुकृत्य की ज़िम्मेदारी प्रसाशन की है ? समाज ,समुदाय ,मुहल्ला,टोला,व्यक्ति  का कोई नैतिक कर्तव्य नही है नदी ,झील ,पोखर के लिए ? कब सुधरेंगे हम जब नीर का अकाल हमें ही लील लेगा ? 


बुन्देली योगनी की मूर्ति दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में !

11 मई जारी -   बाँदा / बुंदेलखंड की अमानत बेशकीमती एक मूर्ति यहाँ से तीन दशक पहले लापता हुई थी. वो आज देश की राजधानी दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में शोभा बढ़ा रही है. खबर ये है कि 6 फरवरी 1982 यानि करीब 32 साल पहले तस्करों ने लुखरी गाँव से यह बेशकीमती योगनी की मूर्ति चुराई गई थी ! 1996 में यह प्रतिमा लन्दन में नीलाम हुई ! वर्ष 2010 में यह काले पत्थर की योगनी की मूर्ति मुंबई की एक एंटीक शाप में पहुंचा दी गई. वहां से फ़्रांस के संग्रह कर्ता राबर्ट ने इसको खरीद लिया और पेरिस ले गया ! पिछले साल भारत सरकार ने लगभग 2000 साल पुरानी ये योगनी की मूर्ति जिसका वजन करीब 4 कुंतल है को वापस देश में राजधानी के नेशनल म्यूजियम में स्थापित किया है. यह 24 योगनियों में से एक है. लुख्री गाँव से चोरी के बाद स्थानीय पुलिस ने इस मामले को यह कहकर चलता किया कि मूर्ति का पता नही चल रहा है ! बाद में जब ये मूर्ति लन्दन में नीलाम हो रही थी तब उन्ही दिनों भारतीय दूतावास में कार्यरत बाँदा के कृष्णकांत श्रीवास्तव ने इसे देखा और भारत सरकार को जानकारी दी. इसकी वर्तमन कीमत अंतर राष्ट्रीय बाजार में 25 -30 करोड़ रूपये है . राबर्ट की पत्नी मार्टिन के प्रयास से ये मूर्ति वापस भारत आई है. 
मगर सवाल ये की बुंदेलखंड की इस सम्पदा का असली मालिक कौन है ? बुन्देलखण्ड का म्यूजियम या दिल्ली ? ऐसे ही तमाम मूर्ति ,चंदेल कालीन शिल्प कलाओं से गढ़ी शिलाएं जाने कहाँ से कहाँ पहुँच गई और कहने को बुन्देली धरोहर को राष्ट्रीय पुरातत्व विभाग यहाँ मौजूद है ! चित्रकूट का सोमनाथ का मंदिर,कालिंजर की मूर्तियाँ,मंडफा के जंगल ( फतेहगंज ) में बने बिलरहका मठ,मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में ऐसे ही मिटाए गए है. 
'' चोरो ने की गुस्ताखी मगर हमने भी क्या किया,
बुन्देली धरा को लूटने का गढ़ समझ लिया ! '' - आशीष सागर
बुन्देली स्थापत्य कला की कुछ जानकारी इस लिंक में देखे - 
http://www.sarita.in/tourism/madhya-pradesh-unique-combination-love-nature-tradional

Sunday, May 10, 2015

घोंगल में किसानो का जल सत्याग्रह !

     अविनाश चंचल की वाल से साभार - ( कुछ शब्द जोड़े गए है ) .....
Urgent- मध्यप्रदेश के खंडवा में 28वें दिन भी ग्रामीणों का जल सत्याग्रह जारी है। घोंगल में लोगों की हालत खराब होती जा रही है, राष्ट्रीय मिडिया की खबरों से नदारद ये किस्सा बेहद शर्मनाक है कि चुनावी रैलियों , बेहूदा मुद्दों पर लाइव डिबेट करने वाले पत्रकार इन उजाड़वादी परियोजनाओ पर चुप्पी साध लेते है l ग्रामीणों के पैरो से रिश्ता हुआ खून ,गलते हुए मांस उन्हें दिखलाई नही देते जिनके बंगलो में पांच सितारा खाने की थाली इन्हीआदिवासी किसानो ,गाँव वालो के मेहनत से निकलती है l अदम गोंडवी साहेब कहाँ है आप देखो ये देश मर गया है ! संवेदनाये यहाँ मात्र गुबार निकालने को रह गई है और ' मेक इन इंडिया ' किसानो का दुराचार करता हुआ नजर आता है l नर्मदा नदी के बीच ये जल सत्याग्रह की कशमकश मुझे रुलाती है l नदी पर ये बड़े - बड़े  बाँध विनाशकारी है l
दूसरी तरफ इस अहिंसक आंदोलन को खत्म करने के लिये धरनास्थल के आसपास भारी संख्या में पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है।
ऐसी आशंका है कि कभी भी पुलिस बलपूर्वक आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर सकती है।
लेकिन शहरों में बैठे लोग निश्चिंत रहें...उनके आराम में कोई खलल नहीं डाली जाएगी..भले आप भूल जायें कि-
वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है ,
उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है l

सई नदी का खेवनहार कौन बनेगा ?

तस्वीर साभार - आर्य शेखर,प्रतापगढ़ -इलाहाबाद @ सई जल बिरादरी ...

                          सई नदी का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्त्व है। यह नदी ऐसे गोलाकार स्वरूप में बहती है कि इस नदी को प्राकृतिक सुरक्षा घेरे के रूप में स्वाधीनता आंदोलन के क्रांतिकारी उपयोग में लाया करते थे। बरसात के दिनों में यह नदी अपने उफान में होती थी और क्रांतिकारी इसके सरंक्षण में बरसात का समय गुजारते थे। सई नदी में गिरने वाला टेनरियों का जल इस नदी के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा है और इसे रोका जाना चाहिए निर्मल होवे सई हमार , होवे गंगा का उद्धार....बच जाये मानव आधार

यह सई नदी उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की एक झील से निकली आदि नदी है.जो रायबरेली जिले से होती हुई प्रतापगढ़ वाया जौनपुर होते हुए गोमती की सहायक बनके माँ गंगा में मिलती है. राम चरित मानस में इस नदी का ज़िक्र है ...' सई उतारी गोमती नाहीं , चौथे दिवस अवध पुर आई ' इसको भवानी ट्रेनरी सहित अन्य चीनी मिल मैला ढ़ोने वाला गन्दा नाला बना रही है. वैसे भी गत 9 मई को कानपुर सर्किट हाउस में केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कह ही दिया है कि अब माँ गंगा को साफ होने में सात साल और लगेंगे !
उन्होंने कानपूर की गंगा में मिलने वाले 40 गंदे नालो के प्रवाह मोड़ने / उन्हें विस्थापित करने के सवाल पर चुप्पी साध ली है l यानि अब भाजपा को ' नमामि गंगे ' के लिए सात साल और देवे ! इसके बाद भी सई और गंगा निर्मल न हो पाए तो अगली - पिछली सभी सरकारों को गंगा के गटर में प्रवाहित करना l नदियों का जल जिस तरह से अब आचमन करने से लेकर स्नान करने काबिल नही बचा है उसी तर्ज पर हमारे देह ,विचार का चारित्रिक पतन सामने आ रहा है l ये नदियाँ नही हम सबका भविष्य मैला हो रहा है l अरबो रूपये गर्क करने के बाद भी हम माँ गंगा को नही बचा पाए है l मथुरा से लेकर दिल्ली तक माँ यमुना की सूरत किसी से छिपी नही है l अब सरस्वती के उद्गम स्थान को लेकर बहस जारी हो गई है ! सवाल ये है कि अविरल और निर्बाध बहने वाली ये नदियाँ किसके कृत्य से मैली हुई है हम सबके न ? तो वर्षो से माँ गंगा - यमुना और अन्य नदियों के अस्तित्व को लेकर चिन्तन ,मंथन और कार्यशाला आयोजन करने के आलावा हमने किया क्या ? कितने गैर सरकारी संघठन के पुरोधा माँ गंगा के नाम पर जल पुरुष बन गए ! उनके अपने निज हित सधे ! ये अभियान अब भी चल रहा है मगर नदियाँ मंदाकनी हो या सई अपने अस्मिता को बचाने की जद्दोजहद में रो रही है l

 - आशीष सागर

किसान को रास नही आया गृहमंत्री का छलावा !



' गृहमंत्री के जाने के सातवें दिन की किसान ने आत्महत्या ' गृहमंत्री ने इसी गाँव का गत सप्ताह एक मई को किया था दौरा.बाँदा की किसान महापंचायत में कहा था आपका कर्जा माफ़ नही कर सकते,सबका करना पड़ेगा !जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर ग्रामीणों ने किया हाइवे जाम.जिलाधिकारी बाँदा सुरेश कुमार प्रथम ने दिखलाया सामंती चेहरा,मृतक किसान परिवार,ग्रामीणों,किसान प्रतिनिधियों से किया मिलने से इंकार,कहा कि ...' मेरे पास और भी बहुत काम है,समय नही है ' !

बाँदा / बुंदेलखंड 7 मई 2015 जारी -

जो किसान गाँव के अन्य किसानो  का हौसला बढ़ाता था ,उन्हें हिम्मत से काम लेने की नसीहते दिया करता था ! आज वही जिंदगी को अलविदा कह गया है l यही हुआ बुंदेलखंड के जिला बाँदा के गाँव महोखर में गत 7 मई को जब किसान विजय बहादुर सिंह उर्फ नाती सिंह पुत्र पहलवान सिंह ने आत्महत्या कर ली l बुंदेलखंड में गत तीन माह से शुरू हुआ ये मौत का सिलसिला अभी तक रुका नही है l जैसे - जैसे बेदम अनाज खलिहान से उठकर घर आ रहा है उसका अंश - उपज दाना देखकर ये किसान आत्महत्याए और तेज हो रही है l अब तक ये आंकड़ा बाँदा में 65 किसानो को पार कर आगे है l 








जिला कलेक्टर ने ढाई घंटे तक किसान की लाश को,उसके पीड़ित परिवार को और सैकड़ो ग्रामीणों को इंतजार करवाया और लाख जिरह करने के बाद दो मिनट के लिए नही आये l ..सुरेश कुमार प्रथम ने सबको अपने ठेंगे में लिया जबकि खुद की धर्मपत्नी डाक्टर विमलेश राठौर के माध्यम से लगाये गए बाँदा में आर्ट आफ लिविंग के कैम्प में आला अधिकारी के साथ समय निकालकर करते है शिरकत ताकि भीड़ जुट सके ! अमानवीयता की सीमा से परे जाकर उपजिलाधिकारी सदर बाँदा प्रह्लाद सिंह, दरोगा - सिपाही और लेखपाल बने तमाशाई नही आई किसी को किसान आत्महत्या पर संवेदना ....कहते कि डीएम साहेब 5 मिनट के लिए आ जाइये ! ये बीस लाख की आबादी के आप प्रसाशनिक मुखिया है ! ....अगर इतने ही व्यस्त है तो फिर सपा विधायको के बेटो के विवाह समारोह, नेताओ के जलसे में क्यों चले जाते हो ?
आज बाँदा जिले के गाँव महोखर में किसान विजय बहादुर सिंह ( उम्र 60 वर्ष ) ने सुबह 9 से दस के मध्य अपने गृह निवास के समीप बने पुराने अटारीनुमा दो मंजिला पुराने घर में फांसी लगाके जीवन लीला खत्म कर ली. किसान के एक बेटा था,बेटियों का ब्याह हो चुका था,बेटे से तीन सायानी बेटियां क्रमशा काजल,सोना और दीपा है. जिसमे काजल के लिए बीते दो दिन लड़का देखकर आये थे. दहेज़ की बढ़ती मांग और गत 6 मई को खेत में चना कतरा कर आने के बाद उन्होंने बात नही की. आज सुबह ये कदम उठ गया. इस मृतक किसान के 23 बीघा कृषि जमीन थी. किसान क्रेडिट कार्ड पर 3 लाख रूपये खुद पर कर्ज और तीन लाख बेटे कुलदीप सिंह पर कर्जा था. मौके पर बाँदा के प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह,मै खुद,कैप्टन सूर्य प्रकाश मिश्र,बलराम तिवारी,बैजनाथ सिंह पहुंचे. किसानो को संवेदित कर वहां आये उप जिलाधिकारी सदर से किसान प्रेम सिंह ने कहा कि ये आखरी किसान आत्महत्या हो ! इसका समाधान खोजिये ! सरकारी खैरात से इसका निपटारा नही होगा. सबने एक सुर में जिलाधिकारी बाँदा को आने का निवेदन किया लेकिन अपने कुर्सी के मद में चूर जिलाधिकारी नही आये l
बाद में आये कांग्रेसी विधायक तिंदवारी दलजीत सिंह ने आशा अनुकूल साथ नही दिया और हम सब अपनी लड़ाई हार गए किसान का अंतिम संस्कार बिना जिलाधिकारी के आये हुआ. मगर ये सवाल है उस लोक तन्त्र पर जो किसानो का पैदा किया खाता है, जिसके बच्चे - पत्नी हम जनता के धन / टैक्स से पलते है, ये सवाल है उन खद्दर वाले नेताओ,गृह मंत्री - प्रधानमंत्री और समाजवादी मुख्यमंत्री से जिन्होने इस साल को ' किसान वर्ष ' घोषित किया है ...कि क्या ये साल किसानो की तेरहीं का वर्ष है जिसमे आप के घड़ियाली दावे हजारो परिवारों को अनाथ कर रहे है. ....शर्म हमें नही आती ! -आशीष सागर