Wednesday, October 14, 2015

समाजवाद की बदबू आईपीएस अमिताभ ठाकुर तक !

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आईपीएस अमिताभ ठाकुर के घर 13 अक्टूबर को विजलेंस के भेष में 60 सरकारी लाइसेंस धारक डकैतों ने छापेमारी की ! मीडिया को घर में घुसने नही दिया,मकान मालिक को एक घंटे बाहर खड़ा रखा और अकेले पत्नी नूतन ठाकुर से पूछताछ करती रही पूरी सरकारी ब्रिगेड ! कागज खंगाले,कमरों को अस्त - व्यस्त किया और बिना सर्च लिस्ट दिखलाये फरार हो गए अपने समाजवादी सरगना के पास ! 

गौरतलब ये दबिश आय से अधिक सम्पति मामले की जाँच प्रक्रिया के मद्देनजर की गई



थी ! लेकिन सवाल ये भी है कि जिस लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा की जाँच में अमिताभ ठाकुर दोषी बतलाये गए है वही खनिज मंत्री गायत्री प्रजापति को बरी का देते है !...इन्ही लोकायुक्त की जाँच में दोषी बसपा के ग्यारह मंत्री जिसमे दिग्गज नसीमुद्दीन सिद्दकी भी शामिल है इनकी जाँच मुख्यमंत्री सीबीआई/ ईडी से न करवाकर अपने कारिंदों विजलेंस से करवाते है वो भी रिक्शा का साधन देकर लखनऊ से इलाहाबाद तक ..बाँदा से बाराबंकी तक महज दो दरोगा,एक अफसर से हाथ ! ....विजलेंस के तत्कालीन जाँच अधिकारी भारत भूषण वासने( इलाहाबाद स्टाफ ) कहते है कि भाई आशीष सागर देखो ये मुख्यमंत्री मगर की जाँच मछली से करवा रहा है ! ...हमें रिक्शा दिया है ,एक अदद जीप भी नही कही ऐसा न हो एक सत्तर रूपये का कारतूस अपना भेजा उड़ा देवे !

करीब ढाई साल जाँच चलती रही,दो मुकदमे लिखे गए एक बाँदा कोतवाली ,दूसरा लखनऊ में मगर आज तक नसीमुद्दीन सिद्दकी की गिरफ्तारी नही हुई ! ..सुनते है दस करोड़ रूपये में ये डील समाजवाद के साथ हुई कार्यवाही न करने के लिए ....पर आईपीएस अमिताभ ठाकुर मामले में ये सरकार के मुलाजिम इतना कहे बलबला रहे है ये भी समझा जा सकता है !....और तो और बाँदा के छुट भैये ठेकेदार जो बसपा में बाबू सिंह कुशवाहा तक अपनी धर्म पत्नियाँ तक लिटा दिए उनकी अरबो की सम्पति इसी लखनऊ में खड़ी है....विशाल खंड तीन से लेकर बाँदा के मेडिकल कालेज मार्ग तक ये सल्तनत है लेकिन क्या औकात की कोई हाथ लगा लेवे ! ओडी,इंडीवर,फिएस्टा,सेंट्रो,2 हाईवा ( दस टायर ट्रक ),तीन ट्रैक्टर के साथ सिद्धार्थ नगर से लेकर नेपाल बार्डर तक की ठेकेदारी ' यशराज इंटर नेशनल ग्रुप ' के बैनर से होती है...इस कम्पनी को गूगल में सर्च मारिएगा मिल जाएगी ...104 करोड़ का ठेका बाण गंगा कैनाल प्रोजेक्ट में काम कर रहे है ये लोग ...इतना ही नही ये ठेकेदार सुरेश गुप्ता से सुरेश सिंघानियां बन जाते है,इनका पासपोर्ट,वोटर आईडी तक इस नाम से बन जाती है.इनकी पत्नी सपा की कद्दावर नेता है लखनऊ में नाम है अंजना गुप्ता ...इसी फेसबुक में दोनों के खाते है सुरेश गुप्ता का सुरेश सिंघानियां नाम से वोटर आईडी है.ये दिल्ली से कुवैत तक टहलते है ..शिकंजा कसेगा कोई ? ZFK0417257,Address - 2 एस.एफ,ब्लाक बी,शालीमार बाग़,दिल्ली ये जारी है 7.01.2011 को निर्वाचन कार्यलय से ! ....बसपा के टिकट से विधानसभा चुनाव में अतहर सिद्दकी नाम का व्यक्ति ( मालिक होटल डिप्लोमेट फतेहपुर ) इनका रसूखदार पार्टनर है इसका मुंबई में एक डांस बार है, करोडो की प्रापर्टी है ...कोई लगाएगा हाथ ? कहाँ तक देखोगे मुख्यमंत्री जी खाली अमिताभ ठाकुर की जाँच करवाने से क्या मिलना है ! करवानी है तो पहले अपनी परिवार की करवाओ ( आय से अधिक सम्पति में ),बसपा के मंत्रियो की करवाओ जो जेल में होने चाहिए थे आज नेता विपक्ष है ! ....मजाक करते हो लोक से जब गर्दन में यादव सिंह अटक गए तो नेता मुलायम सिंह मोदी - मोदी गा रहे है ...देखना ये है कि आत्मा से कितना गिरते है आप लोग आखिर अब राजनीति बची कहाँ है ये नेतागिरी कोठे से मैला पेशा है कम से कम वो अपने ग्राहक से गद्दारी तो नही करते ...तुम सबने यह वतन बेचने का कुत्सित चक्र पिछले 72 सैलून से चला रखा है और लोक तुम्हे फिर भी ढोता घूमता है ! ...उत्तर प्रदेश की आईएएस / आईपीएस जमात मौन साधे है...हैरानी नही है क्योकि ये देश विविधताओ और चाटुकारिता का देश है....समर्थन अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर जी दिल से जिंदाबाद

केन में पानी नही बुन्देली पानीदार कैसे ?

' मरती केन की धारा,कैसे चले शिकारा ' ! 

बाँदा 15 अक्टूबर - बुंदेलखंड के जिला बाँदा की तहसील पैलानी,जसपुरा और भरुआसुमेरपुर में केन नदी के हाल कुछ ऐसे है ! मध्यप्रदेश के जबलपुर,कटनी जिले की यह नदी कटनी रीठी तहसील से दो किलोमीटर दूर एक खेत से निकली है। जहां आज भी कई ऐसे प्रमाण मिलते हैं जिन्हें देखकर लगता है कि मुगल काल से पहले हिन्दु चंदेल शासकों ने इसे उद्गम स्थल के रूप में मान्यता दी थी, लेकिन अफसोस आज इस जगह को स्वतंत्र भारत में भुला दिया गया। केन में पाया जाने वाला शजर पत्थर आज विलुप्ति की तरफ है ! शजर अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है शाख या टहनी 1 इसमें प्रकृति के सुन्दर चित्र मसलन पेड़,पहाड़,पक्षी या मानव की छाया नैसर्गिक कलाकारी से बनती है.कुछ लोग शजर को कार्बन या हकीक का पर्याय भी कहते है.बाँदा से शजर मक्का -मदीना तक जाता है पर उन्हें ये जानकारी नही होती कि ये कहाँ से आया है ! जह यात्री शजर में कुरान की पाक आयते लिखवाकर लाते है.. कभी ये पत्थर अफगानिस्तान तक यहाँ से जाता था आज खुला बाजार न होने से बाँदा की 34 लघु फर्म बंदी की तरफ है मात्र चार में काम होता है इसको तराशने का ! कमोवेश जितना ही केन नदी का उद्गम स्थल अजीबो-गरीब है उतनी ही इसके उद्गम की कहानी भी आश्चर्यजनक है। रीठी के वासिंदे केन को एक देवी के रूप में पूजते हैं। तभी तो आज भी वह शव के अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां तथा राख केन की उन पहाड़ियों में डाल देते हैं जो आज भी एक रहस्य के समान है।
रीठी के पास जिस खेत से इसके निकलने को लोग मानते हैं वहां से कुछ दूरी पर ही सुनसान स्थल पर चट्टानों के बीच कई पुरातात्विक स्तंभ, मूर्तियां, अवशेष बिखरे पड़े हैं। केन जिसे कर्णवती भी कहा जाता है। यह यमुना की एक उपनदी या सहायक नदी है जो बुन्देलखंड क्षेत्र से गुजरती है। दरअसल मंदाकिनी तथा केन यमुना की अंतिम उपनदियाँ हैं क्योंकि इस के बाद यमुना गंगा से जा मिलती है। रीठी के पास केन के उद्गम स्थल को नदियों की सीमाओं की खोज करने वाली यूएसए की आन लाइन लाइब्रेरी एस्कार्ट ने अपने रिकार्ड में समावेश किया है किन्तु भारत में इस नदी के विषय में सिर्फ इतना ही कहा जाता है कि यह दमोह-जबलपुर अथवा कैमूर पर्वत श्रृंखलाओं से निकली है। केन को अपने रूद्र रूप में अगर देखना है तो पन्ना टाइगर्स वाया छतरपुर -सागर मार्ग में केन -बेतवा लिंक में प्रस्तावित गंगऊ डैम के पास देखे,यह पहाड़ी नदी अपने शबाब में नजर आती है लेकिन पिछले दो साल के सूखे ने इसकी 6 सहायक बरसाती नदियों को भी सूखा दिया है....इनमे बाँदा / बुंदेलखंड की बाणगंगा,बाघे,कडैली,रंज,और महोबा की धसान,उर्मिल शामिल है.इस टूटी हुई धार में रेत माफिया का खनन इसके छत-विक्षत अस्तित्व को खोखला कर रहा है ...बुंदेलखंड के साथ छल करने को बनाया जा रहा केन -बेतवा नदी गठजोड़ और सरकारी राजस्व के लिए खनन का खेल कुछ वैसा ही है जैसे रेगिस्तान में सभी कुएं,बावड़ी,पोखर और तालाब को पुरैन डालकर सूखा दिया जावे....भविष्य भयावह है,सरकार बेफिक्र ..बेशर्म ! - सभी तस्वीर स्वतः ली गई है - आशीष सागर,प्रवास,बाँदा