Tuesday, February 23, 2016

जेएनयू पर बलवा और किसानों की आत्महत्या पर चुप्पी !

23.02.2016 Bnada - Biplab Ketan Paul

राष्ट्रवाद पर विलाप करने वाले बतलाये किसका पैदा किया अनाज खाते है ?
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ मीडिया भी क्या दंगाई है ?

भारत की कथित देशभक्ति में उबलती राष्ट्र की बेलगाम आवाम पर किसी का नियंत्रण नही है ! न सुप्रीम कोर्ट के कानून ( जब काले कोट पहने लोग ही गुंडे हो जाये तब क्या ? ) और सामान्य नागरिक ! ...पिछले दो हफ्ते से तमाम न्यूज़ चैनल जेएनयू राष्ट्रवाद विवाद पर लगातार प्रवचन कर रहे है मजनून मुद्दों से इतर हटकर ! या ये कहे भीड़ के साथ चिल्लाना उनकी नैतिक मज़बूरी है फिर चाहे जेएनयू के पक्ष में हो या विपक्ष में प्रलाप करने की ! उमर खालिद / कन्हिया कुमार को मीडिया ट्रायल से नेशनल चेहरा बना देने वाले हिंदी - अंग्रेजी ईलेक्ट्रानिक चैनल- पोर्टल और समाचार पत्र काश अगर इतना मंथन,लाइव न्यायधीश बनकर डिबेट और मुगालता रोज मरते और मर चुके असहाय,कर्जदार किसानों की आत्महत्या पर किये होते तो केंद्र और राज्य सरकार घुटने टेक देती ! किसानों का वो कर्जा माफ़ होता जो मकडजाल बन गया है ! बुंदेलखंड - विदर्भ में किसान मरते क्या करते सूखे खेतो से उबकर अन्ना जानवर से हलकान है ! वो अपने गोवंश की खूटे में लाज नही बचाना चाहता क्योकि उसके पास खुद के लिए अनाज नही है ! बाँदा के सदर तहसील के बांधा पुरवा गाँव की कुसमा साठ वर्षीय आज जिला अस्पताल में भर्ती है,उसकी बीते सोमवार खेती की चौपट सूरत देखकर हालत बिगड़ गई है ! सदमे में वह बेहोश हो गई जिसको गाँव वाले अस्पताल लेकर आये है ! ...मेरे पास रविवार से उन किसान परिवार के फोन आ रहे है जिनकी सयानी बेटियों की शादी आगामी मार्च ,अप्रैल और मई में है ! उनके पास कन्यादान के लिए रुपया नही दहेज़ को भूल जाए ! ....ऐसे ही कुछ नंबर है जिनमे आप तस्दीक कर सकते है- राधेश्याम मिश्रा ग्राम पनगरा,नरैनी से 9621170402,जमरेही- महुआ से 9919060433,संग्रामपुर,नरैनी से 7800209179,बिसंडा - बबेरू से किसान नरसिंह 9918151770 ऐसे सैकड़ो किसानों को आज सहारे की दरकार है इसी मुंह चलाऊ मीडिया से जो दस लाख किसान आत्महत्या पर आज तक एक सप्ताह लगातार न चिल्ला सकी कभी भी ! बुंदेलखंड के 4 हजार से ऊपर मरे किसान आपके लिए चुनावी पकवान है ! .... शर्म करो तुम किसका उपजाया अनाज खाकर ये चिल्लाने का माद्दा लिए हो ! यह समाज किसका पैदा किया खा रहा है ? ये नेता किसकी साख पर संसद पहुचें है यही किसान की उगाई फसल खाकर ! मगर वो आपके लिए बड़ा मुद्दा नही बने ! आज देश के बैंक अंबानी को 1072 करोड़ और किसान के मृत परिवार को 6775 रुपये मुआवजा देकर थूक रही है ! गुजरात में फसल खराब होने की वजह से किसान आत्महत्या कर रहे है वहां पूंजीपति नही मरते ! न कही और किसानी की आत्महत्या में ! सोचो कि किसान आपके लिए बड़ा मुद्दा क्यों नही है क्योकि उसके पास आवाज के लिए मंच नही है,उसके भाग्यविधाता उसके ही अन्न पर मलाई खाने वाले लोकसेवक है ! इसी ईलेक्ट्रानिक मीडिया ने दो सप्ताह से फेसबुक से लेकर टीवी को बदबूदार पायदान बना दिया है ! इसमे प्रत्येक पत्रकार ज़िम्मेदार है जो इस मुद्दे को उछालने का सिपाही है, चौकीदार है !
http://www.bbc.com/…/160221_bundelkhand_people_lood_foodgra…
( तस्वीर में बाँदा के गोबरी गाँव की आदिवासी महिला किसान )

1 Comments:

At February 23, 2016 at 7:21 AM , Blogger Zeeshan Akhtar said...

भूखे अमीर पूंजीपतियों की मीडिया...

इनसे क्या उम्मीद की जा सकती है. भूख किसानों को अनाज लूटने को प्रेरित कर रही है. टीवी मीडिया को टीआरपी/पैसे की भूख दंगा कराने झूठ बोलने को प्रेरित कर रही है

 

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