Monday, April 25, 2016

' बुंदेलखंड में पानी का रंग लाल है ' !!!

नोट - यह नोट एक पाठक के भ्रमित होने पर लिख रहा हूँ ! कृपया ध्यान देवें ! ' इसको ममता और वात्सल्य से देखे , यह जलसमस्या के मुद्दे पर पर केन्द्रित मात्र है, इसको उन्ही नजरों से देखे साथ ही मेरे लिए स्त्री की नैसर्गिक देह भी इस बिटिया की तरह ही है जिसमे मै प्रकृति गतायात्मकता देखता हूँ स्रष्टि के विकास के लिए न कि विकृत कामना के लिए ....! मेरा एक मात्र उद्देश्य बुंदेलखंड में बचपन और पानी के बोझ से है ! ' 25  अप्रैल 2016 

' जी रही बचपन को माँ बनकर, पिला रही पानी हर तपन सहकर !
उठाकर बोझ कलसे का वो खिलौना समझती है, 

जिला कर परिवार को ख़ुशी का बिछौना समझती है ! ' 

जब सूखे सबरे ताल तलैया , तब का होग्यो आगे भैया ! 

                                               

चार वर्ष पूर्व जब मैंने यह तस्वीर खीचीं थी तब भी इसके आज और ज्यादा प्रासंगिक होने की बात जेहन में थी ! छतरपुर के किशनगढ़ ( बिजावर ) के रस्ते में यह बचपन ' नीर की जंग ' में संघर्षरत था ! पता नही आज इस बिटिया के क्या हाल होंगे ? चार साल बाद यह लड़ाई तो और भी अधिक तपिश लिए है !!! यह वही क्षेत्र है जहाँ से 'केन-बेतवा नदी गठजोड़ ' के दस आदिवासी गाँव विस्थापित किये जाने की कवायद में उमा भारती लगी है ! उन्होंने बीते दिवस उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ बुंदेलखंड में प्रस्तावित बांध परियोजना के पेचीदगी पर विमर्श किया है ! बुंदेलखंड के गंगऊ डैम,रनगंवा,बरियार पुर(छतरपुर ),चंद्रावल,उर्मिल,अर्जुन ( महोबा ),ओहन चित्रकूट,रसिन( बुंदेलखंड पैकेज से बना) में महज 4% पानी शेष है और अभी मई की लाल गर्मी बाकि है जिस पर आमजन ,पशुओं की प्यास बुझेगी मगर कैसे ?

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