Friday, June 03, 2016

राशन सड़ा रहे- गरीबों को तरसा रहे !

बुंदेलखंड में नत्थू की भूख से मौत और देश भर में भुखमरी से मर रहे लोगों के बीच यह खबर देश के लोकतंत्र का काला चेहरा साबित हो रही है !

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' श्वानों को मिलता दूध - भात ,भूखे बच्चे अकुलाते है,बिना आनाज के तपती धरती में,बेपानी मर जाते है ! खुद खाते पिस्ता-काजू और सब्सिडी में लजीज पकवान,इस देश के दोगले नेताजी, अब कहाँ लजाते है ' ? 

सूचनाधिकार खुलासा साथी कुलदीप शुक्ला की आरटीआई ने खोली देश के एफसीआई में सड़ने वाले गेंहूँ और चावल की कालिख ! उत्तर प्रदेश में भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में 1823 मीट्रिक टन आनाज सड़ गया है ! पूरे देश में एफसीआई के गोदामों में ख़राब हुए आनाज/ राशन की मात्रा 53144.815 मीट्रिक टन है ! दस्तावेजी रिपोर्ट ने गत 5 वर्षो में देश भर के आनाज गोदामों में सड़ने / गलने वाले गेहूं- चावल के आकंडे दिए है, इनमे गौर करे तो महाराष्ट्र में सर्वाधिक अन्न बर्बादी की गई है ! यह काम सिर्फ इस केंद्र सरकार के कार्यकाल का नही अपितु पिछली यूपीए सरकार के शासन को भी कटघरे में लाता है ! किसान के   परिश्रम से  पैदा किये अनाज की क्या खूब कद्र करती है भारतीय सरकार !
                                                     

गौरतलब है जब हाल ही में यूएनओ की रिपोर्ट में दुनिया के भुखमरी वाले देशों में भारत शीर्ष पर है ! किसी को भूख - कुपोषण के चलते टीवी होती है तो कोई बिना अनाज मर जाता है उधर  बुंदेलखंड समेत अन्य प्रान्तों में भूख से मौत / गरीबी में किसान आत्महत्या की ख़बरें आती हो वहां यह तस्वीर कितनी ग्लानी भरी है यह कहने की आवश्कता नही है ! मगर शर्म उन्हें आती है जिनका जमीर जिंदा हो और जो नेतागिरी वास्तव में देश / आवाम के हित में करते हो ! अपनी दो साल की उपलब्धि में 1000 हजार करोड़ का मेगा शो करवाने वाले देश के परधानमंत्री मोदी को भले ही यह सच स्वीकार न हो लेकिन हकीकत यही है ! कि यह अनाज देश और प्रदेश के शराब / बीयर माफिया - मालिक को सस्ते दामों में बेचने के लिए ही सड़ाया जाता है ! सूखा और भूखा देश का बाशिंदा यह सच काश समझकर संसद / विधानसभा में आत्मघाती हमला कर सकता,तो इस सड़ती हुई अनाज व्यस्वथा और देश की अर्थ व्यवस्था में महज मुट्ठी भर लोग / चुने हुए कथित लोकसेवक से धरातलीय आजादी मिल पाती !

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