Thursday, August 25, 2016

प्रवासनामा डेस्क टीम संयोजक को मिला ' श्री कंचन एरन स्मृति सम्मान 2016 '

www.pravasnamakhabar.com and www.bundelkhand.in
24.08.2016 -
Me winner of Kanchan Aron memory Award 2016. For an Outstanding contributaion in awareness creation for the casue water and other environment issues,on the occasion of ' DANA-PANI' .with Padam shri Forest man Jadav Molai Payeng.me undertook with other volunteers a 'jal yatra' (Taalab Avam Bhudan Charagah Mukti Abhiyan) from Banda to Lucknow covering whole of UP Bundelkhand region.(the most arid Water Crisis districts). Her insights into the lives people are quite formidable. Hers was a discovery journey. She narrated it to us with lot of feelings yesterday at the Dana Pani event.#SaveSparrows #गौरैयाकाब्याहबाँदा are a family of small passerine birds.
23 अगस्त को राजधानी लखनऊ के एनारएलसी ट्रेनिग सेंटर सभागर में डायरेक्ट आफ एनवायरमेंट यूपी / स्वयं सिद्धा के सौजन्य से आयोजित'दाना-पानी'( गौरैया संरक्षण अभियान )व्याख्यान में देश के वन पुरुष पद्म श्री जादव मुलाई पायेंग आसाम,डाक्टर बीवी खरबड़े( प्रधान निदेशक एनारएलसी)पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह (कुलपति नोयडा इंटरनेशनल युनिवर्सिटी),श्री वी.एन.गर्ग( पूर्व सचिव कृषि उत्पाद एवं वन - पर्यावरण),प्रोफ़ेसर वीके जोशी ( भूगर्भ वैज्ञानिक/ जीआईएस )सीनियर जर्नलिस्ट जीतू कालिता ( आसाम),श्री अगस्टीन वैलथ (संचार विशेषज्ञ यूनिसेफ),आसिमा सिंह (पूर्व डीआरएम रेलवे,लखनऊ) एवं स्वयं सिद्धा की फाउंडर डाक्टर शिखा त्रिपाठी,दाना पानी अभियान प्रोग्राम मैनेजर गौरव मिश्रा आदि की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ ! 
 





असाधारण व्यक्तित्व वनपुरुष जादव मुलाई पायेंग के हाथो अनुज को ' श्री कंचन एरन स्मृति सम्मान 2016#कंचनएरनसम्मान प्रदान किया गया है ! यह सम्मान बाँदा वासियों सहित आप सबको समर्पित है.बतलाते चले कि श्री कंचन एरन हिंदुस्तान टाइम्स में सीनियर पत्रकार थे और पर्यावरण को लेकर उनका समर्पण आसाधरण रहा है उनकी स्मृति में यह सम्मान दिया जाता है.वही स्वयं सिद्धा की डाक्टर शिखा त्रिपाठी अपने स्नेहिल पिता श्री एसएन त्रिपाठी (पूर्व जल एवं भूगर्भ वेत्ता)को समर्पित यह सामाजिक कार्यक्रम वर्ष 2008 से करती आ रही है ! बकौल शिखा घर में बुजुर्ग और परिंदे उतने ही आवश्यक है जितनी जीवन में खुशियाँ !



शिखा त्रिपाठी एवं उनके भाई सहित माता जी कभी बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में रहे तब उनके संरक्षक पिता वहां तैनात थे ! आज भी तालबेहट से लगे सहरिया आदिवासी उनके जेहन में जिंदा है ! बुंदेलखंड के अवैध खनन की कहानी सुनकर उन सहित सभी गणमान्य व्यथित हुए ! #आजादभारतमेंविकास#लालकालेसोनेकीलूट जादव पायेंग के वक्तय को सुनकर सहज आप ये अनुभूत करेंगे कि यह साधारण इंसान आसाम के जंगलों का ' हरित पुत्र ' है.वो क्षण विस्मृत नही होंगे जब मैंने अपना अंग वस्त्र साल वनपुरुष को भेंट किया और उनका आशीष मिला !#पेड़नहींपहलेमुझेकाटोफारेस्टसंस्मरणआसाम प्रकृति सम्यक इस व्याख्यान में अधिकतर वस्तुए मिटटी की रही !          

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