Thursday, August 25, 2016

दाना -पानी की कार्यशाला में पहुंचा ' बीजुका ' नकटा !

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परिंदों की उड़ान हरियाली से होती है,जरा सोचो की ये खेत,नदी, पगडण्डी क्यों रोती !

बाँदा - रात्रि में किसान के खेतों की जंगली जीव से प्रतीकात्मक रखवाली करने वाला ' बीजुका ' नकटा बीते दिवस #दानापानी के सामाजिक कार्यक्रम में दिखलाई दिया ! बहुत सुन्दरता से बनाया गया था ! ये साथी हम सभी किताबी पढ़े - लिखे लोगो को घंटो सुनता रहा ! विकास की अट्टालिकाओं में इसके लिए दफन हुए पन्ने और स्मृति इसको कैसे कचोटती होगी यह भी बयान न कर सका ! आखिर अब किसान के खेतों में विचरण करने वाली ' ची-ची - गौरैया ' से लेकर तमाम अन्य परिंदे,वन जीव आदमी नाम के खतरनाक और वीभत्स हाड़ - मांस की देह वाले बीजुका से डरकर विलुप्त जो हो रहे है ! उनके लिए बड़ी - बड़ी कार्यशाला में देखों न बुद्धजीवी उनका चिंतन- मंथन कर रहे हाय कैसे बचेंगे ये ' बीजुका- नकटा और आसमानी परिंदे ' !     


यथा वाईल्ड लाइफ के लोग जब एसी में बैठकर 'शेर ' के संरक्षण की बात करते है तब मुझे उनके बनाये राष्ट्रीय अभ्यारण्य सर्कस के उस पिंजरे जैसे लगते है जहाँ ' शेर ' / अन्य वन्य जीव जोकर बनकर आदम के लिए मनोरंजन का साधन मात्र रह जाता है ! लेकिन ये यह नही जानते कि टाइगर रिजर्व - पन्ना टाइगर रिजर्व,पन्ना  #केनबेतवानदीगठजोड़ को बड़े बांधो से उजाड़कर ये न तो लायन सफारी बचा पाएंगे और न शेरों - गिद्ध के साथ ऐसे ही खेतिहर बीजुका - नकटा को !! कंक्रीट के विकास से ही तो हम सबका अस्तित्व मिटना है न !! जंगल को उसके हाल पर छोड़ दो साहेब पिकनिक स्पाट बनाकर सिर्फ अपना मौलिक पतन ही करोगे ! सुन रही है न उमा भारती जी !

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