Monday, April 18, 2016

बेपानी बुंदेलखंड का झाँसी का बंगरा विकासखंड !


 Photo By- आशीष सागर

' कौन कातिल है इस धरोहर का, क्यों न बुरा हाल हो बुन्देली गुलमोहर का ?' '' राम से बड़ा और आंबेडकर से अधिक प्यारा है यहाँ पानी ''!!

' राम से बड़ा और आंबेडकर से अधिक प्यारा यहाँ पानी ' !!!

मगर क्या यही सच है जब उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले की तरह बुंदेलखंड में भी ' छद्म जय श्री राम ' का तमाशा लाखो रूपये गर्क करके पिछले दो साल से किया जा रहा हो ? 
जिला झाँसी के मऊरानीपुर के बंगरा ब्लाक के बोड़ा ग्राम पंचायत में आज जल संकट की विभीषिका है ! ...ग्रामीण एक बाल्टी पानी की जद्दोजहद में बैलगाड़ी से पानी ढोते नजर आ रहे है ! ...
जब बीबीसी संवाददाता (हिंदी ) समीर आत्मज मिश्रा के साथ मै और शिवनारायण सिंह परिहार इस गाँव में दाखिल हुए तो हर तरफ ठूट बने बेपानी हैंडपंप, पलायन से लटके ताले,सूखे कुंए दिखलाई दिए ! सारे तालाब में धूल उडती दिखी और पानी के लिए रोते लोग जब परचून की दूकान में थमसप,कोक,स्प्राइट रखे आजीवका चलाते दिखे तो पानी की लूट का मुलम्मा भी साफ हो गया ! 
                                                




अगर यह कहूँ कि इस बुंदेलखंड को सूखे का नारा अब नही लगाना चाहिए ! तो गलत क्या है ? ...आज रामनवमी को आस्था का तमाशा करके बुन्देलियों ने राम को जोकर बना देने जैसा काम किया है औरों की भीड़ में भागते हुए ! ..क्या यह प्रपंच गाँव वालों को पानी देगा ? ...यकीनन बुंदेलखंड का किसान मुफ्तखोर हो गया है ! यह भी सच है कि हर आत्महत्या कर्ज से नही होती है !...तब जब एक किसान किसान क्रेडिट कार्ड से डिफाल्टर घोषित होकर बिचौलियों के जाल में लालच वश उलझकर 6 बैंको से कर्जा लेता हो ! इसकी वजह भी है किसान पर वोट की राजनीती और कर्जा माफ़ कर देने की जुमलाई घोषणा फिर माफ़ नही करना !...अब बंगरा विकासखंड के बोड़ा गाँव का की यह तस्वीरे देखे ! ...तस्वीर में जो दिख रहा है वो झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने यहाँ अपनी अतिम चौकी बनाई थी क्योकि यह गाँव टीकमगढ़ की सरहद ( बम्होरीकला ) के समीप है ! ...इसी जर्जर किले में वर्षा जल संरक्षण के लिए यह प्राचीन कुआँ जमीन से 200 मीटर ऊपर बना है ! जिसमे कभी पानी था ! किले की सुरंग से होकर सैनिक अपने हाथियों को कुंए के पास बनी चरही में पानी पिलाते थे !...एक प्रकार से यह जल टांका भी था ! आज बोड़ा गाँव के लोगो ने इस कुंए को मलखाना बना दिया है ! हाल यह है कि कुंए के पास जाकर आप तस्वीर नहीं ले सकते है साँस बेदम हो जाये !...क्या सुंरग के छेद और क्या कुंए का घेर सब जगह इन्होने मल किया और करते है !...जो कभी अथाह जलराशी थी आज मूत्र / पखाना का सुगम -सुलभ स्थान है वैसे ही जैसे देश के हर तालाब ( पन्ना और छतरपुर सहित ) ! जिस गाँव में सरकारी बोरिंग में 665 फिट में पानी नही है,सभी जल स्रोत सूखे है ( तस्वीर में आज का सूखा एक कुआँ भी बानगी के लिए है.वही बैलगाड़ी से पानी लाते लोग भी है !....कहते है ' कुंए में जीव है,वोदेवता है ' ! लेकिन इन्होने इस सत्य का मर्दन किया है ! गौरतलब है गाँव में निकासी (ब्याह होने )/ बच्चा होने पर कुआँ पूजन होता है ! इस गाँव के हर सूखे कुंए को इसी झाँसी की रानी के जलटाँके का श्राप लगा है शायद !....आज प्यासों मरते यहाँ के सात हजार वोटर अपने इस कृत्य को नही देखते ! न किसी जिलाधिकारी, नेता,मंत्री और ग्राम प्रधान ने देखा है ! अगर यह संरक्षित होता तो आज यह जल संकट का कुछ समाधान निकल सकता था !कुछ ऐसा ही बाँदा के भूरागढ़ किले में बने कुण्ड का हस्र है ! इस बोड़ा गंद में सूखे के चलते हजारों किसानों का गाँव से पलायन हुआ है ! 
यहाँ 25 हैन्डपम्प में महज दो चलते है ! ग्राम प्रधान बाबूलाल कुशवाहा कहते है कि सरकारी बोरिंग में 665 फिट पर भी पानी नही निकला जबकि तीन मर्तबा लखनऊ के भूगर्भ विभाग ने बोर स्थान में छ इंच पानी की धार निकलने का दावा किया था ! गाँव के 8 कुंए और सात तालाब में एक बूंद पानी नही है ! मऊरानीपुर के सपरार बांध में पानी कम है जिससे इस गाँव में जिलाधिकारी झाँसी ने टैंकर से पानी भेजने की बात कही है ! पहुंचा की नही परिहार पता करे ! मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ सीमा से लगा यह गाँव पूरी तरह पानी की जंग लड़ रहा है !

तालाबों का स्वामी बुंदेलखंड सूखे की चपेट में !

आशीष सागर,समाज कर्मी / भारतीय किसान यूनियन(भानु) प्रवक्ता बुंदेलखंड.- तस्वीर स्वयं की 10 अप्रैल को ली गई !

'' हजारों तालाब की कब्रगाह वाले बुंदेलखंड में दो हजार नए तालाब और '' !!! -----------------------------------------------------------------------

दो हजार और नए तालाब बनवाने जा रही उत्तर प्रदेश सरकार जिस पर 181.65 करोड़ रूपये यानी एक तालाब नब्बे हजार,आठ सौ पचीस रूपये अनुमानित लागत आएगी ! यह तालाब किसान अपने खेत में बनाएगा ! उधर मनारेगा से बनाये गए सोखता गड्ढे,चन्देल कालीन उजाड़ तालाब सूखे है जिनमे पानी नही है ! वर्षा जल प्रबंधन की मिशाल में बने ये तालाब आज छतरपुर,पन्ना,टीकमगढ़,चित्रकूट का कोठी तालाब,गणेश बाग (पुरातत्व संरक्षण ) तक धूल फांक रहे या अवैध कब्जे के शिकार है सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद ! इसमे शामिल है लेखपाल,अपर जिलाधिकारी राजस्व और दबंग नेता/ लोग !...सवाल यह कि ये तालाब भरे कैसे जायेंगे ? ...मतलब साफ है हर हाल में सरकारी मिशनरी किसान के नाम पर धन खाना चाहती है और आश्चर्य ये है कि ऐसे योजना की सलाह बुंदेलखंड के कुछ पानी वाले डमरूबाज दे रहे है !..'अपना तालाब ' का नाम देकर यह सलाह गत दिनों बाँदा के दौरे पर आये प्रदेश सरकार के सचिव अलोक रंजन को पडुई सुहाना में दी गई थी ! ऐसी ही योजना पूर्व बसपा सरकार में 'खेत तालाब ' आई थी जिसमे किसान को तालाब के बदले सिचाईं के लिए एक वाटर स्प्रिंकलर सेट मिलना था जो नही मिला वो मंत्री जी खा गए !...तालाबो के सुखाड़ का यह खेल उतना ही घातक होगा किसान के लिए जितना की किसान क्रेडिट कार्ड से उपजी आत्महत्या !...तस्वीर में महोबा का विजय सागर तालाब है ! इस नए दो हजार तालाब के खेल पर महोबा के गुगोरा निवासी किसान पंकज सिंह परिहार कहते है कि जब अपना तालाब जैसी योजनाएं लोगो के दिमाग में घुसेड़ी जा रही तब हम बूँद बूँद पानी को तरस रहे है ! ' पंकज सिंह ने बाँदा जिलाधिकारी योगेश कुमार के सामने कहा कि जब खेत में तालाब बनेगा तब खेत की उपजाऊ मिट्टी बहकर उसमे जाएगी क्योकि ढाल वही होगा ...खेत उर्वरा शक्ति से नष्ट होगा ,उसकी उपरी परत कमजोर होगी तब जिलाधिकारी चुप हुए !....बोले अभी फौरी इलाज कर दे बाद की देखि जाएगी मेरे साथ समीर आत्मज मिश्रा भी थे बीबीसी हिंदी ! ' 
                                      








एक ज़माना था जब बुंदेलखंड के खेती वाले इलाके में पूरे के पूरे खेत 4 महीने तालाब बने रहते थे हम अन्न धन से दुखी नही थे.बिना किसी उर्वरक के खेती में खूब पैदा करते थे सरकारों ने हमें लालच दिखाकर रासायनिक खाद दी हम आलसी हो गए खेतों को भरना छोड़ दिया. खेतों को इतना मुफ्तखोरी का लती बना दिया कि रसायन खाद बिना एक दाना भी पैदा नहीं कर सकते ! खतरनाक रासायनिक उर्वरकों से पैदा अनाज खाकर हम ऐसे हो गए की अपने खेतों में पड़ी बंधियों को रूंध नही पाते बरसात का पानी बहा कर बारिश ख़त्म होने के बाद ही सूखा सूखा चिल्लाने लगते है। कभी खेत में मेड और मेड में पेड़ की परंपरा को चकबंदी खा गई है ! आज किसान की मेड में पेड़ नही मिलता है ! गौरतलब हैकि महोबा का विजय सागर तालाब एक पक्षी अभयारण्य भी है ! विजय सागर एक झील है, जिसे 11वीं शताब्दी में मध्यप्रदेश के विजय पाल चंदेला ने बनवाया था। यह अभयारण्य शहर से पांच किमी दूर है और पक्षियों की कई प्रजातियों को अपनी ओर खींचता है। तैराकी और वाटर स्पोर्ट्स को पसंद करने वालों के लिए यह एक आदर्श जगह थी जो अब वीरान है। मगर आज महोबा के कीरत सागर(पुरातत्व के संरक्षण में है ),मदन सागर,बाँदा के छाबी तालाब,बाबू राव गोरे तालाब,बाबू साहेब कैंट बाग़ स्टेडियम मार्ग,अतर्रा कसबे के कभी सौ - सौ बीघे में फैले तालाब मसलन मूसा तालाब (1.97 एकड़),धोबा तालाब (1.44 एकड़),दामू तालाब(7.88 एकड़), गंगेही तालाब ( 4.93 एकड़ ),घुम्मा तालाब (3.32 एकड़),भवानी तालाब (2.0 एकड़ ), गोठिल्ला तालाब ( एक एकड़ ), खटिकन तालाब ( 6 एकड़ ),भीटा तालाब ( 11 एकड़ ) इसके अतिरिक्त टेकना,गर्गन,देउरा बाबा तालाब अपने अस्तित्व को खो चुके है ! यही सूरत झाँसी के लक्ष्मी तालाब की जिसमे जल मंत्री उमा भारती का साइबर ऑफिस खुला है और अब एक बड़ी आवासीय कालोनी इस तालाब की छाती पर सीना ताने है ! बुंदेलखंड कभी अथाह जल राशी वाले तालाबों का गर्भ गृह था जो आज सूखे और जल त्रासदी की चपेट में है ! समय रहते हमें आवश्यकता है अपने प्राचीन तालाबों / कुएं को सहेजने की नही तो यह नए - नए पानी बचाने वाले तमाशे कमाई का साधन मात्र साबित होंगे यथा हुयें भी है !