Wednesday, May 18, 2016

किसान क्रेडिट कार्ड है या किसानों की मौत का परवाना !

यह पोस्ट उस मकड़जाल को सामने लाने के लिए है जो किसान को आत्महत्या करने, नकारा बनाने का बड़ा कारण है और किसान क्रेडिट कार्ड का लिया कर्जा किस तरह बर्बाद होता है, किसान एनपीए / डिफाल्टर घोषित होता है उसकी तस्दीक भी है !


' किसान क्रेडिट कार्ड बन रहा अन्नदाता का कातिल ' !!!
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- बैंक के दलाल और बैंकमित्र दिलवाते है एक से अधिक बैंकों से कर्जा !!!- तयशुदा कमीशन दीजिये और मनमाफिक कर्जा लीजिये !


18 मई बाँदा - बुंदेलखंड के सात जिले उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री ने सुखाप्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिए है ! केंद्रीय दल को मुख्यमंत्री के इस कदम की प्रतीक्षा थी ताकि वे यहाँ आकर किसानों का सूरते हाल ले सके ! जाहिर है1600 करोड़ रूपये कोई यूँ ही थोड़े ही देता है सूखा राहत को ! यह अलग बात है पूर्व में ही सैकड़ों अतिगरीब किसान जो लेखपाल और सीडीओ / बीडीओ के पहुँच वाले नही है या सुविधा शुल्क देने की स्थति में नही रहे उन्हें आज भी सूखा राहत का चेक नही मिला ! जबकि बड़े अलमबरदार किसानों को सूखा राहत के चेक दिए गए यथा जैसे कृषि विभाग अपनी योजना में करता आया है !
बाँदा जिला के बदोसा / थाना फतेहगंज में महुई गाँव के धोबिन पुरवा निवासी 35 वर्षीया युवा मोहन पुत्र महिपाल ने बीती रात खपरैल से लटककर जान दे दी ! बतलाते है उसके ग्यारह बीघे में फसल नही हुई थी ! किसान क्रेडिट कार्ड पर 1.40 लाख रूपये का कर्जा था ! मृतक की पत्नी मंजू ने कर्जे की बात कही है जबकि प्रसाशन गृह कलह बतला रहा है ! उधर इसी क्षेत्र के ग्राम पंचायत संग्रामपुर में बीती 14 मई को हम वहां गए थे कि
बुंदेलखंड का किसान क्रेडिट कार्ड के मकड़जाल में कैसे उलझता है और बाद में कर्जा अदा नही होता ! ऐसा सातों जिलों में है कि एक - एक किसान तीन बैंक से नोडयुज( इस बात का कि किसान की जमीन कही बंधक नही है ) बनवाकर किसान क्रेडिट कार्ड पर खेती के लिए कर्जा लिए है ! मेरे एक करीबी बैंक मित्र ने इस खेल की पूरी जानकारी प्रदान की और यह भी कहा कि पहले जो काम दलाल या बिचौलिया करता था वो अब बैंक मित्र कर रहे है ! ग्राम पंचायत संग्रामपुर में पूरा गाँव कर्जदार है ( वीरमपुर,छ्त्तुपुर,धोबिनपुर आदि ) ! बुंदेलखंड में इस समय करीब 6 अरब रूपये का किसानों पर क्रेडिट कार्ड का कर्जा है ! 
                                                    



ग्रामीण पानी के संकट से हलकान है, गांववाले इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक,शाखा फतेहगंज के मैनेजर एसके. सिंह पर गंभीर आरोप लगाते है कि वह बिना 5%कमीशन खोरी के कर्जा नही देता है,किसानो का फसल बीमा,बैंक प्रीमियम काट लेता है ! कई साल से जमे यह मनेजर साहेब मेरे सामने ग्राम प्रधान रामनरेश पटेल को हड़काते है फोन में कि तुमने मेरे नाम क्यों बतलाया .जिसको काम है बैंक आये ! गाँव के ओमप्रकाश त्रिपाठी तो बैंक मैनेजर से बेहद आहत है ! उन्होंने राजाराम गर्ग नाम के दलाल का नाम भी लिया जो कई वर्ष से फतेहगंज क्षेत्र के बैंक का गुर्गा है ! तस्वीर में गाँव के फक्कड़ पुत्र रामआसरे ने पचास हजार का कर्जा दिलवाने की बात की ,उसको 70 हजार मिले लेकिन उसकी हालत उस दिन तब पतली हो गई बुजुर्गियत में जब पता चला कि 2,50,000 रूपये किसान क्रेडिट कार्ड का कर्जा चढ़ा है ! कार्ड संख्या 1552 उसके लिए अब काल है ! यही हाल शिवराम का है उसने 90 हजार लिया कर्ज और क्रेडिट कार्ड में 2,26,000 रूपये देनदारी है !गाँव के रामादीन,अछेलाल सहित अन्य किसान का है ! वे कहते है गरीब से भी बिना 5 हजार रूपये कमीशन लिए बैंकमित्र मैनेजर से कार्ड में कर्जा नही दिलवाता है कही भी ! एक वजह ये भी है कि बुंदेलखंड का किसान कर्जा देना नही चाहता है क्योकि सरकारों की सियासत और बैंक की दलाली ने उसको ' कम्फर्ट जोन ' दिया है ! क्रेडिट कार्ड का कर्जा खेती की जगह अन्य खर्चो में खपता है !

Monday, May 16, 2016

पन्ना का मानसनगर लातूर से भयावह लगा !

भाग एक जारी - तस्वीर सहित पन्ना से फेसबुक डायरी में !

' बुंदेलखंड में लातूर पन्ना का मानसनगर ' !

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पन्ना सिटी / मानषनगर (चांदमारी) से 15 मई -
महाराष्ट्र के लातूर जाने की क्या ज़रूरत है ! देश के खबरनवीश और डेमोक्रेसी के लिए सदमा हो सकती है यह तस्वीर ! बहुत दूर भी नही बुंदेलखंड के बाँदा से महज 110 किलोमीटर ही पन्ना जिले के शहर से लगी आदिवासियों की बस्ती मानस नगर की !! पन्ना के स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता युसूफ बेग और ज्ञानेद्र तिवारी ने बीते रविवार भूमिहीन आदिवासियों को पानी न मिलने पर बस्ती में 6 घंटे क्रमिक अनशन किया तब जाकर एक टैंकर पानी आया ! फेसबुक के युसूफ अपने मूल चेहरे में थे ! सचिव ने वादा किया है सोमवार से सुबह - शाम टैंकर आएगा ! ...क्षेत्र के सचिव और अभियंता योगेश खरे ( मध्य प्रदेश लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के उपयंत्री ) को इससे पहले इस 250 आदिवासी परिवारों की सुध नही थी ! सरकारी लबादे में उन्होंने इतना ही कहकर हाथ - पैर खड़े किये कि यहाँ पानी उपलब्ध नही है जमीन में मै क्या करूँ ? बस्ती वाले मात्र दो झिरिया ( गन्दा पानी ) पी कर बसर कर रहे है ! आदिवासी परिवार समीप स्थित कब्रिस्तान के कुंए में जाकर अपनी प्यास बुझाते थे लेकिन वो कुआं भी बेदम है अब ! हैंडपंप साथ छोड़ गए ! क्षेत्र के जेई साहेब बेनी सागर से सम्बद्ध है यह अलग बात है कि बेनी सागर भी सूख चुका है ! वे कहते है यहाँ बोर सफल नही है,जमीन में ग्रेनाईट पत्थर है हर जगह इसलिए कुआं ही मात्र एक समाधान है वो भी अगर 30 फिट में पानी मिल जाए तो ! 
                                                               




पन्ना ज़िलाधिकारी ने 75 हेकेयेटर के धर्म सागर तालाब में सामाजिक पहल करते हुए टेंडर व्यवस्था को दरकिनार करके स्थानीय रहवासी को जोड़ा है,बासिंदों ने तालाब के लिए करीब 70 लाख रूपये दान किये है,सांसद ने और सरकारी मदद से बाकि कार्य किये जायेंगे ! और इस जनभागीदारी में हर समुदाय,उम्र के लोग शामिल हुए ये बड़ी बात है !...वही 174 हेकटेयर के लोकपाल सागर में अभी काम प्रारंभ नही है ! मानस नगर के ये गोंड आदिवासी हीरे की खदान या पत्थर की तुड़ाई का काम करते है जिससे इन्हे सिल्कोसिस ( अस्थमा ) हो जाता है,आकंडे बतलाते है कि आठ लोग इससे पीड़ित है ! राशन की दुकान 7 किलोमीटर है और मनारेगा के महज दस जाब कार्ड ही है ! सूत्र यह भी बतलाते है कि हाल ही पन्ना की में संवेदना संस्था ने इनका स्वयं सहायता समूह का 65 हजार रुपया हजम कर लिया है ! 71 बीपीएल परिवारों से सजी यह नितांत गरीब बस्ती में आठ कागजी एपीएल कार्ड वाले अमीर आदिवासी भी है ! बीते दिवस जो पानी का 'लाल रंग ' यहाँ देखा और एक टैंकर आने के बाद पेयजल की जद्दोजहद में टूटते लोग देखने को मिले, पीने के पानी को भीख में मांगते लोग मिले तब बुन्देली पानीदारी और मध्यप्रदेश पन्ना प्रसाशन के ऊपर सवाल खड़ा कर दिया है की जिंदगी को इतना आराम तलब न बनाये कि मानवता बेशर्म और ज़लील हो जाए ! 
- आशीष सागर