Saturday, June 04, 2016

अवैध कब्जों से हलकान झाँसी का लक्ष्मी तालाब !

सुनील दत्ता @ आजमगढ़ से साथ में आशीष सागर बाँदा -(तस्वीर में झाँसी का लक्ष्मी ताल जो जलकुम्भी / कब्जे से पटा है )

' केन्द्रीय जलमंत्री का शयन कक्ष / आवास बना लक्ष्मी तालाब ' ! ?
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अबकी बार बुंदेलखंड के झाँसी प्रवास में लक्ष्मी ताल को करीब से देखा | यह ताल करीब दो सौ साल से पुराना है ! ठीक इसी के पास महाकाली का मंदिर है जहाँ महारानी लक्ष्मीबाई रोज पूजा करने आती थी ! पास में में लक्ष्मी नारायण मंदिर है यह दोनों मंदिर ऐतिहासिक महत्व रखती है ! इस ताल के दुसरे किनारे पर नरायण बाग़ बहुत ही सुन्दर है , यहाँ पर भारत की सभी प्रजातियों के पेड़ पौधे पाए जाते है . इतने खुबसूरत ताल पर आज तक जिला प्रशासन या झाँसी का नगर निगम कुछ नही किया यह तालाब जल कुम्भी से धीरे - धीरे पटता जा रहा है ! सबसे ख़ास बात यह है की इसी ताल से सटे ॐ शांतिनगर बसाया गया है जिसमे वर्तमान झाँसी की सांसद उमाभारती भारती जी का निवास है ! सुनने में आया है कि शासन को इस ताल के बाबत करोड़ो रूपये प्राप्त हुए है पर न जाने वो रूपये कहा चले गये ? यह बड़ा सवाल है ? समाजवादी मुख्यमंत्री 4 जून को महोबा में तालाब खुदाई का जायजा लेने आये है मगर झाँसी नही गए ! उनके साथ घोषित जलपुरुष राजेन्द्र सिंह राणा भी थे ! क्या झाँसी में इस तालाब तक जाने की जहमत करेंगे मुख्यमंत्री जी ? ताकि इस तालाब की आत्मा को ठंडक मिलती यह अलग बात है कब्जे हटवाना आपके बस में नही प्रदेश के अन्य बड़े तालाब की तरह ! महोबा के गाँव थाना का तालाब देखिएगा मुख्यमंत्री जी जहाँ तालाब की मिट्टी उसमे पानी आने वाले रस्ते में ही डाल दी गई है ! महोबा के तालाब खुदाई में मिटटी बेचने का खेल बखूबी हुआ है ! यह हल्ला अगले पंद्रह दिवस तक का ही है ! मानसून आते ही आपका यह तालाब बचाओ अभियान ठन्डे बस्ते में होगा क्योकि तब तक अधिकारी बाढ़ के रुपयों में रम जायेगा,सरकार अगले मुद्दे पर और किसान अपने खेत में !
                                              


कहाँ कितने तालाबों की खुदाई हो रही-
 
महोबा में 52 इसके लिए 82.50 करोड़ रूपये,चित्रकूट आठ तालाब के लिए 16 करोड़,हमीरपुर आठ तालाब पर नौ करोड़,बाँदा एक तालाब - 5 करोड़,झाँसी में 6 तालाब के ऊपर आठ करोड़,ललितपुर में 25 तालाब पर 24 करोड़ रूपये जारी हुए है ! इससे डिसिल्टिंग,खुदाई का काम होने का दावा किया जा रहा है !

Friday, June 03, 2016

सूखे बुन्देली किसान की कीमत सौ रुपया !

' तीन बीघा खेतिहर जमीन पर महज सौ रूपये मुआवजा ' !
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महोबा / बाँदा - बुंदेलखंड में सूखे के मुआवजे की कडुवी सच्चाई के लिए यह केस बहुत है ! लेखपाल और उप जिलाधिकारी की मेहरबानी से कालका प्रसाद पूरे ' एक सौ पति' बन गया है ! अरे भैया खेतिहर किसान को मुआवजा मिला है ऐसे थोड़े न ही हम आत्महत्या करते है ! ? सच है मेरा देश बदल रहा है ,आगे बढ़ रहा है ! - कोफ़्त ऐसे नारों पर !
                                                           


जिला महोबा के बबेडी गाँव का कालका प्रसाद जिसको तीन बीघा कृषि भूमि में रबी की फसल में गेहूं के नुकसान पर मात्र 100 रु मुआवजा मिला है ! इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक से उसके खाते में जब यह राशी आई तो उसका घरवालों ने भी मजाक बना डाला ! बच्चे मुंह दबाके तफरी ले रहे है ! लेखपाल कालीदीन से जब किसान ( पिता के साए से वंचित) ने शिकायत की तो वे कहते है कि जाओ डीएम साहेब के पास वही पैसा मिलेगा !? किसान के मुताबिक उसके गाँव में बहुतेरे छोटे किसान को ऐसे ही मुआवजा नही मिला समाजवादी / डिजीटल तमाचा मिला है वो भी आन लाइन !! इसी क्षेत्र के पंकज सिंह परिहार की माने तो कालका प्रसाद अपने आप से नजरें मिला पाने असहज है,वो दिल्ली जाने की तैयारी कर रहा है ! जाओ बुन्देली तुम भी लुटियन में जाकर मार्निंग इंडिया करना !

बुंदेलखंड का लातूर महोबा का खन्ना

 
' महोबा का खन्ना बुंदेलखंड का रेगिस्तान ' 
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- इस गाँव में जाना तो पानी साथ लेकर जाना इतना कि अगर पेट ख़राब हो जाए तो शौच कर सको !!! - बहुएं यहाँ पिता को बद्दुआ देती है हमें मार देते ब्याह क्यों कर दिया ! - रोजाना चार किलोमीटर का एक चक्कर और पानी दो गगरी !- हर साल पानी की जंग से लड़ने वाला खन्ना अबकी खून के आंसू रोता है !

यह बुंदेलखंड के महोबा का खन्ना क्षेत्र है ! हर साल की तरह यहाँ पानी की कहानी दर्दनाक है मगर पिछली साल यह सूरत न थी ! अब तो ब्याही बहुएं अपने पिता को कोसती है मार देते ब्याह क्यों कर दिया इस गाँव में ! वही गाँव की सयानी बेटियां सदमे में है आगे की जिंदगी कैसे कटेगी ! जब हम रात 8 बजे इस गाँव पहुंचे तो गाँव के बाहर ढाई किलोमीटर स्थित बरसाती चन्द्रावल नदी के हरे काई से पटे नाले की तरफ जाती हुई महिला,लड़कियां,पुरुष दिखलाई दिए !
जब मै उनके साथ उसी तरफ खेतों से होकर नाले तक पहुंचा तो छोटे से चोहड़ में मुर्गा की अवस्था में झुके लोगो को देखकर दुखी था ! पूछने की आवश्यकता नही थी कि यह क्या कर रहे हो ! पानी के लिए उनके ऐसे संघर्ष को आँखों में उतरते हुए यह तो जान गया था कि इस गाँव में पानी मांगना किसी के कत्ल करने के बराबर है ! अगर धोखे से आपका पेट दगा दे जाए तो आपको खून के आंसू रोना पड़ेगा यह तय है ! यह पानी रिसता हुआ नाले से खोदे गए गड्ढे तक आता है जो गांववाले रात -दिन भरते नजर आएंगे ! ऐसी ही विकराल समस्या गुसियारी,कपसा,गुढ़ा,सायर की है ! गौरतलब है ये वो गाँव है जिनकी मिटटी में नमक है ! सायर में 15 तालाब है सब सूखे है,गुसियारी का बड़ा तालाब चटियल रंग लिए है !
' भौरां तेरा पानी गजब कर जाए , गगरी न फूटे चाहे खसम मर जाए !
 
                                                 



यह खन्ना पर समसामयिक कहावत लगती है ! चोहड़ से पानी लाते इसी गाँव के संतबिलास,छुट्टन,अमरजीत,प्यारे ने बतलाया कि ग्राम प्रधान और तहसील दिवस में अर्जी देकर,कहकर हलख सूख गई है कुछ नही होता ! प्रधान और जो पैसे वाले है वे खरीदकर पानी पी रहे है या जिनके अपने बोर है मगर जो गरीब है उसकी मौत है ! ग्रामीण उमादेवी,कौशल्या,जमनी देवी ऊषा ने कहा की दुआ करना हमारा जन्म न हो फिर कभी ! गाँव के नंदकिशोर उबासी में रोता हुआ अपनी पत्नी को तस्वीर खिचानें की स्वीकृति देता है जबकि उमा को मर्यादा का ख्याल है कि मुझे कौन - कौन देखेगा इसलिए पति ने जब तक हाँ नही की घुंघट नही हटा !....जान चली जाए पानी से लेकिन दुख भरा मेरा चेहरा पति के आगे कोई न देखे यह सहनशीलता स्त्री में ही हो सकती है जबकि यह यातना अपराध है बगावत के लिए ! देश के प्रधानमंत्री और समाजवादी मुख्यमंत्री जी यह पानी एक बार अवश्य पियो अगर वास्तव में देशभक्त हो ! शर्म आये तो सोचना यह कैसा विकास है ?
गांववाले कहते है भैया सब आते है फोटू खीचती है मगर पानी नही मिलता गर्मी में ! खन्ना में जमीन का पानी खारा है जो न खेती के काबिल है ,न जानवर पीते है , न ही मनुष्य ! सब कुछ उसी बरसाती चंद्रावल नदी के नाले पर निर्भर है जिसमे महोबा में बीते एक साल से जलपुरुष / प्रवचन बाबा राजेन्द्र सिंह राणा,संजय सिंह के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री,मुख्य सचिव अलोक रंजन को लहाकर नदी के मनारेगा से पुनर्जागरण कर डंका पीटे है ! महोबा से लेकर झाँसी तक बैठक हुई नतीजा सामने है ! महोबा के खन्ना की जिंदगी नीर के लिए सिसक रही है ! जिस नाले में आप शायद शौच न करे उसका पानी महिला,पुरुष पीने को बेबस है !

सूखे बुंदेलखंड में पानी की बर्बादी !

‪#‎Droughtbundelkhand‬ ‪#‎BandaDM‬ ‪#‎UPCM‬

' क्या बुंदेलखंड में सूखा है ' ?------------------------------

1 जून 2016 - बुंदेलखंड के सूखे को लेकर जब हर तरह की राजनीति की जा रही हो ! चित्रकूट मंडल के चार जिले बाँदा,चित्रकूट,महोबा और हमीरपुर भयावह जल संकट से पीड़ित हो तब ग्रामीण क्षेत्रो में पानी की यह बर्बादी समाज की मानसिकता पर सवाल खड़ा करती है जहाँ हमारे गाँव मसलन महोबा के खन्ना,चित्रकूट का पाठा और हमीरपुर का गुसियारी,सायर,कपसा,झाँसी का बंगरा,ललितपुर के सारे बाँध बेपानी हो ,वे पानी भीख की तरह मांगते हो ! तब बाँदा जिले के नरैनी - करतल मार्ग पर अवैध रूप से संचालित बिना पर्यावरण एनओसी लिए चिमनी लगाकर मिटटी का खनन करने वाले ईट भट्टो के मालिक और उनका कुनबा पेयजल की बर्बादी कैसे करता है जिलाधिकारी बाँदा यह तस्वीर पर गौर करे ! बानगी है ये जल के विनाशलीला की ! गौरतलब है यह ईट भट्टे खेतों से कृषि मिटटी का खनन तीन मीटर से अधिक करते है ! जो उच्च न्यायलय के आदेश विपरीत है ! इनको समाज में जागरूक करने की आवश्यकता है ! नरैनी खंडविकास अधिकारी / खनिज अधिकारी इसके लिए ज़िम्मेदार है !
                                                 


क्या इसको देखकर नही लगता हमारी मानसिकता ही खैराती और प्राकृतिक साधनों के उपहास उड़ाने की बन चुकी है ! क्या लगता है हम सुधरेंगे ? बाँदा सहित समूचे बुंदेलखंड में ऐसे बोरवेल / नलकूप के सख्त निगरानी की आवश्कता है जो अपने को पानी पर मालिकाना हक़ दारी का लम्बरदार समझते है ! रात - दिन बहने वाले यह बोरवेल अकूत जलराशि का मजाक ईट भट्टो के साथ ऐसे ही बेजा बहाकर कर रहे है !

देश की दस हजार मरी गाय पर हल्ला नही एक अख़लाक़ पर बवाल !

‪#‎Droughtbundelkhand‬ ‪#‎अख़लाक़‬ ‪#‎दादरी‬ ‪#‎अन्नागाय‬
 ‪#‎थाईलैंडकाटाइगरटेम्पल‬‪#‎बौद्धऔरहिन्दू‬
थाईलैंड के प्रसिद्द बौद्ध मन्दिर ' टाईगर टेम्पल ' में फ्रीजर के अन्दर 40 मरे हुए बाघों के बच्चे / शावक पाये गए है ! इसमे वन्य जीव की संरक्षित प्रजाति एवं दुर्लभ बितुरोंग का शव भी मिला है ! अंतर्राष्ट्रीय दबाव में यहाँ पाले जा रहे बाघ स्थान्तरित किये जा रहे है ! हो सकता है यह बौद्ध मंदिर बंद हो जावे इस घटना के बाद ! इस अमानवीय कृत्य को बुद्ध की अहिंसक विचारधारा और उनके सभी सिद्धांत से जोड़कर देखें तो क्या कहेंगे ?, यह वही बौद्ध धर्म है क्या जो भारत से चलकर चीन, थाईलैंड और श्रीलंका पहुंचा था ? इन तमाम देशों में बौद्ध मत के खिलाफ इन हिंसक कृत्यों की बहुलता है ! यह ठीक वैसा ही है जैसा सूखे बुंदेलखंड में अन्ना गाय के विचरण से किसान के खूटे की शान कसाई खाने में बहुतायत गाय कटने जा रही है और ऐसे ही खेतों में प्यासे गाय के बछड़े / बच्चे बे मौत मर रहे है ! 
                                                          
बावजूद कोई हल्ला नही ! देश में अगर पशु कतलखाने बंद होते तो जानवरों को खाने और मारने वाले / इनका सरकारी लाइसेंस देने वाले जेल में प्रवास करते होते !
लेकिन एक अख़लाक़ पर हल्ला मचाने वाले लोग ऐसे असमय मर रहे गाय के बच्चो और थाई लैंड में बाघ का शावक खाने वाले बौद्ध लोगो पर क्या कहना चाहेंगे ? वन्यजीव / जीव हत्या अपराध है उसमे वाद या मजहब नही अमानवीयता ही देखी जावे ! गाय मै मारू या प्रदेश का मुख्यमंत्री / देश का प्रधानमंत्री मरवाए दोनों को सजा ए फांसी होनी चाहिए ! ...आये प्रवचन करने वाले बुंदेलखंड की यह गाय दुर्दशा पर सरकार को जेल भिजवाने का सोशल अभियान चलवाये !!!
( तस्वीर साभार - उमर राशिद @ द हिन्दू )

' एक पत्रकार ने बेटी बनकर जब ज्योति को साया दिया '

संवेदना और इंसानियत के लिए दुःख को समझने वाला ह्रदय भी लाजमी है  !

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पन्ना / बाँदा - पत्रकारिता पेशा है तो खबर तो करनी पड़ेगी ! डेस्क में बैठकर हो या ग्राउंड में निकलकर बीहड़ो और खेत - खलिहान की ख़ाक छानकर ! बुंदेलखंड के दौरे पर एक के बाद एक पत्रकार आये, उनका साथ रहा ,उनसे सीखता रहा और नए साथ- जुड़ाव के साथ हम अपने - अपने किरदार में रमते रहे ! जिसका जितना बड़ा बैनर हुआ अक्सर वो उतना ही ग्रास स्तर पर दिखा अपवाद की बात छोड़े दे या जिनमे नैसर्गिक पत्रकारिता ( अरविन्द कुमार सिंह @ राज्य सभा टीवी,पियूष बबेले@ इंडिया टुडे,पंकज जयसवाल @ हिंदुस्तान टाइम्स)और संवेदना बाकी है ! या जो सामान्य परिवार से कलमकार बने ! 
बीते दिवस पन्ना जाना हुआ ! साथ में युसूफ बेग,प्रथ्वी ट्रस्ट थे ! उनके साथ मै और संध्या जी पन्ना टाइगर रिजर्व के अन्दर बसे आदिवासी गाँव मनौर गुडयाना गए ! युसफ का वहां जाना अक्सर होता है ! आदिवासी बस्ती कहे या गरीबी और जिंदगी की बुनयादी आवश्यकता से बेदखल एक टोला ! किसानों ने सूखे और जलसंकट के चलते अपने खेत ईट- भट्टे वालों को लीज पर दे रखे है ! उनमे परिवार सहित श्रम करके वे अपना बसर करते है ! रविवार का दिन आदिवासी लोगो के लिए रंगीन मिजाजी का होता है सो गरीबी में कच्ची शराब / ठर्रा और मांस से मन बहल जाता है ! वैसे विकास के चिथड़ो ने इन इलाकों में मोबाइल,डिस टीवी और मोटर वाहन,सीसी सड़के पहुंचा दिए है ! लेकिन यह पूरे पन्ना टाइगर में अभी भी नही है खाशकर जो गाँव केन- बेतवा लिंक से विस्थापित हो रहे है ! वहां सड़के और अन्य साधन एनजीटी/ पर्यावरण मंत्रालय के दखल से अभी दूर है बनिस्बत मनौर गुडयाना के ! इसी गाँव में रहती है 'ज्योति ' अतिकुपोसित और टीवी के साथ फांकाकसी में उलझी सांसे !! बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ का नारा यहाँ बेहाल - फटेहाल है !
                                         

इलाज के आभाव में शरीर पर हुए गहरे घाव में मवाद पड़ा तो बात बात युसूफ बेग तक पहुंची ! उन्होंने पीड़ित परिवार की मदद की और बिटिया अब पहले से बेहतर है ! उसको समय से दवा मिल जाए यही बहुत है सेब- संतरा और दूध तो दूर का आसरा है ! बिजली का बिल अदा करने की हैसियत हो न हो उसकी झोपड़ी में इलेक्ट्रानिक मीटर चस्पा है ! जब हम उसके पास पहुंचे तो उम्मीद से देखती उसकी माँ और ज्योति के पास बैठना हुआ ! बस्ती में अन्य लोगो की तरह उनके भी हलात पर चर्चा की ! ज्योति के घाव देखकर अमीर घर में जन्मे बच्चो के बचपन और उनकी जिद पर ध्यान गया तो ' तारे जमीन पर ' की बात याद आते ही वापस ज्योति पर ठिठक गए ! उस दिन तपते हुए आसमान से अंगारे बरस रहे थे ऐसे में संध्या जी की रिपोर्टिंग से अपना भी दम बनता रहा ! शरीर पर टेरीकाट के कपडे को ओढ़े बिटिया को शायद उलझन हो रही थी तो मेरे मुंह से निकला कि इसको सूती या काटन के कपड़े से उढ़ा दिया करे जलन नही होगी ! शब्द का निकलना क्या हुआ पास बैठी संध्या जी ने अपनी चुनरी / ओढ़नी ज्योति के ऊपर डाल दी ! तस्वीर लेने से मना करने पर मैंने ही कहा कि ऐसे हरकतें जाने कितनों को नसीहत देती है ! आशा में जिंदा ज्योति को उजाले के लिए हमारी दुआ और सहारे की दरकार है ! कहते है बचपन जितना खुबसूरत हो मन उतना खिलता है और बालपन जितना कठोर / ज़िल्लत भरा हो बड़े होकर आत्मा उतनी तंग अथवा संवेदनशील हो जाती है ! हमें क्या करना चाहिए अपने आसपास कुछ बचाकर ऐसों के लिए ...बस यही कहना था !!

राशन सड़ा रहे- गरीबों को तरसा रहे !

बुंदेलखंड में नत्थू की भूख से मौत और देश भर में भुखमरी से मर रहे लोगों के बीच यह खबर देश के लोकतंत्र का काला चेहरा साबित हो रही है !

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' श्वानों को मिलता दूध - भात ,भूखे बच्चे अकुलाते है,बिना आनाज के तपती धरती में,बेपानी मर जाते है ! खुद खाते पिस्ता-काजू और सब्सिडी में लजीज पकवान,इस देश के दोगले नेताजी, अब कहाँ लजाते है ' ? 

सूचनाधिकार खुलासा साथी कुलदीप शुक्ला की आरटीआई ने खोली देश के एफसीआई में सड़ने वाले गेंहूँ और चावल की कालिख ! उत्तर प्रदेश में भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में 1823 मीट्रिक टन आनाज सड़ गया है ! पूरे देश में एफसीआई के गोदामों में ख़राब हुए आनाज/ राशन की मात्रा 53144.815 मीट्रिक टन है ! दस्तावेजी रिपोर्ट ने गत 5 वर्षो में देश भर के आनाज गोदामों में सड़ने / गलने वाले गेहूं- चावल के आकंडे दिए है, इनमे गौर करे तो महाराष्ट्र में सर्वाधिक अन्न बर्बादी की गई है ! यह काम सिर्फ इस केंद्र सरकार के कार्यकाल का नही अपितु पिछली यूपीए सरकार के शासन को भी कटघरे में लाता है ! किसान के   परिश्रम से  पैदा किये अनाज की क्या खूब कद्र करती है भारतीय सरकार !
                                                     

गौरतलब है जब हाल ही में यूएनओ की रिपोर्ट में दुनिया के भुखमरी वाले देशों में भारत शीर्ष पर है ! किसी को भूख - कुपोषण के चलते टीवी होती है तो कोई बिना अनाज मर जाता है उधर  बुंदेलखंड समेत अन्य प्रान्तों में भूख से मौत / गरीबी में किसान आत्महत्या की ख़बरें आती हो वहां यह तस्वीर कितनी ग्लानी भरी है यह कहने की आवश्कता नही है ! मगर शर्म उन्हें आती है जिनका जमीर जिंदा हो और जो नेतागिरी वास्तव में देश / आवाम के हित में करते हो ! अपनी दो साल की उपलब्धि में 1000 हजार करोड़ का मेगा शो करवाने वाले देश के परधानमंत्री मोदी को भले ही यह सच स्वीकार न हो लेकिन हकीकत यही है ! कि यह अनाज देश और प्रदेश के शराब / बीयर माफिया - मालिक को सस्ते दामों में बेचने के लिए ही सड़ाया जाता है ! सूखा और भूखा देश का बाशिंदा यह सच काश समझकर संसद / विधानसभा में आत्मघाती हमला कर सकता,तो इस सड़ती हुई अनाज व्यस्वथा और देश की अर्थ व्यवस्था में महज मुट्ठी भर लोग / चुने हुए कथित लोकसेवक से धरातलीय आजादी मिल पाती !