Saturday, August 06, 2016

क्या इस चौधरी का पता खोलेगी सी0बी0आई ?

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पंकज सिंह परिहार @ महोबा
 हाथों में आर0डी0एक्स0 लेकर मौत की खदानों में उतर रहे है मासूम
तीन सौ फिट गहरी खदान में नही है माइनिंग प्लान 
महोबा। पैसे की भूख मिटाने के लिये जिस तरह पहाड़ों में अधांधुध खनन किया जा रहा है वो काबिले गौर है ! बुंदेलखंड के महोबा में धरती का सीना छलनी करके पहाड़ माफिया आरडीएक्स(प्रतिबंधित बारूद)का इस्तेमाल खनन में  कर रहे है उसे देखकर लगता है कि इस देश में निजाम है ही नहीं ! कागजों में बन्द खनन तो हो ही रहा है लेकिन इस काम में कितनो की जिन्दगी दाव में लगी रहती है इसका उदाहरण गौरहारी में हुई घटना में सबने देख लिया है। महज कुछ ही दिनों मे निलम्बित खनिज अधिकारी फिर से कुर्सी पर आ गया है। उनके निलंबन की प्रक्रिया से जैसे खनन करने वालों को सदमा लग गया था ! जुगाड़ के इस देश / प्रदेश ने इस खनिज अधिकारी को एक बार फिर महोबा को खोखला करने की आजादी समाजवादी सरकार में दे रखी है.
                                             

गौरहारी की शक्ल में किसी घटना की इबारत महोबा मुख्यालय से 10 किमी0 की दूरी पर चल रहे डहर्रा पहाड़ पर लिखी जा रही है। खनन के नियम कानून तो छोड़िये। यहां मासूम पत्थरों में आर0डी0एक्स0 लगा रहे है। डहर्रा का गाटा संख्या-339 में प्रवीण कुमार पुत्र नरेन्द निवासी विवेक नगर कबरई पट्टे की वैधता 9 फरवरी 2015 को समाप्त हो गयी थी लेकिन आज ही यहां प्लास्टिंग करके भारी अर्थमूविंग मशीनों से काम कराया जा रहा है। पहाड़ों की पड़ताल में निकलने पर जो तस्वीर सामने आ रही है उन्हें देखकर लगता है कि यहां कोई सुरक्षित नहीं है। जहां ब्लास्टिंग के नियम कहते है कि लाईसेंस धारक  प्रशिक्षित ब्लास्टर के बिना ब्लास्टिंग नहीं कराई जा सकती है लेकिन यहां तो मासूम हाथों में आर0डी0एक्स लेकर मौत की खदानों में उतर रहे हैं।
किताब की जगह उनके हाथों में आर0डी0एक्स0 थमाने के पीछे किसका हाथ है जानने के लिये हमारे कैमरे में जो टेप हुआ है वह हैरान कर देने वाला है। पहाड़ में ही काम करने वाले ने बताया कि पप्पू यादव व शीतल यादव नाम के व्यक्ति इस पहाड़ पर काम करा रहे है और किसी चौधरी के आदमी है जिसके पार्टनर शिप में यह पहाड़ चल रहा है। बतलाते चले चौधरी का पूरा पता कामगार बताने से पहले कैमरे के रूख को भाप चुका था। उसने सिर्फ इशारा में बताया कि जिसके क्रेशर लगे है। कामगार से पूछने पर वह इतना घबड़ा गया कि कहने लगा कि मेरी जान बचा लेना। इस बात से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि अवैध काम कराने वाला माफिया कितना ताकतवर होगा।        

ऐसे में सवाल यह होता है कि जिला प्रशासन के नाक के नीचे मौत का खतरनाक खेल खेलने वालों पर बालू की अवैध खनन की जांच में निकली सी0बी0आई0 टीम इन तथ्यों पर भी गौर करेगी और उस चैधरी का पता खोलेगी? या फिर गौरहारी का इतिहास फिर दोहराया जायेगा और खनिज अधिकारी यह कहकर बच निकलेगा कि पहाड़ बन्द था। प्रशासन को सूचना दे दी गयी थी खनिज विभाग को इस खनन की जानकारी ही नहीं लगी। सीबीआई भले ही बालू की खदानों में मिटे हुए साक्ष्यों की पैबंद खोजने जाये मगर महोबा से पहाड़ो की पड़ताल कार्यवाही तक जारी है ! - प्रवासनामा डेस्क बाँदा


Friday, August 05, 2016

फुटपाथ पर बिटिया !

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कुछ सो जाते है मखमल के बिस्तर में , और कुछ विलासी गुलदानों में, जरा इनकों भी तो देखो भारत ! जो सोये है इंडिया के अरमानों में !! मेरा देश बदल रहा है,आगे बढ़ रहा है,लेकिन चन्द क्रीमी लोगों के मकानों में !विकास किसे कहते है भाई,जब असमानता घर करती हो आदमकद इंसानों में !! 

‪#‎विकासकीसूरत‬
‪#‎बेटीबचाओबेटीपढाओं‬
तस्वीर साभार - Vikas Kumar वें कहते है -
I took this image few days ago in somewhere in kolkata. A small street girl and her brother was slept on street. It is estimated that more than 400,000 street children in India exist. ‪#‎india‬ ‪#‎street‬ ‪#‎streetchildren‬ ‪#‎kolkata‬‪#‎photojournalism‬

 ‪#‎everydayindia‬ ‪#‎indiaphotoproject‬ ‪#‎everydayeverywhere‬        

यह तस्वीर कुछ दिन पहले कोलकत्ता के किसी सड़क किनारे ली थी। मैं इस तस्वीर को लेने के दौरान और लेने के बाद से लगातार एक उलझन में हूँ। इस तस्वीर को थोड़ा ठहरकर देखिए। फिर अपने घर के एक बच्चे को इनदोनों की जगह रखकर देखिए। देखिए, कि कैसा लगता है! जब एक तरफ यह देश लगातार विकास कर रहा है। कुछ लोग ऐसा कहते हैं। मेरा विश्वास नहीं है क्योंकि मेरे लिए विकास वह है जिसमें साढ़े चार लाख बेघर बच्चों के लिए एक घर बन जाए, उन्हें उनका बचपन मिल जाए। उनकी पढ़ाई हो जाए। उनका जीवन हमारे-आपके बच्चों की तरह हो जाए। अगर हम अपने बच्चों को सहेज नहीं पा रहे हैं तो ऐसे किसी विकास का मेरे लिए मिट्टी के एक ढेले के बराबर भी मोल नहीं है।

क्या अवैध पत्थर खदानों पर भी नजर घुमायेगी सी0बी0आई ?

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- कागजो में बन्द पहाड़ पर ब्लास्टिंग का गुबार है
-पताल की गहराई नांप रहे बेखौफ पट्टा धारक
- समाजवाद का संरक्षण और पत्थरों की लूट जारी है 

किस्त एक -
महोबा - बुंदेलखंड की नदियों में बालू की अवैध खनन में राज्य सरकार की बात पर अविश्वास जताकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय नें सी0बी0आई0 को जाँच के आदेश दिए हैं ! जिसका असर बालू घाटों में तो दिखाई दे रहा है। माफिया अवैध खनन के सबूत हटाने में जुटे हुये है । खनिज अधिकारी उन्हें इसकी तरकीब बतलाने में ! बालू खदान मालिकों ने कही भी एमएम 1 प्रपत्र ( माइनिंग प्लान फार्म ) नहीं भरा है और बिना खनन योजना दर्शाए एक दिन में ही सैकड़ों टन बालू निकासी खदान से की गई है ! इसका खुलासा कैग ने अपनी आडिट रिपोर्ट 2015 में किया है,यह रिपोर्ट जिले के खनिज अधिकारी दबाये बैठे है. उल्लेखनीय है कि कल तक गुलजार रहनें वाले बालू घाटों से मशीने गायब है और सन्नाटा पसरा हुआ है। लेकिन महोबा के पहाड़ो में अभी भी बिना परमीशन भारी अर्थ मूविंग मशीनों से मानकों को धता बताकर खनन तो हो ही रहा है,बल्कि उन पहाड़ों की खदानों में भी अधाधुंध खनन जारी है जिनकी वैधता तक समाप्त हो चुकी है। स्थानीय स्तर के सत्ता संरक्षित नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को न तो नियम कानूनों का भय है और न ही सी0बी0आई0 जाँच से कोई असर पड़ रहा है।
गौरतलब बात है कि महोबा जिले में कबरई और उसके आस-पास के इलाकों में नियमों के विपरीत बिना खनन योजना लागू किये पत्थर खदानों में खनन कार्य किए जानें के विरुद्ध 2 वर्ष पूर्व कबरई के सामाजिक कार्यकर्ता मंगल सिंह की शिकायत पर कार्यवाही की थी.तत्कालीन महोबा सदर तहसीलदार गुलाब सिंह राजपूत नें कबरई के पचपहरा और डहर्रा में जाँच करकें जिलाधिकारी को दी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा था कि इन इलाकों में पट्टा धारकों द्वारा खनन क्षेत्रों में बिना सीमा चिन्ह व पहचान प्रदर्शन बोर्ड लगाये बगैर 100 से 150 तथा कहीं-कहीं 200 से 250 फुट के खडे़ फेसों में बिना किसी सुरक्षा मानकों को अपनाये बगैर खनन किया जा रहा है तथा बिना परमीशन के बड़ी-बड़ी अर्थमूविंग मशीनों से पत्थर निकाला ता रहा है। किन्तु तहसीलदार की इस रिपोर्ट को खजिन अधिकारी बी0पी0 यादव नें सतही रिपोर्ट बताकर ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
                                                   

महोबा में चल रहे खनन मामलों में यह पहली रिपोर्ट नहीं थी। इसके पहले भी कई बार जाँच टीमों नें इस प्रकार की रिपोर्ट शासन को भेजीं है लेकिन अभी तक खनन क्षेत्रों में काम करनें के लिए अर्थ मूविंग मशीनों, (पोकलैण्ड आदि) के परमीशन नहीं लिये गये हैं और नही पत्थर खदानों में पट्टा धारकों के क्षेत्रफल निर्धारित करनें के लिए सीमा चिन्ह बनाये गये हैं। और तो और यहाँ पर अधिकतर खदानो में पहचान प्रदर्शन बोर्ड भी नहीं लगाये गये हैं ! जिससे पट्टा के खनन क्षेत्र व उसकी वैधता और उसके धारक का पता चल सके। इसी का फायदा उठाक महोबा मुख्यालय से 10कि0मी0 की दूरी पर प्रशासनिक अधिकारियों से सांठ-गाँठ कर उन पहाड़ों मे भी खनन करवा रहें है जिनकी वैधता समाप्त हो चुकी है।
                                                         
खनन माफियाओं व जिले की अधिकारियों की इस अन्धेरगर्दी का स्थानीय स्तर पर तो कोई आवास उठानें की हिम्मत नहीं कर पा रहा है। लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बालू खदानों की जाँच में निकला सी0बी0आई0 टीम का जक्खा इस ओर भी देखेगा या फिर खनन माफियाओं की कमाई के आंगे सी0बी0आई0 की स्वतंत्रता भी धराशाही हो जायेगी।
डहर्रा के इन पहाड़ों में कागजो में बन्द है खनन मगर खदान चालू है -
पट्टा धारक व पता- पहाड़ का नाम- गाटा सं0- रकवा (प्रति एकड़ में)- वैधता
नितिन कुमार ओमर पुत्र नाराण प्रसाद निवासी मैन मार्केट मौदहा डहर्रा 339 2.00 23.11.2005   से        22.11.2015 तक
विनय कुमार राय पुत्र श्री राजनाथ राय निवासी गांधीनगर जनपद- महोबा डहर्रा 953 3.00 28.05.2005 से 27.05.2015 तक
प्रवीण कुमार पुत्र श्री नरेन्द्र कुमार निवासी विवेक नगर कबरई हमीरपुर डहर्रा 339 3.00 10.02.2005 से 09.02.2015 तक
श्रीमती रानी पत्नी सुरेन्द्र निवासी- गांधी नगर महोबा डहर्रा 339 2.50 23.03.2004 से 22.03.2014 तक
अनिल कुमार अग्रवाल पुत्र श्री यतीशचन्द्र निवासी- छोटी बाजार बांदा डहर्रा 339 4.00 21.05.2005 से 20.05.2015 तक
चन्द्रशेखर अग्रवाल पुत्र श्री ओमप्रकाश अग्रवाल निवासी- खजांची टोला हमीरपुर डहर्रा 339 5.00 19.10.2004 से 18.10.2014 तक
मुल्लू साहू पुत्र श्री रामेश्वर निवासी- सुमेरपुर जनपद- हमीरपुर डहर्रा 339 4.00 05.05.2005 से 04.05.2015 तक
श्रीमती पूनम भरद्धाज पत्नी सोमेश भरद्धाज निवासी अमर टाकीज बांदा डहर्रा 339 3.00 25.07.2005 से 24.07.2015 तक
महोबा में पत्थर खनन / ढुलाई की ये सूरत बुंदेलखंड के मध्यप्रदेश वाले हिस्से तक फैली है.सरकार परस्त पट्टा धारक को न मानक से मतलब है और न कनीज अधिकारी की मौजूदगी से ! उनका हिस्सा उन्हें समय से मिलता रहे ये इस काले खेल की हरी झंडी के लिए काफी होता है ! हाल ही में गौरहारी की खदान में दबकर मरे मजदूर  की ख़बरें लोग भूले नहीं होंगे लेकिन सिस्टम है भाई यहाँ रोकेगा कौन सीबीआई !!! उफ़ ये तो सरकारी तोता है न ! 
पंकज सिंह परिहार / आशीष सागर 


Wednesday, August 03, 2016

अन्ना गाय के लिए फिर बनेंगे काजी हाउस !

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#‎अन्नागाय‬ ‪#‎बुंदेलखंड‬ ‪#‎बाँदा‬
' हाइवे पर गाय ' !

अन्ना गायों के लिए फिर से बनेंगे काजी हाउस !

4 अगस्त, बाँदा - बुंदेलखंड में किसान सृजित आपदा बनी अन्ना गाय को सुरक्षित करने के लिए बाँदा जिला प्रसाशन ने पहल की है ! ख़बरों के मुताबिक हाइवे ,चौराहों और सड़कों में घूमती आवारा / छुट्टा गाय के दयनीय हाल पर बाँदा संवेदित हुआ है ! जिलाधिकारी ने मुख्याविकास अधिकारी के मार्फ़त सभी खंड विकास अधिकारीयों को ब्लाक / ग्राम स्तर पर पुनः कांजी हाउस खोलने के निर्देश दिए है ! साथ ही जानबूझकर गाय को छोड़ने वाले पशुपालक पर जुर्माना के प्रावधान भी है ! पशुपालकों ने भैस - बकरी नही छोड़ी यह सवाल है ? 
                                                    
गौरतलब है नेशनल हाइवे में तस्वीर के माध्यम से गाय की दुर्दशा बतलाने का प्रयास किया गया है ! यह तस्वीर बाँदा - इलाहाबाद मार्ग की है ! कभी सूखे तो कभी चारा संकट की आड़ लेकर किसान / पशुपालक ने गाय की अस्मत को ही दांव पर लगा दिया है ! हाँ स्वयं प्रचार-प्रसार और पब्लिक से भूसा संग्रह के नाम पर कुछ प्रायोजित किसानों ने 'काऊ गेस्ट हाउस ' खडेकर ठगी भी की ये अलग बात है,इसमे उनके खुद के जानवर पोषित होते रहे सक्षम होने के बाद भी मगर आवारा गाय सड़क में मरती रही ! बुंदेलखंड पॅकेज से भी अन्ना गाय को रोकने के लिए करोड़ों रूपये गर्क हुए है पशुधन मद से ! उधर कथित राष्ट्रीय भक्त समय - समय पर इन्ही गाय को काटे जाने पर हल्ला भी मचाते है लेकिन वही आवारा गाय को शायद ही उनके घर से एक अदद रोटी मिलती हो ! जबकि शहरी घरों से ही मानव सृजित सब्जी- फल आदि का इतना वेस्ट कचरा उत्पाद निकलता है जो इनका आंशिक पेट तो भर ही सकता है ! पर ये कचरा शहर की नाली और फुटपाथ में नजर आता है जिसको उठाने की ज़िम्मेदारी जनता ने नगर पालिका को मानसिक रूप से दे रखी है !! 
                                           
बाँदा में अगर ये कदम उठता है और सकारात्मक मुकम्मल हुआ तो सड़कों में वाहन से मरती,भटकती इस आत्मा को शायद ' माता ' बोलने जैसा कुछ सम्मान मिल सके ! नहीं तो आवारा सड़के ,लाठी और कसाई तो है ही बाद में !!

Tuesday, August 02, 2016

बुलंदशहर हाइवे गैंगरेप समाज का विद्रूप चेहरा है !

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बुलंदशहर हाइवे गैंगरेप समाज का विद्रूप चेहरा है.यह हर रोज हमारे चौतरफा घटित होता है बस इसका तरीका अलग हो सकता है ! हमने कैसा समाज बनाने का बीड़ा उठाया है कही ये हमारा ही बलात्कार न कर बैठे ! घर से लेकर चौराहे तक सख्त कड़े कानून होने के बाद बेटियां / स्त्री सुरक्षित नही है ! इसकी वजह सिर्फ हवस है या कुछ और भी ? - प्रवासनामा डेस्क 

साभार - अरुण चन्द्र राय की फेसबुक वाल से प्रस्तुत !  

बुलंदशहर काण्ड कोई अकेली घटना नहीं है। यह किसी गैंग की कारिस्तानी नहीं है। इसे न तो कोई मुख्यमंत्री रोक सकता है,न कोई प्रधानमंत्री। यह आइसोलेशन में घटी घटना नहीं है।
रिक्शावाला जब किसी महिला सवारी को बिठाता है तो देखिये उसकी आँखों में लालच का पानी। एक ऑटो ड्राइवर जब किसी युवती या बच्ची को बिठाता है तो देखिये उसकी नजर। वह आधा वक्त मिरर में ही देखता रहता है। बस कंडक्टर, ड्राइवर को देखिये, हवस होती है उनकी आँखों में। न न। जो रेप नहीं करता या नहीं किया, वह भी रेपिस्ट होता है। स्त्रियां समझती है।
दूर मत जाइये, अपने पास के बाजार में सब्जी वाले लौंडो की बातें सुनिये, फल बेचने वाले लड़को की बाते सुनिये, उनके द्विअर्थी संवाद सुनिये , केला, बाबूगोशा, नासपाती, संतरा के कई कई मांयने बनाये होते हैं। वे रिपीटेडली रेप करते हैं, बातों से, नज़रों से। स्त्रियां रोज़ झेलती हैं।
स्कूल की बच्चियों से पूछिये, कैसे देखता हैं उन्हें गार्ड, स्कूल बस का कंडक्टर, ड्राइवर, माली और उनका टीचर भी। स्कूल टीचर से पूछिये, कहाँ कहाँ कैसे कैसे बचती हैं वे। काम वाली बाइयों से पूछिये। बैंक में काम करने वाली स्मार्ट वुमेन से पूछिये, पुलिस में काम करने वाली एम्पावर्ड वुमेन से पूछिये, सब टारगेट हैं। और उन्हें कोई एलियन टारगेट नहीं कर रहा।
कल ही धनबाद आनंदविहार समर स्पेशल ट्रेन से धनबाद से लौट रहा था।           


ट्रेन थोड़ी खाली सी थी। एक अकेली लड़की भी लौट रही थी। पूरा ट्रेन उसे ऐसे घूर कर देख रहा था मानो चबा जायेंगे, पी जायँगे। चार चार डिब्बे दूर तक खबर पहुच चुकी थी कि एक लड़की अकेली है। फेलो-पैसेंजर की छोड़िये, पेंट्री वेंडर तक की नजरें स्कैन कर रही थी उसे। वह ऊपर वाली सीट में लगभग दुबकी ही रही। यह किसी रेप से कम नहीं होता।
अपने आसपास देखिये। रेल में देखिये। मेट्रो में देखिये। हवाईअड्डे पर देखिये। किसी अकेली लड़की को घूरती नज़रों को देखिये। शरीफ लोग स्कैन कर लेते हैं उन्हें। ये सब एक तरह से रेप ही है। स्त्रियां रोज़ गुज़रती हैं इस पीड़ा से।          
देखिये कभी अपनी पुलिस को भी। स्त्रियों के प्रति उनका नजरिया कभी अनौपचारिक बातचीत में सुनिये। घर से निकलने वाली हर औरत उनके लिए ख़राब है, और घर के भीतर वाली औरतें चीज़।
यह समस्या क़ानून व्यवस्था की नहीं है। यह शिक्षा की भी नहीं है। यह समस्या सोसल कंडीशनिंग की है। जहाँ चारो ओर केवल यही सिखाया जाता है कि स्त्री केवल स्त्री है। माल है, उपभोग की चीज़ है। इसका न किसी पोलिटिकल पार्टी से सम्बन्ध है, न किसी राज्य से। सब जगह एक ही सोच है। स्त्री एक चीज़ है। रोज़ ही बुलंदशहर, रोज़ ही निर्भया काण्ड होता है हमारे बीच। यह कोई ऑर्गेनाइज़्ड क्राइम नहीं है कि पुलिस पेट्रोलिंग, मुखबिर से, इंटेलिजेंस के सपोर्ट से रोक लेंगे आप।
और हाँ , कभी लोकल संगीत को देख लीजिये, किसी भी भाषा में देख लीजिये, उत्तर से दक्खिन तक, पूरब से पश्चिम तक, कितना गन्दा है वह, कितना हिंसक है वह । साथ ही , कितनी सहजता से उपलब्ध है पोर्न। ये सब कॉकटेल बना रहे हैं। समाज को हिंसक बना रहे हैं और बलात्कारी पैदा कर रहे हैं। हम सब भी शिकार होंगे, इंतजार में रहिये !!!

तस्वीर गूगल नेट से जारी 

Monday, August 01, 2016

आशीष सागर को मिला शाइनिंग डाईमंड एवार्ड 2016

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31 जुलाई दिन रविवार को हरयाणा में करनाल शहर के पांच सितारा होटल नूरमहल स्थित दरबार सेवा सभागार में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया !
Anti corruption Foundation Karnal and Dr.A.P.J. Abdul Kalam Foundation,New Delhi के संयुक्त तत्वाधान में Shining Diamond Award 2016 के सामाजिक,सांस्कृतिक,खेल के क्षेत्र से चयनित आइकान पर्सनेल्टी को यह सौंपा गया !

आयोजन में अमर शहीद ऊधम सिंह के पोते श्री ज्ञान सिंह, पुलिस एकेडमी महानिरीक्षक सुश्री सपना मंजरी (IPS), पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के सलाहकार रहे श्री सृजनपाल सिंह,पठानकोट शहीद के पारिवारिक,शहीद उधम सिंह के परवारिक जन ,गूगल बॉय ' कौटिल्य पंडित ' सहित बजरंगी भाईजान,बेशर्म और पंजाबी अभिनेता फेम मनोज बख्सी,लोक गायिका नवजोत कौर के साथ एंटी करप्सन फाउंडेशन के कनवेनर नरेंद्र अरोड़ा की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही ! गाजियाबाद से पर्यावरण कार्यकर्ता श्री विजय पाल बघेल,उत्थान समिति अध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह सहित अन्य लोग भी शहीद उधम सिंह / डाक्टर कलाम के बलिदान स्मृति सम्मान समारोह में शरीक / प्रतिभाग रहे ! बुंदेलखंड भू-भाग में ' पर्यावरण क्षेत्र ' में व्यक्तिगत श्रेणी में ब्लॉगर आशीष सागर www.pravasnamakhabar.com को यह प्रतीक - Award -चिन्ह प्रदान किया गया ! आप सबको यह समर्पित है ! #bundelkhand.in - प्रवासनामा डेस्क बुंदेलखंड