Saturday, September 24, 2016

डकैतों की दहशत से शहीद स्मारक दुबारा नहीं बना सकी पुलिस

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ठोकिया ने मार गिराए थे पुलिस के 6 जवान 
23 जुलाई 2007 को पाठा के जंगल में डकैतों को मारकर वापस आ रही थी पुलिस 
बघोलन तिराहे का यह स्मारक आज भी वीरान है 
बाँदा / बदौसा - चित्रकूट मंडल के बीहड़ में कभी डकैतों का खौफ रहता था.बिना उनकी मर्जी के सरकारी विअक्स कार्य उनके इलाके में नहीं होते थे.हर ठेकेदार से चौथ वसूली करने वाले ये डकैत अपने -अपने गैंग के साथ गांववालों के लिए सरदर्द रहे है.यहाँ दस्यु शिवकुमार कुर्मी ददुआ से लेकर घनश्याम केवट,ठोकिया,बलखड़िया,डाक्टर,संग्राम सिंह और अब बबली कोल का दबदबा चलता है.लेकिन इन सबमें जो डकैती बादशाहत ददुआ ने कायम की वो कोई और नहीं कर पाया. 5 करोड़ रूपये एस डकैत को मारने में खर्च हुए उत्तर प्रदेश सरकार के और मरने तक उसका एक तस्वीर भी पुलिस के पास नही पहुंचा.कहते है ददुआ ने कभी गरीबों को सताया नहीं इसलिए गांववाले ही उसके राशन -पानी की व्यवस्था करते थे.इधर दस्यु सरगना बलखड़िया की मौत के बाद उसका भय पुलिस महकमे में शायद काबिज है.यही वजह है कि आधा दर्जन एसटीएफ के जवान जिस शहीद स्मारक में नाम के साथ दर्ज है उसको पुलिस दुबारा नहीं बनवा सकी है. बीते 21 सितम्बर को इसकी बरसी थी. गौरतलब है कि 23 जुलाई 2007 को पाठा के जंगल से कई डकैतों को मारकर वापस आ रहे पुलिस के जत्थे पर पहले से घात लगाये बैठे दस्यु सरगना ठोकिया और उसके साथियों ने एसटीएफ के आधा दर्जन जवान मार दिए.मृतक जवानों में इश्वर देव सिंह,राजेश सिंह चौहान,ब्रजेश यादव,लक्षमण प्रसाद,गिरीशचंद्र नागर और उमाशंकर थे.तभी गांववालों के चंदे से तत्कालीन एसपी बाँदा और वर्तमान डीआईजी ज्ञानेश्वर तिवारी ने 29 अक्तूबर 2012 को यह शहीद स्मारक बनवाया था.

                          शहीद स्मारक की फाइल तस्वीर अब यह बगैर पन्नी के है 
लेकिन इसके ठीक गयारह माह बाद 21 सितम्बर 2011 को दस्यु सरगना बलखड़िया ने दिनदहाड़े धावा बोलकर जेसीबी मशीन से स्मारक को उजाड़ दिया.बलखड़िया ने फरमान जारी किया गर दुबारा ये स्मारक बना तो फतेहगंज का थाना भी ढहा देंगे.पहले जो डकैत शहीद हुए है उनका भी स्मारक बनवाया जाये. फतेहगंज थाना अध्यक्ष अमर सिंह यादव कहते है कि जब से वे आये है यह ऐसे ही वीरान है.पहले पन्नी से ढका ये स्मारक अब खुले आसमान में अपने फिर से खड़े होने की आस में है मगर यह कौन करेगा ये तो डीआईजी ज्ञानेश्वर तिवारी ही बतला सकते है. उल्लेखनीय है कि चित्रकूट मंडल में डकैत का प्रवास अधिकतर पाठा -मानिकपुर और फतेहगंज ही रहा है ! लाखों रूपये के ये इनामी डकैत कभी पुलिस के लिए चुनौती रहे है.आज भी दस्यु सरगना ददुआ का दाहिना हाँथ राधे बाँदा जेल में बंद है !

Thursday, September 22, 2016

हरपालपुर- महोबा रेल मार्ग पर नवजात बेटी को फेंका

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छतरपुर / महोबा / बुंदेलखंड - 
मांस का लोथड़ा बनकर रही गई ममता !
जहाँ बेटियां रेलवे ट्रैक पर मरती हो वहाँ कैसा बेटी बचाओ अभियान !!
' धर्म में यूँ तो बेटियां पूजने के काबिल है, 
लेकिन असल में हम उनके कातिल है ! 
कन्या भोज,मान्यता और अन्य सरकारी योजना पर ये सवाल है, 
कि आखिर कौन माँ-बाप बेटी का हलाल है ? '

छतरपुर -महोबा साथी सुनील रिछारिया के अनुसार आज गुरुवार 22 सितम्बर सुबह 9 बजे के करीब हरपालपुर रेलवे स्टेशन से करीब पांच किलोमीटर दूर पोल संख्या 1214 /3/4 रेल्वे लाईन के बीच एक नवजात बच्ची का शव गैनमैन को पड़ा मिला !नवज़ात के शव की हालात देख का लग रहा था कि किसी बेटी को महिला के द्वारा चलती ट्रेन से फैंका गया है ! इस घटना की जानकारी स्टेशन प्रबंधक को दी गई. स्टेशन प्रबंधक ने नवजात के शव मिलने की सूचना हरपालपुर थाना पुलिस को दी . तब मौके पर पहुँची थाना पुलिस ने मासूम के इस ह्रदय विदारक घटनाक्रम को आला अधिकारीयों तक पहुँचाया है ! 
गौरतलब है यह बुंदेलखंड से पिछड़े क्षेत्र की खबर है जब यहाँ ऐसा हो रहा है तो बड़े शहरों में क्या नहीं होता होगा ये सोचने की बात है ! आने वाले नवरात्री के माह में कन्या भोज करवाने वाले उन छद्म धार्मिक लोगों को इस तस्वीर को देखना चाहिए कि जिंदा बेटियां माँ और हम रेलवे ट्रैक पर फेंकते है और बेटी को अपने सामाजिक प्रचार के लिए पूजने का तमाशा भी करते है ! सरकारी योजनाओं का प्रचार - प्रसार आम नागरिक की मनोदशा कितना बदल सका है बेटी के जन्म के प्रति यह बतलाने की आवश्यकता नहीं है ! यह भी सत्य है कि बच्ची को उसके चिर परिचित / माँ ने ही रेलवे ट्रैक पर फेंका कूड़ा समझकर धिक्कार है ऐसी ममता पर और लानत भी मानवता के इस विद्रूप चेहरे में ! काश माँ इतनी जाहिल और पिता बोझिल न हो ! जानवर /बन्दर भी अपने मृतक बच्चो को कई दिन तक सीने में चिपकाये घूमते है हमने तो उन्हें भी पीछे छोड़ा है !
#PMOMODI #MPUPCM

Wednesday, September 21, 2016

भूमिअधिग्रहण के नाम पर किसानों की फसलें उजाड़ दी

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धान की फसल को पोकलैंड मशीन से रौंदा
रायगढ़ : रेल कॉरिडोर बनाने के लिए एसडीएम के निर्देश पर धान की फसल को पॉकलेन मशीन से रौंद दिया गया है. बताया जा रहा है कि घरघोड़ा ब्लाक के ग्राम कटंगडीह में रेल कॉरिडोर का निर्माण कार्य चल रहा है.
एक पॉकलेन मशीन से लोबोराम, कुस्टोराम, भगवतिया, किर्तन, कालाचंद कोलता सहित अन्य किसानों के खेतों में लहलहाती फसल को रौंद दिया गया है. राजस्व अमला, पुलिस विभाग और ठेकेदार की मौजूदगी में फसल को बर्बाद कर दिया गया !


किसानों ने फसल को नुकसान नहीं पहुंचाने की गुहार लगाई लेकिन अधिकारियों ने किसानों की एक ना सुनी. प्रभावित 21 किसानों का आरोप है कि कार्रवाई करने के पहले उन्हें ना तो मुआवजा दिया गया और ना ही लिखित तौर पर प्रशासन के द्वारा कोई नोटिस दी गई है.
जानकारी के लिए बता दें कि घरघोड़ा से धरमजयगढ़ तक रेल कॉरिडोर में 45 ग्रामों के भूमि का अधिग्रहण किया गया है. लेकिन एक भी किसान को मुआवजा नहीं दिया गया है. इस कारण किसानों ने अपनी खेतों में धान की बुवाई की है. प्रशासन की इस कार्रवाई से किसान आक्रोशित है !

Tuesday, September 20, 2016

भगदड़ मची खनन माफिया में !

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उच्च न्यायलय के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में बालू के अवैध खनन पर सीबीआई जाँच के आदेश से सकते में आई सपा और उसके सरपरस्त खनन माफिया पर यह दस्तावेज !
राहुल गाँधी देवरिया से दिल्ली तक किसान यात्रा में है ! आजकल उनका पड़ाव बुंदेलखंड में है ! बीते बीस सितम्बर उन्होंने जालौन के कालपी से कदौरा मार्ग पर रोड शो करते हुए कहा कि ' बसपा खा गई चारा और सपा ने बालू-पत्थर लूट लिए ' बात बिलकुल सही है ! लेकिन सवाल ये कि आजादी के बाद जिन दो प्रमुख पार्टी की केंद्र में सरकार रही यूपी के इन्ही दो बसपा - सपा समर्थन से उन्होंने बुंदेलखंड को बचाने के लिए क्या किये जमीन पर ? चुनाव के समय ये पर्यावरण प्रेम क्यों ? अगर है तो फिर केन-बेतवा नदी गठजोड़ का भी मुद्दा उठाये ! बुंदेलखंड को किसने नहीं लूटा ! जो आया चाहे केंद्र का हो या राज्य का सबने अपनी धन की पिपासा को शांत करने के लिए यहाँ बाबूसिंह कुशवाहा,नसीमुद्दीन सिद्दकी,गायत्री प्रजापति और उधर एमपी वाले बुंदेलखंड में शिवराज सिंह चौहान खड़े किये ! जिन्होने बुंदेलखंड की आंते,फेफड़े,रक्त धमनियां नदी - पहाड़ पताल तक खोखले किये है ! बदले में हमें मिलता है सूखा,बाढ़ और खेतिहर किसानों की आत्महत्या ! जिस पर भी आप सब लाशों पर राहत पैकेज को बंदरबाट करने का काम सलीके से करते है ! आरोपी आज तक शिकंजे में नहीं है क्योकि राजनीतिक गटर में सारे बेपर्दा और बिना शर्म के है ! राष्ट्र प्रेम किसको है ? मगर यह सब खुली डकैती ही मेरे,आपके,बुंदेलखंड के खूबसूरत रेगिस्तान का वाजिब कारण बनेगी ! 28 सितम्बर के इंडिया टुडे में सीबीआई ( सरकारी तोता ) के भय से सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए यूपी के खनन माफिया पर आशीष मिश्र की ये रिपोर्ट पढ़ना लाजमी है ! क्या बुंदेलखंड में खनन कारोबार कभी रुकेगा शायद नहीं क्योकि गर यह रुकेगा तो सरकार चलाने वाले वित्त निवेशक खत्म हो जायेंगे ! उनके पास काला धन कैसे आएगा ? 
                                     

Monday, September 19, 2016

ये चलन भी कैसा है जो बेटियों को बंधक बनाता है !

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साभार -Ghazal Lubna reading #अंधेरोकेबीच
उड़ीसा के एक आदिवासी इलाके में ऐसा रिवाज़ है कि आठ साल के लड़के की शादी 18-20 साल की लड़की से कर दी जाती है, क्योकि खेतों मे काम करने और घर का काम करने के लिए उन्हें जवान लड़की चहिए ! इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए ही छोटे-छोटे लड़को की शादी जवान लड़कियो से करा दी जाती है ! लड़की को अपने पति के युवा समर्थ होने तक अपने ससुर को झेलना पड़ता है ! भारत भर मे हाल तक ऐसे बेमेल विवाहो का चलन था ! ऐसे विवाहो को लेकर कई लोग गीत प्रचलित है ! ब्याह शादी मे गांवो कस्बो मे आज भी ये गीत गाए जाते है ! झारखण्ड मे भी ये प्रथा प्रचलित थी- हाल तक ! मध्य प्रदेश के सिद्दी जिले मे छोटी आयु में लड़का-लड़की की शादी हो जाती है, पर योग्यता ससुर की परखी जाती है ! उसका स्वास्थ्य कैसा हा या उसके पास बहु के लाड-चाव के पूरे संसाधन है या नही यही देखा जाता है ! दोनो ही मामले मे शादी के बाद ससुर उस बहु ये यौन सम्बन्ध बनाता है ! उड़ीसा की आदीवासी स्त्री अपनी उम्र के आधे या उससे भी कम उम्र के लड़के से न तो जीवन भर मुक्त हो सकती है और न ही अपने ससुर के उत्पीड़न से बच सकती है क्योकि पति के मरने से पहले स्त्री उसे छोड़ नही सकती !
तस्वीर - प्रतीकात्मक नेट से साभार

बीपीएल से अरबपति गायत्री प्रजापति !

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अखिलेश और मुलायम का गायत्री मन्त्र !
2002 में 92 हज़ार की संपत्ति वाले गयात्री प्रजापति आज है 942 करोड़ के मालिक ! बीएमडब्ल्यू,जगुआर,फार्चुनर जैसी गाड़ी उनके बख्तरबंद में तैनात है और बीपीएल कार्ड उनकी जेब में ! बेटी लेती रही खनन मंत्री बन जाने के बाद भी कन्या विद्या धन योजना का लाभ ! गौरतलब है कभी नाचने - गाने वाला गायत्री आज अरबपति बन गया इससे बेहतर समाजवाद और क्या हो सकता है अखिलेश यादव,नेताजी मुलायम और शिवपाल सिंह ? जनता तो कभी पूछेंगी नहीं वोट मांगते समय शायद इसलिए ही लोकसेवक बेख़ौफ़ लुटेरे बन जाते है सांसद और विधायक बन जाने के बाद !! राजनीति से बेहया और दबंग पेशा क्या है आज लोकतंत्र में ! आप लोगों से अधिक बाहुबली,सफेदपोश आतंकी कौन है सरहद के अन्दर ! बुंदेलखंड से लेकर सोनभद्र और मिर्जापुर तक अवैध बालू / पत्थर का ऐसा अवैध खनन किया कि नदियाँ बेजार हो गई और पहाड़ पताल तोड़ तालाब बन गए ! अब उच्च न्यायलय ने जब सीबीआई जाँच को ललकारा है तो सबके लंगोट से पानी रिस रहा है !
#समाजवादकीलूट #यूपीसीएम

Sunday, September 18, 2016

समाजवादी सरकार के चचा आजम खान की सरपरस्ती में बचे है नसीमुद्दीन सिद्दकी

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Manish Srivastava ,पत्रकार निष्पक्ष प्रतिदिन lucknow-
 सपा के चचा आजम खान के ड्राइवर के नाम है 1300 की फर्जी कम्पनी 
नसीमुद्दीन सिद्दीकी की हैसियत मायावती सरकार में मिनी मुख्यमंत्री की थी।18 विभागों के मुखिया नसीमुद्दीन के खिलाफ लोकायुक्त ने आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई और ईडी जांच की सिफारिश सरकार से की थी।तब सपा ने मायावती को खूब घेरा चुनाव के दौरान खूब माइलेज कमाया।भ्रष्टाचार के खिलाफ इस जंग में खामियाजा सिर्फ शिकायत करने वालों ने भुगता।।मायावती ने अख़बार को बंद कराने के लिए घोषड़ा पत्र निरस्त कराया।फिर भी हम नहीं झुके।अखिलेश सरकार आयी तो सिर्फ सतर्कता जांच के आदेश दिए गए।इसी दौरान नसीमुद्दीन ने विधानपरिषद में खुल्लमखुल्ला बोला कि अगर मेरे खिलाफ कार्रवाई हुई तो मेरा भी मुंह खुलेगा ।बकौल नसीमुद्दीन सरकार में बैठे एक चचा (आजम खान ) के ड्राइवर के पास 1300 करोड़ की फर्जी कम्पनियां है ।सन्नाटा पसरा और चचा भी हिल गये।अगले दिन ये खबर प्रमुख समाचार पत्र में प्रकाशित भी हुई।मतलब साफ था खुलेआम ब्लैकमेलिंग का खेल चल रहा था बस मायावती सरकार के सबसे बड़े लुटेरे मंत्री के खिलाफ साक्ष्यों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गयी।
                                            


चार साल से लोकायुक्त के शिकंजे से बचे नसीमुद्दीन सुप्रीम कोर्ट के घेरे में !

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जगदीश नारायण शुक्ला संपादक निष्पक्ष प्रतिदिन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा नसीमुद्दीन सिद्दकी की 6 माह में जांचे पूरी करे यूपी सरकार ! #मनीष श्रीवास्तव
पिछले चार साल से समाजवादी मुखिया अखिलेश के बख्तरबंद में छिपे है माया के नसीमुद्दीन !
लखनऊ। नसीमुद्दीन सिद्दीकी, मायावती का सबसे अहम मोहरा कभी बसपा राज के दौरान मिनी मुख्यमंत्री के खिताब से नवाजा जाता था। इस दौरान नसीमुद्दीन को मायावती ने बतौर मंत्री 18 विभागों का दायित्व सौंपा। फिर क्या था नसीमुद्दीन ने हजारों करोड़ की खुली लूट को अंजाम दिया। नतीजतन स्मारक घोटाले से लेकर लैकफेड घोटाले समेत तमाम घोटालों में ये महाभ्रष्ट आज फंसा हुआ है लोकायुक्त तक ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाया। लेकिन यूपी सरकार मेहरबान साबित हुई और बजाय सीबीआई जांच कराने के,सिर्फ सतर्कता जांच के ही आदेश दिए। सतर्कता जांच भी बरसों से लम्बित है। लेकिन अब वरिष्ठ पत्रकार व निष्पक्ष प्रतिदिन के संपादक जगदीश नारायण शुक्ल की याचिका पर देश की शीर्ष न्यायपालिका ने यूपी के इस महाभ्रष्ट नेता पर अपना शिकंजा कस दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ यूपी सरकार को लताड़ लगाई बल्कि एक निश्चित समय सीमा के अंदर पूर्व भ्रष्ट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की जांच करने के आदेश सतर्कता अधिष्ठान व ईडी को दिए हैं। ऐसे में जल्द ही माया के इस अहम मोहरे को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है। वरिष्ठ पत्रकार व निष्पक्ष प्रतिदिन के संपादक जगदीश नारायण शुक्ल ने सुप्रीम कोर्ट में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ याचिका दायर कर मांग की है कि जब लोकायुक्त ने आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई जांच की संस्तुति की थी तो सरकार ने सतर्कता जांच के आदेश क्यों दिए। इस महाभ्रष्ट की जांच सीबीआई और ईडी को करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर व न्यायाधीश एएम खानविलकर की खण्डपीठ ने इस प्रकरण की सुनवाई करते समय शुक्रवार को बेहद सख्त रुख अपनाया।  मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यूपी सरकार की धीमी जांच पर आपत्ति जताई। कहा, आखिर जांच का अंत होना चाहिए, आप तीन साल से मामले की जांच पूरी नहीं कर पा रहे हैं। आपके पास 1000 से ज्यादा पन्नों के दस्तावेज हैं। यदि आप एक पन्ना एक दिन में पढ़ते तो भी यह अब तक निपट जाना चाहिए था। कोर्ट ने तल्ख शब्दों में कहा कि क्या आप चुनावों का इंतजार कर रहे हैं। अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में पता नहीं किसके खिलाफ इस केस का इस्तेमाल किया किया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश की खण्डपीठ ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ लंबित सतर्कता जांच यूपी सरकार 6 महीने में पूरी करके रिपोर्ट सौपे। कोर्ट ने बसपा नेता सिद्दीकी  के  वकील से पूछा कि जांच में इतनी ढिलाई क्यों बरती जा रही है? कहीं आपकी मौजूदा सरकार के साथ दोस्ती तो नहीं हो गई है। वकील ने कहा कि यह संभव नहीं हैं क्योंकि वह उनके घोषित शत्रु हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि राजनीति में कोई स्थायी शत्रु नहीं होता, सिर्फ हित स्थायी होते हैं। याचिकाकर्ता जगदीश नारायण शुक्ला के वकील एमसी ढींगरा ने कहा कि मामले में पहले लोकायुक्त ने जांच की, फिर विजिलेंस से जांच कराई गई, लेकिन अभी पूरी नहीं हो सकी। कहा कि नसीमुद्दीन और उनकी पत्नी हुस्ना सिद्दीकी के खिलाफ लोकायुक्त ने तीन रिपोर्ट पेश की, जिनमें सीधे तौर पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उनके पास चार हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति पाई गई है। जांच में देरी पर यूपी सरकार के वकील आरपी मेहरोत्रा ने सफाई देते हुए कहा कि इसके लिए प्रदेश के कई जिलों से दस्तावेज मंगाने पड़े, जिसके चलते देरी हो रही है।सिर्फ यही नहीं मनीलांड्रिंग के आरोपों पर भी सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से साफ कहा कि नसीमुद्दीन के खिलाफ पूरी जांच 6 महीने में तत्काल पूरी की जाए। मालूम हो कि पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनकी एमएलसी पत्नी हुस्ना सिद्दीकी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की सतर्कता जांच बरसों से अधिष्ठान में पड़ी हुई है ये जांच एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पा रही है। जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है वही ईडी भी नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ सिर्फ मनीलांड्रिंग का मुकदमा दर्ज कर हाथ पर हाथ धरे बैठ गया है। ये मुकदमा स्मारक घोटाले में दर्ज किया गया है।  जाहिर है अब नसीमुद्दीन सिद्दीकी की उलटी गिनती शुरू हो गयी है नसीमुद्दीन को बचाने के लिए  सुप्रीम कोर्ट में भी यूपी सरकार अपना जवाब गोलमोल तरीके से सिर्फ इसलिए दे रही है ताकि सतर्कता जांच को और लम्बे समय तक लटकाया जा सके।  घोटालों के मुखिया नसीमुद्दीन सिद्दीकी को सरकार बचाने में किस हद तक जुटी है इसका सीधा उदाहरण सुप्रीम कोर्ट को यूपी सरकार द्वारा पूर्व में  सौंपा गया जांच से सम्बन्धित हलफनामा है जिसमें कई चैकाने वाले खुलासे हैं जिससे यूपी सरकार का भी असली चेहरा बेनकाब हो गया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी स्टेटस रिपोर्ट में बेहद हास्यपद तरीके से कहा था  कि सतर्कता विभाग को अभी  नसीमुद्दीन  से प्राप्त प्रतिवेदनों समेत   1,000 से अधिक पृष्ठों के भूमि दस्तावेजों को जांचना रह गया है ये दस्तावेज बांदा लखनऊ और बाराबंकी समेत ज्योतिबाफुलेनगर में स्थित भूमि से सम्बन्धित है। इन जिलों के भू-राजस्व रिकाॅर्ड को सत्यापित करने के बाद ही सतर्कता जांच आगे बढ़ेगी लेकिन पिछले तीन वर्षों में अगर प्रतिदिन एक दस्तावेज भी सतर्कता अधिष्ठान ने पढ़ा होता तो ये सभी दस्तावेज जांचे जा चुके होते लेकिन सतर्कता सचिव व रिटायर्ड अफसर एसके रघुवंशी ने बसपाई एजेंट की भूमिका निभाते हुए ये हलफनामा सरकार की तरह से बनवा कर नसीमुद्दीन की जांच को दबाने का प्रयास किया था  क्योंकि सरकार ने स्मारक घोटाले के सम्बन्ध में भी जवाब सौपते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया था  कि स्मारकों और पार्कों की सतर्कता जांच के तहत  अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, डा कांशीराम स्मारक स्थल, गौतम बुद्ध उपवन, इको पार्क और नोएडा के अंबेडकर पार्क की जांच सतर्कता अधिष्ठान कर रहा है लखनऊ और नोएडा के दलित स्मारकों की जांच बेहद तेज गति से की जा रही है ये झूठ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नसीमुद्दीन के मामले में बोला था । यही नहीं मोदी सरकार के ऊपर मायावती भले दलितों पर हमले को लेकर निशाना साधे लेकिन अंदर से भाजपा और बसपा की मिलीभगत है। तभी नसीमुद्दीन और हुस्ना के क्यू एन्ड एफ ट्रस्ट पर ईडी ने कोई शिकंजा नहीं कसा जबकि पहले मनीलांड्रिंग का मुकदमा भी दर्ज हुआ था। इसी ट्रस्ट के जरिये जमकर मनीलांड्रिंग को अंजाम दिया गया है। लोकायुक्त ने उस वक्त रही मुख्यमंत्री मायावती को शर्मसार करते हुए सिद्दीकी और हुसना के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच बैठाने की सलाह दी थी। लोकायुक्त ने बताया था कि आय के स्रोतों से अधिक कीमत की संपत्तियों के होने की वजह से दोनों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वाराजांच बैठाने की सलाह दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार सिद्दीकी की सम्पति से पता लगता है कि ये काले धन को वैध बनाने का मामला है जिसकी जांच अपराध जांच एजेंसी करेगी। लोकायुक्त ने ये भी बताया कि दर्ज की गई शिकायत के अनुसार हुस्ना सिद्दीकी ने आय के अवैध स्रोतों से एजुकेशनल सोसाइटी की खोज की। वहीं बुंदेलखंड एरिया डेवेलपमेंट फंड एजुकेशनल सोसाइटी में अनियमितताओं के जरिए काला धन पैदा किया और भूमि भी खरीदी। जांच में इस बात का खुलासा हुआ है। क्यू एंड एफ सोसाएटी को सिर्फ काले धन के लिए कागजों पर ही चलाया जा रहा है। ऐसे में अब ईडी की जांच भी दफन करा दी गयी है !

बुंदेलखंड में राहुल गाँधी की खाट चर्चा पर किसान की वाट !

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बुंदेलखंड के बाँदा के अतर्रा ( बौदोसा ) में खाट पर किसान चर्चा के बीच राहुल गाँधी ! साथ में सदर विधायक विवेक सिंह ( साढ़े चार साल बाँदा शहर को आनाथ रखा है और विधायक निधि 30 % एडवांस पर बेच दी ) खंडित गुलाबी गैंग की संपत पाल इन्हे जब राहुल बाँदा / बुन्देलखण्ड आते है तब सेल्फी लेने का मन करता है ! कभी आज तक विवेक सिंह और संपत पाल किसी किसान आत्महत्या परिवार के देहरी में दिलासा / आखत देने नहीं पहुंचे ! विवेक सिंह साढ़े चार साल पुत्रमोह में कभी गाजियाबाद तो कभी लखनऊ उलझे रहे जनता तो जैसे वोट देने के लिए ही बनी है ! अगर आप लोकसेवा नहीं कर सकते तो आपको वेतन,भत्ते लेने का भी नैतिक हक नहीं है ! 



 गौरतलब है रैली के बाद खटिया किसान साथ ले गए ! राहुल गाँधी ने महोबा के पनवाड़ी में कहा कि बुंदेलखंड पॅकेज को बसपा-सपा ने चाट लिया ! तो आपने बीते सात साल में इसकी सीबीआई जाँच क्यों नहीं करवाई ? सुप्रीम कोर्ट जाते जैसे राबर्ट के लिए गए ! एक मंत्री आपने झाँसी में रख छोड़ा था बुंदेलखंड पॅकेज का रुपया एनजीओ जो बांटने को उन्हें लगाम क्यों नही लगाईं ! उधर मेरा कनवारा के टिकरियन पुरवा का दूध वाला कह रहा था सूखे - गर्मी में हम तपे और बारिश में इन्हे जपे !! यहाँ अशोक जमनानी की ये पंक्ति -
ठन्डे पड़े चूल्हों ने ख़त लिखे कई,
बेवफ़ा हैं रोटियां तोंदों में बस गईं ! 

बाँदा और चित्रकूट में राहुल गाँधी की किसान यात्रा को आम किसान ने महज लुफ्तबाजी की तरह सुना और उनकी सम्भल से मंगाई खटिया में अपने थके हुए देह को आराम देने का काम कर गये ! यहाँ किसानों ने खटिया भी तोड़ी जैसा तस्वीर में साफ है ! चुनावी परेड का जनता भी अच्छा लाभ ले रही है मगर सवाल ये कि इनसे असल विकास और यहाँ रोजगार के मुद्दे पूछेगा कौन ?